क्या केंद्रीय हिंदी संस्थान में अनियमितता और सार्वजनिक धन की चोरी चल रही है ?
आज कई सरकारी और गैर सरकारी सस्थानों के बारे में अक्सर भ्रष्ट हैं कामचोर है आलसी निक्कमें रिश्वतखोर इनका पेट मिट्टी भरेगी क्या आदि शब्द सुनने को मिलते है।
क्या केंद्रीय हिंदी संस्थान में अनियमितता और सार्वजनिक धन की चोरी चल रही है?
Vishweshwar Sahni:
आज कई सरकारी और गैर सरकारी सस्थानों के बारे में अक्सर भ्रष्ट हैं, कामचोर है, आलसी, निक्कमें, रिश्वतखोर, इनका पेट मिट्टी भरेगी क्या आदि शब्द सुनने को मिलते है। आज एक ऐसा ही वाकिया फिर सामने आया है जिसकी जानकारी नीचे दे रहे है जो इस प्रकार है:
डॉक्टर अपर्णा सारस्वत एसोसिएट प्रोफेसर केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केंद्र द्वारा 2006-2008 की अवधि में डी लिट् हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश लिया गया था। अध्ययन अवकाश के पूर्ण होने के बाद इन्होंने पुनः केन्द्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केन्द्र पर दिनांक 03.04.2008 को कार्य भार ग्रहण कर लिया था। यू.जी.सी एवं भारत-सरकार के नियमानुसार डी.लिट् सम्बंधित अभिलेख संस्थान में जमा करना आवश्यक था किन्तु आज 2022 तक भी सम्बंधित अभिलेख संस्थान प्रशासन को उपलब्ध नहीं कराया गया है। सम्बंधित पत्र इसकी पुष्टि करता है। यह अनियमितता और सार्वजनिक धन की चोरी है। संस्थान प्रशासन उचित कार्रवाई के स्थान पर इनको पूरा संरक्षण दे रहा है। यह गम्भीर जाँच का विषय है।
अंत में हम यही कह सकते हैं कि एक तरफ प्रधान मंत्री मोदी जी सरकारी सस्थानो की छवि सुधारने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोग सरकारी संस्थानों का दुरुपयोग करके वातावरण गंदा कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि इस मामले पर संबधित विभाग की अतिशीघ्र जांच करेंगे।
-ITN Desk