दिवाली पर पटाखों की बैनिंग का असर: 318 कॉल से टूटा 12 साल का रिकॉर्ड
1 अक्टूबर को दिवाली के दिन और रात में, दमकल विभाग को कुल 318 कॉल प्राप्त हुईं, जिनमें से 280 कॉलें मुख्य रूप से पटाखों के कारण आग लगने की थीं।
पटाखों की आतिशबाजी ने बढ़ाई चिंता
नई दिल्ली: दीपावली के अवसर पर पटाखों पर लगे प्रतिबंध के बावजूद, लोगों ने जमकर आतिशबाजी की, जिससे आग लगने की घटनाओं में पिछले 12 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया। 31 अक्टूबर को दिवाली के दिन और रात में, दमकल विभाग को कुल 318 कॉल प्राप्त हुईं, जिनमें से 280 कॉलें मुख्य रूप से पटाखों के कारण आग लगने की थीं।
रिकॉर्ड तोड़ कॉल की संख्या
दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि इस वर्ष, पिछले 12 वर्षों में सर्वाधिक कॉल्स दर्ज की गईं। अधिकांश कॉल 31 अक्टूबर को शाम 5:00 बजे से 1 नवंबर सुबह 5:00 बजे के बीच आईं। विशेष रूप से, शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे के बीच 78 कॉल प्राप्त हुईं, जबकि शाम 6:00 बजे से रात 11:59 बजे तक कॉल की संख्या बढ़कर 176 हो गई। इसके बाद, रात 12:00 से सुबह 6:00 तक 144 कॉल आईं।
पिछले वर्षों की तुलना
इस बार कॉल की संख्या में पिछले साल की तुलना में 53% की वृद्धि हुई है। पिछले साल, शाम 6:00 बजे से रात 11:59 बजे तक 123 कॉल आई थीं, जबकि रात 12:00 से सुबह 6:00 तक केवल 72 कॉल मिली थीं। दमकल विभाग के लिए यह आंकड़ा चिंताजनक है, क्योंकि 2019 के बाद से यह संख्या सबसे अधिक है।
घायलों की बढ़ती संख्या
इस दौरान, इस वर्ष की घटनाओं में 12 लोग घायल हुए, जबकि पिछले साल कोई भी घायल नहीं हुआ था। यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि लोगों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता की कमी बनी हुई है।
आग लगने की मुख्य जगहें
सूत्रों के अनुसार, 280 कॉल में से लगभग 55% घटनाएं सीधे तौर पर पटाखों के कारण हुईं, जबकि अन्य घटनाएं विभिन्न जगहों पर हुईं। कॉलकाजी, निर्माण विहार और मंगोलपुरी के यू ब्लॉक में बड़ी संख्या में कॉल आईं। इसके अलावा चावला, विकासपुरी, आनंद पर्वत, करोल बाग, और नांगल राय जैसे क्षेत्रों में भी आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं।
दमकल कर्मियों की मुस्तैदी
इस दौरान, दमकल कर्मियों ने न केवल आग बुझाने का काम किया, बल्कि उन्होंने 8 जानवरों और 6 पक्षियों को भी रेस्क्यू किया। यह दर्शाता है कि उनके प्रयास केवल मानव जीवन तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे पर्यावरण और जीव-जंतु सुरक्षा के प्रति भी संवेदनशील थे।
पटाखों के प्रभाव और सरकारी नीतियां
इस वर्ष दिवाली पर पटाखों पर बैन लगाने के बावजूद, जो उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा माने जाते हैं, उनकी बिक्री और उपयोग में कमी नहीं आई। इससे यह स्पष्ट होता है कि लोगों के बीच इस मुद्दे को लेकर जागरूकता की कमी है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को पटाखों की बिक्री और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
जागरूकता अभियान की आवश्यकता
ऐसे समय में, जब आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, यह आवश्यक है कि नागरिकों को सुरक्षा और जागरूकता के बारे में शिक्षित किया जाए। इसके लिए विभिन्न समुदायों और संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं, जिसमें पटाखों के उपयोग के खतरों और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के बारे में जानकारी दी जा सके।
सुरक्षित उत्सव मनाने की दिशा में कदम
सरकार और स्थानीय प्रशासन को भी इस दिशा में सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। न केवल लोगों को सुरक्षित तरीके से दिवाली मनाने के लिए प्रेरित करना, बल्कि उन क्षेत्रों में सख्त निगरानी रखना भी जरूरी है, जहां पटाखों का उपयोग अधिक होता है। इससे न केवल आग लगने की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि दिवाली का त्योहार सभी के लिए सुरक्षित और आनंददायक बना रहे।
भविष्य की योजनाएँ
दमकल विभाग ने अगले वर्षों के लिए योजनाएँ बनाई हैं, जिसमें आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र को और मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर फायर स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता उपलब्ध हो सके।
निष्कर्ष
इस वर्ष दिवाली के दौरान पटाखों के अत्यधिक उपयोग और इसके कारण होने वाली आग लगने की घटनाओं ने हमें गंभीरता से सोचने पर मजबूर किया है। यह स्पष्ट है कि केवल बैन लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा; इसके लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना और सुरक्षित विकल्पों को बढ़ावा देना आवश्यक है। दिवाली का त्योहार खुशियों और उजाले का प्रतीक है, और हमें इसे सुरक्षित और आनंदमय तरीके से मनाने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
--शहाबुद्दीन अंसारी.