उत्तर प्रदेश में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है
काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) का 81वां स्थापना दिवस आज सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ में मनाया गया। सीएसआईआर-सीमैप के चार अनुसंधान केंद्र (बेंगलुरु, हैदराबाद, पंतनगर और पुरारा) ने भी अपने-अपने परिसर में यह विशेष दिन मनाया। इस अवसर पर ई. अनिल यादव, निदेशक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश (यूपीसीएसटी) मुख्य अतिथि थे एवं श्री कमलेश शाह, पूर्व महासचिव, फफाई, विशिष्ट अतिथि थे।
इस अवसर पर डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में उन्होने सीएसआईआर के द्वारा गत वर्षों में सजृत तकनीकियां जैसे चुनावों के दौरान उपयोग होने वाली स्याही, स्वराज्य ट्रैक्टर, तेजस विमान और विमान के उपयोग में आने वाला जैव ईंधन जैसे योगदानों के बारे में उपस्थित जन समूह को अवगत कराया। उन्होने पिछले दो दशकों से भारत को मेन्थॉल मिंट का एक प्रमुख निर्यातक बनाने के लिए सीमैप के द्वारा किए गये प्रयास जैसे उन्नत किस्मों, कृषि प्रौद्योगिकियों और किसानों तक इन सबको पहुंचाने के बारे में जानकारी दी। संस्थान ने सीएसआईआर-सीडीआरआई के सहयोग से मलेरिया रोधी दवा आर्टेमिसिनिन के उत्पादन पर भी काम किया है। आज सीएसआईआर-अरोमा मिशन के कारण, भारत लेमनग्रास सुगंधित तेल में न केवल आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि पिछले वर्ष में भारत ने लगभग 600 टन से अधिक सुगंधित तेल का निर्यात भी किया है।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री कमलेश शाह ने किसानों और आदिवासियों के उत्थान की दिशा में सीमैप के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि सीमैप द्वारा किसानों के निरंतर समर्थन के कारण, मध्यम और छोटे उद्योगों ने आवश्यक तेल के कारोबार में बहुत प्रगति की है और आज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि वह नई जारी किस्मों की खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ाने और उन्हें किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने में संस्थान की मदद करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, श्री कमलेश शाह ने सीमैप द्वारा किसानों और आदिवासियों के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की तथा इन्हीं किसानों के द्वारा आज मध्यम और छोटे उद्योगों ने सुगंधित तेल के कारोबार में बहुत प्रगति की है और आज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वह नई विक्सित प्रजातियों की खेती को बढ़ावा देने का पूरा प्रयास करेंगे।
ई. अनिल यादव, निदेशक, यूपीसीएसटी ने अपने अतिथिय संबोधन में सीमैप द्वारा देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिए निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करना है तो खेती में औषधीय और सुगंधित पौधों तथा उसके उत्पादों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाना चाहिये। उन्होंने बताया कि यूपी सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के तहत मूल्यवर्धन के लिए यूपीसीएसटी सीमैप के साथ मिलकर आगे काम करेगा और किसानों की आय बढ़ाने में भी समर्थन करेगा।
इस अवसर पर जिरेनियम की उन्नत प्रजाति 'सिम-भारत', लेमनग्रास की उन्नत प्रजाति 'सिम-कृष्णप्रिया' और औस-विज्ञान पत्रिका का भी विमोचन किया गया। चारे के रूप में सुगंधित फसलों की उपयुक्तता से संबंधित सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय बकरी प्रबंधन संस्थान (IIGMA) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया गया। पिछले एक साल के दौरान सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। सीमैप परिवार के सदस्य जिन्होंने सीएसआईआर में 25 साल की सेवा पूरी की, उन्हें भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
बाद में, मुख्य अतिथि ने स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए। इस अवसर पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, अनुसंधान और शैक्षिक संस्थानों के संकाय सदस्य, गणमान्य व्यक्ति, विशिष्ट अतिथि और सीमैप के कर्मचारी सदस्य उपस्थित थे।
डॉ. संजय कुमार द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समारोह का समापन हुआ।
Lucknow Bureau