बिहार-विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे लोजपा (रामविलास) प्रदेश महासचिव प्रमोद कुमार सिंह ने किया कार्यकर्ताओ के साथ संवाद कार्यक्रम

प्रमोद कुमार सिंह ने अपने संबोधन के दौरान रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व एवं वर्तमान विधायक पर भी जमकर निशाना साधते हुए जिले के अंदर चल रहे कई उधोगों के संबंध में भी कहा कि इससे औरंगाबाद जिला वासियों को कोई फायदा नहीं है. लेकिन आप जिन्हें गठबंधन के नाम पर अपना कीमती मत देकर विधानसभा या लोकसभा में भेज देते हैं. वो वहां जरूर सेट हो जाते हैं.

बिहार-विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे लोजपा (रामविलास) प्रदेश महासचिव प्रमोद कुमार सिंह ने किया कार्यकर्ताओ के साथ संवाद कार्यक्रम
preparions for Bihar Assembly elections

औरंगाबाद: (बिहार) 2025 बिहार-विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व लोजपा प्रत्याशी, पूर्व निर्दलीय प्रत्याशी, वर्तमान लोजपा (रामविलास) प्रदेश महासचिव, समाजसेवी व वरीय नेता, प्रमोद कुमार सिंह ने अपने रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्त्ताओं के साथ मिलकर नगर-पंचायत, रफीगंज से महज दूरी पर स्थित रफीगंज-शिवगंज मुख्य पथ पर एक उत्सव भवन में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया. जहां काफी संख्या में लोग मौजुद हुए और लगभग 04 घंटा 10 मिनट तक कार्यक्रम चलता रहा. इस कार्यक्रम में सभी कार्यकर्ता भी कार्यक्रम समाप्ति तक डटे रहे और आगामी बिहार-विधानसभा 2025 में हर संभव मदद कर चुनाव जिताने का भरोसा दिया. गौरतलब हो कि समाजसेवी, प्रमोद कुमार सिंह रफीगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रथम बार सन 2015 में लोक जनशक्ति पार्टी से चुनाव लड़कर उपविजेता बने थे, तथा सन 2020 में जब पार्टी के टिकट से वंचित कर दिया गया था.

तब अंत में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने के बाद भी उपविजेता बने थे, जबकि 2010 से लेकर 2020 तक लगातार जनता दल यूनाइटेड के ही 10 वर्षों तक अशोक कुमार सिंह विधायक रहे थे. फिर भी निर्दलीय प्रत्याशी, प्रमोद कुमार सिंह ने उन्हें तीसरे पायदान पर पहुंचा दिया था और सन 2020 में राष्ट्रीय जनता दल पार्टी के विधायक बने मोहम्मद नेहालुद्दीन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया था कि आखिर निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद भी प्रमोद कुमार सिंह को लगभग 59,000 वोट कहां से मिल गया और ख़ासकर नगर-पंचायत, रफीगंज में सभी समाज के लोगो ने एक तरफा वोट निर्दलीय प्रत्याशी को ही कैसे दे दिया.

ध्यातव्य हो कि रविवार दिनांक-23 जुन 2024 को रफीगंज-शिवगंज मुख्य पथ पर स्थित उत्सव भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लोग जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश महासचिव सह समाजसेवी, प्रमोद कुमार सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि बातों में भी और जहां भी ऐसा कोई कार्यक्रम होता है. वहां पे मैं अपने आप से कहा हूं कि जितना अधिकार हमारे घर वालों को हमारे ऊपर है. उतना ही रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के वासी के सभी जाति/धर्म के लोगों को हमारे ऊपर अधिकार है. मैं यहां पर उपस्थित सभी पिता तुल्य गार्जियन/नवयुवक साथी/माता-बहन/पत्रकार बंधु जितने भी आए हुए हैं. सबको मैं हार्दिक अभिनंदन करता हूं. इस कार्यक्रम में आए हुए तमाम लोगों का मैं नाम जानता हूं. आज इसके लिए हम लोग सब यहां पर बैठे हैं कि हमे 2025 चुनाव में क्या करना चाहिए. चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं लड़ना चाहिए. इसलिए हम आप सबों को आमंत्रित किए हैं. सभी पार्टी से जो पदाधिकारी हैं और उनको जो व्यक्तिगत रूप से हमारे साथ/हमारे शुभचिंतक/और हमारे परिवार का सदस्य समझते हैं. उन लोगों को भी बुला करके हमने आप लोग सभी का विचार जानने का कोशिश किया कि 2025 में हमें क्या करना चाहिए. चुनाव लड़ना चाहिए कि नही लड़ना चाहिए. उसका कारण है कि दो बार आप लोगों ने एक बार तो दल से/और एक बार निर्दलीय जो आप लोगों ने सम्मान दिया है और उस सम्मान के कड़ी में एक हमारा मतलब की जो एक व्यक्तिगत विचार है कि इतना सम्मान में लोग जीत करके विधानसभा पहुंच जाते हैं. लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि ऐसा है कि हम दो बार से 55,000 से अधिक मत. यानी कि सब जोड़िए. तो 59,000 मत आप लोगों ने देने का काम किया एक निर्दलीय का. जो की कोई उसका वोट निर्दलीय का नहीं होता है.

आज हम-आप सब कोई न कोई दल से जुड़े हुए हैं. दल से बंधे हुए हैं और यहां विशेष कर जहां हम लोग रहते हैं बिहार में यहां दो ही गठबंधन है. एक महागठबंधन और एक एन.डी.ए. और प्रत्याशी भी करीब-क़रीब लडाई में भी लोग ये ही गठबंधन से रहते हैं. लेकिन उसके बाद भी दोनों को नकारते हुए हम पर आप लोगों ने भरोसा जताया और 59,000 मत देने का काम किया. इसीलिए मैं इस क्षेत्र को नहीं छोड़ पाता हूं. आप लोगों के स्नेह-प्यार देने के कारण. यहां तो लोग आते हैं. जिनको आप लोगों ने जीता करके भेजा और उन लोग जीते हुए हैं. उनके बारे में मैं बहुत बात नहीं कहना चाहता हूं. लेकिन आपको याद जरूर दिलवाऊंगा कि जो जीते हुए हैं. उनके प्रति में एक वक्ता ने कहा कि जो समस्या यदि उनको बताइए. तो एक उस व्यक्ति पर सबसे पहले तो 100 डिग्री से गर्म हो जाते हैं कि मैं तुम्हारा विधायक नही हूं.

आखिर आज रफीगंज विधानसभा क्षेत्र संख्या-224 किसका है. उसी का तो आपको सर्टिफिकेट मिला है. आप कैसे कह सकते हैं कि मैं आपका विधायक नहीं हूं. आप ये कैसे कह सकते हैं जितने के बाद. की आपने हमको वोट नहीं दिया है. आपका दयित्व बनता है विधायक महोदय. आप एक रफीगंज की जितनी भी जनसंख्या है. करीब-करीब आज पांच लाख जनसंख्या होगा. आज पांच लाख का जनप्रतिनिधि और विधायक आप है और यहां के लोगों को अधिकार है अपनी समस्या रखना और आपसे बात रखना. आपके ये कह देने से की आपने हमको वोट नहीं दिया है. तो आपमें ये दम है. तो आप आकर के इस्तीफा देकर चले जाइए कि मैं आपका विधायक नहीं हूं. इसीलिए उनकी बातें करनी पड़ी हमको. दुसरा चीज़ जो दल से आए हैं. आज दल की बात चल रही थी कि हमें चुनाव कैसे लड़ना चाहिए. समस्या दोनों गठबंधन में है. दोनों गठबंधन कोई भी न्यूट्रल पार्टी, वन मैन पार्टी में कोई दम नहीं है बिहार में कितनों बडा कोई विश्व का पार्टी हो. या बिहार में जो 20 वर्षों से शासन कर रहा हो. जो 15 वर्षों तक पहले भी सरकार चलाया हो. उनके सहयोगी हो. उनमें अकेले दम पर चुनाव लड़ करके और विधानसभा में अपनी सरकार बनाने का उनको ताकत नहीं है. उनके विधायक जितने भी हैं. वो गठबंधन बनाकर के चार-चार पार्टियों से/पैराशूट से यहां पे उतारते हैं प्रत्याशी को और वो प्रत्याशी जब चार दल का रहता है. तो सिर्फ ना वो अपना दल के लिए काम कर पाता है और ना अन्य दल के लोगों के लिए काम कर पता है और उसको अभिमान उसी दिन से जग जाता है. जिस दिन वो चार पार्टी के गठबंधनों का विधायक या सांसद बन करके विधानसभा या लोकसभा में जाएगा. तो वो आपका याद नहीं कर पायेगा कि हम किसके वोट से जीत करके इस कुर्सी को सुशोभित कर रहे हैं और हमारा मान-सम्मान बढ़ रहा है.

 ये तो इतिहास है. उठाकर के देख लीजिए. मैं तो 13 वर्षों से राजनिति में आया हू. लेकिन आप लोग आजादी के बाद से वोट करते आ रहे हैं. जो कहीं 20 साल के लोकसभा जाने वाले लोग का हालत देख लीजिए. या इसके पहले जो 10 साल का विधायक रहे. जो एन.डी.ए. से रहे. या जिससे भी रहे. उन्होने क्षेत्र के लिए/और आपके लिए/आपके बच्चों के भविष्य के लिए क्या काम किए. चुनाव जीतकर जाते हैं और अपना विकास करते हैं. तो आपको व्यक्ति विशेष का भी चुनाव लड़ना होगा कि जो व्यक्ति को हम वोट दे रहे हैं. वो वह हमारे प्रति कितना वफादार है. वो जितना प्रयास करता है कि मेरा और मेरे बच्चों का/एक रिश्तेदारों का और जितने हमसे जुड़े लोग हैं. उनका मैं प्रोत्साहन देकर बढ़ावा दूं और उनका विकास करूं. वो आपके लिए सोच भूल जाते हैं कि जनता के वोट से जीत करके हम विधानसभा या लोकसभा को सुशोभित कर रहे हैं. वैसे जनप्रतिनिधि जब से गठबंधन की राजनीति चालू हुई है. तब से समाजवाद और जन-जन के साथ देने वाले और जनता की आवाज को उठाने वाले नेताओं की कमी हो गई है. तो मैं आपसे आग्रह करने आया हूं और आपसे ये बात को याद दिलाने आया हूं कि आप लोग सोचिए. दल तो है.

दल बाबू को तो आप लोगों ने वोट दे करके देख लिया. जो एक जवाब देते हैं कि मैं आपका विधायक नहीं हूं. एक 10 साल पहले रहने के बाद भी अपना और सिर्फ अपने परिवार का विकास किए. आपके लिए कौन सोचा यहां पे. मैं पूछना चाहता हूं. रफीगंज विधानसभा आजादी के बाद से यहां किसानी क्षेत्र है. 75 प्रतिशत लोग किसान हैं किसानों की समस्या को लेकर के कभी भी आप लोगों ने नहीं सुना होगा कि बिहार विधानसभा में कोई भी विधायक किसानों की समस्या को लेकर के आवाज़ उठाई. यहां के लोगों में/युवाओं में इतना प्रतिभा है कि सभी प्रतिभा छुपी हुई है. कभी भी यहां के युवाओं के रोजगार के लिए किसी भी विधायक ने विधानसभा में बात नहीं उठाई. स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमें 50 फोन आता है. करीब-करीब 10 से 20 फोन रोज जरूर आता है कि पी.एम.सी.एच. पटना में/एम्स पटना में या मेडिकल कॉलेज गया में हमें जगह नही मिल रहा है. कभी भी इस बिंदु पर कोई भी विधायक व्यवस्था करने का काम नहीं किया कि हमारा जनता जो है. हमारी जनता को स्वास्थ्य का अच्छा लाभ दिलवा दें.

सबको वोट देते रहिए. उसी का कारण है. गठबंधन को वोट देते रहिए. उसी का कारण है. वो हमारा/आपका बात क्यों सुनेगा. वो जब पैराशूट से चार पार्टियों के गठबंधन से उतारा हुआ प्रत्याशी है और आपके वोट पर जीतकर जाएगा और वह उसी दिन से अपना विकास करना चालू कर देगा. आपको चाहिए जमीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति. जो आपको रूबरू जानता हो. आपके दु:ख-सुख में साथ हो. आपका फ़ोन नहीं उठाता है तो और आपकी समस्याओं को लेकर के वो जहां भी जिससे संबंधित हो. उससे बात करता हो कितने नेता अभी तक रफीगंज में हुए. जो आपकी समस्या को सुनकर के और उन पदाधिकारी तक आपकी बातों को पहुंचाने का काम करें.

मित्रों सबसे बड़ी बात मैं ये बता देना चाहता हूं कि औरंगाबाद जिला जो है. वो आज औधोगिक हब है. इसके बारे में आप सबों को को भी मालूम है. यहां औरंगाबाद जिला में श्री सीमेंट का दो फैक्ट्री लगा है. दो-दो एन.टी.पी.सी. लगा हुआ है. शिवगंज में बिहार भर का ही नही भारतवर्ष का सबसे बड़ा औद्योगिक जो है, राइस मिल है. आपका ये बघौरा पंचायत में सौर ऊर्जा ताप है. अभी कल के पेपर में मैं देखा हूं कि 2400 मेगावाट का एक और एन.टी.पी.सी. औरंगाबाद जिला को भारत-सरकार ने दिया है. लेकिन उससे हमारे यहां पे औरंगाबाद जिला वासियों को कोई फायदा नहीं है. उससे फायदा किसको होगा. तो जिसको आप जीता करके गठबंधन में भेजते हैं. वो वहां जरूर सेट हो जाएंगे और उनका ही वहां पे राज चलेगा. कभी किसी को एक रुपया सीमेन्ट में कमीशन चाहिए. तो एन.टी.पी.सी. से उनका अपने घर परिवारों और रिश्तेदारों को नौकरी चाहिए. उसमें जितना ठेकेदारी है उनको चाहिए. यानी तमाम यहां की जनता जो जिसके वोट पर जीतकर के आप जाते हैं और उस पॉवर से वहां जो औधोगिक उद्योगपति हैं. उनसे हमारी ताकत से/और आप अपना विकास करते हैं. आपको बता दूं आज की कम से कम रफीगंज विधानसभा में बहुत बड़ा बात नहीं कर सकता हूं.

इसके बाद हॉल में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा भारतवर्ष का सरकार सभी के समस्याओं का समाधान नहीं कर पाया. लेकिन मै आपको आश्वस्त करना जरुर चाहूंगा कि रफीगंज विधानसभा क्षेत्र आत्मनिर्भर होगा, हर क्षेत्र में वो कैसे होगा. वो मेरा स्वयं का प्लान है. आज आप लोगों के बीच में मैं रखूंगा बात. एक विधायक को 05 सालों में 15 करोड़ रूपया निजी होता है. निजी फंड होता है. वो फंड का विधायक यदि अपना सही उपयोग कर दे. तो मेरे को नहीं लगता है कि कोई समस्या बच भी सकता है. आज उत्तर कोयल नहर की बात हमारे कई वक्ताओं ने कहा. उत्तर कोयल नहर की जरूरत रफीगंज के लिए नहीं है. यहां प्राकृतिक का ऐसा बनावट है कि यदि काम करने वाला व्यक्ति उस पे अमल करे और किसी भी सरकार के सामने वो सता में रहे. पक्ष में रहे या विपक्ष में रहे. उसको हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है.

विधानसभा जाने के बाद स्वयं का 15 करोड़ रूपया में वो विकास कर सकता है और 05 वर्षों में कम से कम किसानों को आत्मनिर्भर रफीगंज में जरूर कर सकता है. उतना भी पैसा नहीं लगेगा. आपको दक्षिणी उमगा में हड़गोड़वा पहाड़ का नाम सुने होंगे आप. दोनों पहाड़ तक मैं वहां गया हूं और वहां निरीक्षण किया हूं और निरीक्षण करने के बाद से जो रफीगंज के लिए जो चेई/नवादा का जो पइन है. जितना भी नहर वो उत्तर कोयल आता है और रफीगंज के अंतिम छोर तक जो जाता है. उसमें सिर्फ कुछ नहीं करना है. दो से तीन करोड रूपया में वहां बांध बांध देना है. अपना निजी पैसा से और उसके बाद करीब-करीब डेढ़ किलोमीटर वहां से बहुत खाली जगह है. जिसे ढलाई कर करके और तीन कैनालों में गिराने की जरूरत है.

 हमारा रफीगंज के किसान आत्मनिर्भर हो जाएंगे. लेकिन ये करेगा कौन. ये वही करेगा. जिसको ईमानदारी पूर्वक अपने फंड का उपयोग करना है. आप भेजिए ना दल वालों को जीत करके. आप भेजिए गठबंधन के लोगों को. जो पार्टी के लोग हैं. उनको जीताकर के भेजिए विधानसभा में आपका विकास कभी नहीं होगा और रफीगंज विधानसभा वासी आपके बच्चे आपसे जरूर पूछेंगे. वो दिन आएगा कि पापा आप कैसे व्यक्ति को वोट देते थे कि हम आज इस स्थिति में है. जरूर सवाल करेगा. आज डिजिटल युग है. वो इंटरनेट देख रहा है. हमें तो बड़ा आश्चर्य लगता है. आश्चर्य ये लगता है कि आज हमारा जो देश है. वो अर्थव्यवस्था में पांचवा पायदान पर पूरे विश्व में है. अभी हमारे प्रधानमंत्री जी/जितने भी नेता हैं. वो सब कहते हैं. लेकिन आप लोग यहां बैठे हैं. 19 पंचायत से क़रीब-क़रीब लोग आए हैं. नगर-पंचायत से सभी आए हैं. उसके बाद से भी लोग आए हैं.

आप लोग को लगता है कि आप पांचवा नंबर पर उस सूची में है. नही लगता है कि हमारा इतना अर्थव्यवस्था मजबूत है. जहां किसान आय के समय निकल रहा है. आद्रा नक्षत्र आज से लग गया, कल से. करीब-करीब यहां 75% से 80% जिसके पास साधन नहीं है. वो किसान अभी तक बिहन नहीं किए हुए हैं और जब तक हमारा किसान मजबूत नहीं होगा. तब तक हम लोग उस दावा को नहीं कर सकते हैं कि हम पांचवा अर्थव्यवस्था में मेरा देश का स्थान है. हम उसको सीधे खारिज करता हूं. वो यहां से हमारे रफीगंज विधानसभा से हमारे रफीगंज विधानसभा के किसानों की क्या हालत है. सबसे बड़ा बात आज युवाओं की बात करता हूं कि पढ़-लिख करके हमारे यूवा इनको औरंगाबाद जिला से कहीं भी बाहर जाने की जरुरत नहीं है. मै आपको आश्वस्त करता हूं और चैलेंज भी करता हूं कि हमारा अधिकार को हम जिसको वोट देकर के भेजते हैं. वो हमारे बच्चों को, हमारे युवाओं के अधिकार को छीन रहे हैं.

यहां पांच-पांच फैक्ट्री है. हमें संविधान में अधिकार है कि 50% नौकरी स्थानीय लोगों को आपको देना है. मैं पूछता हूं इन पांचों-सातों फैक्ट्री से कि कितने औरंगाबाद में यूवा वहां काम कर रहे हैं. बताइए की यहां जीतने लोग भी आए हैं. उसमें किसी का भी बेटा वहां काम करता है क्या. लेकिन सभी नेताओं का वहां पे मंथली जरूर फिक्स है. हमारे जैसा व्यक्ति कोई यदि आप विधानसभा भेजते हैं. तो किसान का समस्या के साथ-साथ आपका औरंगाबाद में जितने भी हमारे क्षेत्र में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के युवा है. उनको नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. 2% सी.एस.आर. का पैसा हर फैक्ट्री से जिला के विकास के लिए आता है. लेकिन आज तक आप लोग बताइए कि कहीं भी/किसी भी गांव में एन.टी.पी.सी. द्वारा/या श्री सीमेंट फैक्ट्री द्वारा/या राइस मिल द्वारा/या सौर ऊर्जा ताप का जो फैक्ट्री है. उसके द्वारा कोई भी फंड आया आपके गांव में आज सी.एस.आर. का पैसा हमारे यहां जो मंत्री हैं केंद्र में औरंगाबाद जिला के लोग का पैसा दूसरे जिला में जा रहा है. उसका देन किसका है. उसका देन है.

गठबंधन के ऐसे विधायक और सांसदों का कि उन मंत्रियों से मिलकर के अपना कमीशन फिक्स करके और उस हमारे जिला के पैसे को दूसरे जगह भेज देते हैं. फैक्ट्री लगता है तो वो अनुबंध होता है. फैक्ट्री प्रबंधन से कि 2% सी.एस.आर. का पैसा हम जिला के विकास के लिए लगाएंगे कितना बड़ा दोहन हो रहा है. एन.टी.पी.सी. से लेकर के/श्री सीमेंट फैक्ट्री से लेकर के/अन्य फैक्ट्रियों से लेकर के हमारे जिला से ज्यादा मैं नहीं समझता हूं कि बिहार के कोई जिला भी होगा. कारण कि जो भी नेता जीत करके जा रहे हैं. वो प्रबंधन से बैठकर के/और उनसे समझौता करके/और पदाधिकारियों से मिलकर के/वो पैसे को बंदरबाट करके क्या लेना-देना है. आपके बच्चों से क्या लेना-देना है. यहां के किसानों से क्या लेना-देना है. महिलाओं की समस्याओं से क्या लेना-देना है. आपके प्रखंड में क्या हो रहा है. पदाधिकारी कैसे आपके साथ व्यवहार कर रहे हैं. पुलिस आपके साथ स्थानीय स्तर पर व्यवहार कैसे कर रहा है. उनको क्या लेना-देना. उल्टा वो अब आपको आप यदि वोट नहीं दिए होंगे. तब तो यदि आप पकड़ा गए. ओर नाम बता दिए. तो सबसे उनका टाई-अप है. सी.ओ. से लेकर के/बी.डी.ओ. से लेकर के/थानेदार से लेकर के जितने भी पदाधिकारी हैं.

सभी नेताओं का टाई-अप है और वो बताते हैं, यदि आप उनका सपोर्ट नहीं किए और वो गलती से/कहीं आपसी विवद से आप केस में फंस गए. तो आपके ऊपर और धारा लगवा देंगे. ये हो रहा है कि नही हो रहा है. चल रहा है कि नही चल रहा है. एक छोटा व्यापार लोग करता है. हम किसानी करते हैं. हमारे यहां नौकर रखते हैं. कोई काम के लिए. नौकर हमारे यहां से चलेगा कि हम नौकर के काम से चलेंगे. हम आपसे पूछना चाहते हैं. नौकर जो कहेगा, वो आप करेगें कि आप जो कहेंगे, वो नौकर करेगा.

प्रजातंत में प्रजा मालिक होता है और आज हम लचर व्यवस्था के कारण सही ढंग से चुनाव नही करते हैं. विधायक और सांसदों का और प्रतिनिधियों के कारण हम दरोगा साहब/एस.पी. साहब/डी.एम. साहब जो जिनको हमें नमस्कार करना चाहिए. आज उनके पीछे हमारा पूरा कुनबा घुम रहा है. ये किसका देन है. उनकी क्या औकात है. एक व्यक्ति यदि ईमानदार आपका जनप्रतिनिधि रहेगा. तो ये प्रजातंत्र में इन अधिकारियों की औकात ही नहीं है. लेकिन आप लोग करेंगे नहीं. जब इलेक्शन आएगा. तो जात-पात पर की हमको ऊपर देखना है. जिताकर के भेज दीजिएगा और पांच साल तक रोना रोइएगा कि हमारे साथ ऐसा होता है. चुनाव हारने के बाद से भी मैंने जात-पात नहीं देखा. कहीं का भी कोई समस्या/कोई व्यक्ति वोट दिया या नहीं दिया. शिवगंज में हत्याकांड हुई. हम यदि वहां चक्का जाम नहीं करते. रोड पर नहीं बैठते, तो उस केस का उद्वेदन नहीं होता. सैंकड़ों उदाहरण मै दूंगा आपको, सैंकड़ों उदाहरण. यदि जात-पात देखता. तो आज हमारे यहां दरवाजा जो खुला है और बहुत लोगों को न्याय नहीं मिलता. कोई भी व्यक्ति जितने भी जाति/धर्म और हर धर्म से लोग यहां पे आए हुए हैं. एक भी व्यक्ति बता दे कि प्रमोद सिंह हमको अपने यहां उपहास कभी किए. हम आपके लिए निरंतर लड़ते हैं. आज बहुत सा फोन आता है. बहुत सा फोन आता है. भ्रष्ट अधिकारियों के बारे में सबसे ज्यादा हमारे किसान भाई और सब लोग परेशान हैं सी.ओ. से और कर्मचारी से. हमारा जमीन/हमने बेचा और दाखिल खारिज करने के लिए पैसा तुमको दें. ये कहां का न्याय है. कहां का न्याय है. जमीन के मालिक कौन है. तुमको पैसा मैं अपना स्वयं के जमीन के लिए क्यों दूंगा. अब भूल से छूट गया आपका. कहीं भी आप हेलमेट छोड़ दिए. या ट्रैफिक नियम का पालन नहीं किए. गाड़ी लगा-लगा करके/हमारे नवयुवक और गार्जियन कितना परेशान हैं. उसमें भी एक भी चालान नही कटता है. जितना भी पैसा वसूली होता है. उनके और बड़े पदाधिकारियों के लिए होता है. आपको पता नही है. तो आप लोग यदि भ्रष्टाचार मुक्त रफीगंज विधानसभा चाहते हैं. तो आपको स्वयं को सोचना होगा और हर आदमी को प्रमोद कुमार सिंह बनकर चुनाव लड़ना होगा.

सबसे बड़ा उदाहरण डाल की बात जहां आती है. आप पुर्णिया को देख लीजिए पप्पु यादव को. मोदी जी का लहर और महागठबंधन का भी लहर. लेकिन वहां के पब्लिक ने किस दिया, सांसद बनाया पप्पु यादव को. क्यों बनाया. वो भी न्याय की बात करता है. आपकी समस्याओं को लेकर पदाधिकारियों तक और हर जगह व्यवस्था किए हुए है. आप लोग सोचिए एक बार. की हमको रफीगंज का विकास चाहिए. हमारे आपके युवाओं का विकास चाहिए किसानों का विकास चाहिए. महिलाओं का सशक्तिकरण की बात चाहिए. स्वास्थ्य चाहिए. बिजली चाहिए. सड़क चाहिए. तो आपको स्वयं ऐसा निर्णय लेना होगा कि हम ऐसा जनप्रतिनिधि ईमानदार चुने. जो हमारी समस्याओं को लेकर के जितना वो अपने घर के लिए और अपने स्वय के लिए सोचता है. वो जनता के लिए सोचे. मित्रों समय बहुत काफ़ी हुआ और मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं दल से ही रहूंगा और इस बार आप लोग को दल को ही वोट देना है और आप सब लोगों को प्रमोद बनना होगा और ऐसे जो नेता आते हैं. यहां पर पैराशूट से उतारे हुए. उनको जवाब देना होगा. जब आपका क्षेत्र सुधरेगा. आपका स्वयं का समस्या सुधरेगा. बातें बहुत हुई और बातें मैं जितना कहूंगा. शाम हो जाएगा. लेकिन आप लोग 10:00 बजे से आए हुए हैं. आप लोग को आए यहां पे. हमारा हिम्मत को अफजाई किए. इसके लिए आए हुए सभी पिता तुल्य गार्जियन/नवयुवक साथी/मीडिया के बंधु/माता-बहन सबको मैं फिर से हार्दिक प्रणाम करते हुए वाणी को समाप्त करता हूं.

ध्यातव्य हो कि इस आयोजित कार्यक्रम में नगर-पंचायत, रफीगंज के व्यापार मंडल अध्यक्ष, अशोक कुमार सिंह, नगर-पंचायत, रफीगंज के पूर्व उप चेयरमैन हरेंद्र कुमार, लोजपा दलित सेना के पूर्व औरंगाबाद जिलाध्यक्ष/पूर्व जिला परिषद् सदस्य एवं वर्तमान पंचायत समिति सदस्य, अजय पासवान, लोक स्मृति मंच के पूर्व औरंगाबाद जिलाध्यक्ष, सुधीर शर्मा, रामलायक सिंह, 20 सूत्री पूर्व अध्यक्ष, अर्जुन सिंह, अधिवक्ता, विनय बाबू, मुसाफिर पासवान, भदवा तरफ के जय किशोर पाठक, चंदू पासवान, अखिलेश शर्मा, दलित सेना के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष, उमेश पासवान, मधेश्वर सिंह, गौतम विश्वकर्मा, शंकर सोनी, प्रकाश मेहता, अशोक रजक उर्फ जयहिंद, शिक्षक, सुरेंद्र पासवान, लालदेव पासवान, इंद्रदेव प्रसाद यादव, प्रखंड अध्यक्ष, सरिता देवी सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए. साथ ही इस आयोजित कार्यक्रम में सभी स्थानों पर पंचायतों में मजबूत बूथ कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया गया.

-अजय कुमार पाण्डेय