राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच होगा मुकाबला

राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच होगा मुकाबला

राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच होगा मुकाबला

नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने देश के 16वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एक आदिवासी महिला उम्मीदवार के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को चुना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की अध्यक्षता में आज देर शाम यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में हुई संसदीय दल की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष श्री नड्डा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज की संसदीय बोर्ड की बैठक में हम सभी लोग इस मत पर आए कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के सभी घटक दलों के साथ बातचीत करते हुए हम राष्ट्रपति के लिए अपना प्रत्याशी घोषित करें। 

उन्होंने कहा कि पहली बार किसी आदिवासी महिला उम्मीदवार को प्राथमिकता दी गई है। राजग की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को घोषित किया गया है। इससे पहले करीब साढ़े सात बजे प्रधानमंत्री श्री मोदी भाजपा के केंद्रीय कार्यालय पहुंचे जहां पार्टी अध्यक्ष श्री नड्डा ने उनकी अगवाई की। 

संसदीय बोर्ड की बैठक में श्री मोदी और श्री नड्डा के अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी एल संतोष शामिल हुए। बैठक करीब दो घंटे तक चली।

श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के भुवनेश्वर में हुआ। उन्होंने रमादेवी वूमेंस यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वह 17 मई 2015 से 2021 तक झारखण्ड की राज्यपाल रही। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थी। वह पहली ओडिशा की नेता जिन्हें राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। वह वर्ष 2000 से 2009 तक ओडिशा विधानसभा की सदस्य रही। ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की विधायक रही। वह राज्य सरकार में मंत्री भी रही। वह 1997 में ओडिशा में भाजपा के आदिवासी मोर्च की उपाध्यक्ष थी। 

दूसरी तरफ विपक्षी दलों ने आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार घोषित किया। राष्ट्रपति चुनाव को लेकरआयोजित बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी - माले, राष्टवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), राष्ट्रीय जनता दल, आरएसपी, एआईएमआईएम, समाजवादी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दल शामिल हुए। 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे श्री सिन्हा को राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल् तथा पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद विपक्ष ने अपना उम्मीदवार बनाया है। विपक्षी दलों के संयुक्त बयान को पढ़ते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, विभिन्न धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने 15 जून को नयी दिल्ली में मुलाकात की और संविधान के संरक्षक के रूप में सेवा करने तथा नरेंद्र मोदी सरकार को भारतीय लोकतंत्र और भारत के सामाजिक ताने-बाने को और नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए एक आम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के लिए एक प्रस्ताव अपनाया । 

श्री रमेश ने कहा, हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने सर्वसम्मति से श्री यशवंत सिन्हा को 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के आम उम्मीदवार के रूप में चुना है। उन्होंने कहा कि वह श्री सिन्हा को सर्वसम्मत उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के लिए सभी दलों से चर्चा करेंगे। 

उन्होंने कहा, देश कठिन समय से गुजर रहा है। आदर्श रूप से सरकार और विपक्ष के सर्वसम्मति वाले उम्मीदवार को गणतंत्र के सर्वोच्च पद के लिए चुना जाना चाहिए। इसके लिए हालांकि पहल सरकार द्वारा की जानी चाहिए थी। खेद है कि मोदी सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। 

बयान में कहा गया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार अपने वादों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रही है। इसके अलावा यह ईडी, सीबीआई, चुनाव आयोग, राज्यपाल कार्यालय और अन्य संस्थानों को विपक्षी दलों और राज्य संचालित संस्थानों के खिलाफ हथियार के रूप में दुरुपयोग कर रही है । इसलिए, हम लोगों को आश्वस्त करते हैं कि भारत कि विपक्षी दलों की एकता, जो राष्ट्रपति चुनावों से बनी है, समानता की भावना, आम प्रतिबद्धता और बातचीत के माध्यम से आम सहमति बनाने की भावना आने वाले महीनों में बेहतर रूप से मजबूत होगी ।

-Agency