ह्रदय की गहराइयों की आवाज जिंदगी की आपा धापी में क्यूं सुनाई नहीं देती
ह्रदय की गहराइयों की आवाज जिंदगी की आपा धापी में क्यूं सुनाई नहीं देती
बढ़तें गए और आकाश की उचाईयों को छूनें में सफ़ल रहें. जिंदगी आपाधापी जद्धोजहद का दूसरा नाम है. क्या आप संघर्षों के बगैर जीना चाहतें हैं ? मिठास से महरूम रह जाए गें ? जनून में खुशियों के द्वार खुलतें हैं.
ह्रदय की सुनिए :
जिंदगी की आपा धापी में आप को ह्रदय की गहराइयों की आवाज सुनाई नहीं देती, आप को क्या अच्छा लगता है ? मान लीजिए आप को gardening/ पैंटींग / लिखना / पढ़ना/ म्यूज़िक अच्छा लगता है, बस अपने ह्रदय की सुनिए, जुनून बना लीजिए. APJ कलाम अखबार बेचा करतें थें, विभिन्न अखबारों की हैड लाईनस पढ़तें - पढ़तें लेखक बन गए. देश के उच्चतम पद पर आ गए.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. लिखतें हैं " You start with, better tools will follow ! ".
कुमुदिनी ठाकुर जो नई दिल्ली के DPS स्कूल की प्रिंसिपल हैं, " मैं अत्यंत खुश रहतीं हूँ, मुझें जो काम मिला है, उसें दिल से जुनून से करतीं हूँ, उसे मैनें अपना पसंददीदा काम बना दिया है, सदा प्रसन्नचित्त रहना मेरा स्वभाव बन गया है.
अगर मैं अपनी शेर - ओ - शायरी से किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट ला देता हूँ, तो मेरे लिए यह ईश्वर का बहुत बड़ा ईनाम है. मनोवैज्ञानिक लेखिका व लाइफ कोच हैं, जिन्होंने 14 बेस्ट सेलिंग पुस्तकें लिखी हैं :
" जिंदगी में सबसे अहम् हैं हमारी खुशियाँ, क्या यह प्रसन्नता - का - भाव कहीं किसी बाज़ार में बिकता है ?" खुशियाँ अमोल हैं अद्भूत हैं आसां भी हैं, हम ने मात्र अपनी सोच से मुश्किल बना रक्खा है.
बस अपनें मन में तय कर लीजिए, आप को किस क्रत्य काम या hobby से खुशी मिलती है, मैनें अपने जीवन के 80 वसंत देखें हैं, सबसे ज्यादा मन को सकूँ तब मिलता है, जब आप निस्वार्थ - भाव से किसी को प्रसन्नता से भर देतें हो. यह किस प्रकार से कैसें कब करतें हैं, यह आप का ऐटिट्यूड नजरिया है. लिखना मेरा जुनून है.
जिंदगी के इस मुकाम पर भी मैं स्वतः लिख रहा हूँ. सुबह - सुबह ब्रह्ममुहूर्त के बाद मेरी लेखनी स्वतः चल पड़ती है. 14 पुस्तकें छप चुकी हैं. 2 पुस्तकों का प्रकाशन अगलें वर्ष होनें की संभावना है, बाकी जो ईश्वर की इच्छा है. हां परवर दिगार की अनुकम्पा व अनुग्रह बना रहें, जुनून के साथ जिंदगी जीवंत बनी रहें. कई लोग मेरे से पूछतें हैं आप को बहुत पैसें मिलतें हो गें ? मैं उन्हें मुस्करातें हुए, कहता हूँ मुझें जो खुशियाँ मिलतीं हैं, वो मेरे लिए अनमोल हैं.
-Prof. Sudesh Gogia, योग प्रशिक्षक शिक्षाविद्
sudeshgogia@gmail.com
SJE, New Delhi- 110029.