नगर पंचायत रफीगंज से पूर्व चेयरमैन ने की नामांकन दाखिल
अजय कुमार पाण्डेय / अनिल कुमार विश्वकर्मा :
औरंगाबाद: (बिहार) नगर पंचायत, रफीगंज की पूर्व चेयरमैन रह चुकी मीरीख दरखशा ने गुरुवार दिनांक 15 सितंबर 2022 को नगरपालिका आम निर्वाचन चुनाव 2022 के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दी. ध्यातव्य हो कि नामांकन दाखिल करने वाली चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा पूर्व में भी सन् 2012 से लेकर 2017 तक नगर पंचायत रफीगंज का ही चेयरमैन रह चुकी है.
इसके अलावे नामांकन दाखिल करने वाली चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा के पति डॉक्टर गुलाम शाहिद भी पूर्व में नगर पंचायत, रफीगंज का ही सन् 2002 से लेकर 2007 तक चेयरमैन रह चुके हैं. यानी कि पांच वर्षों के लिए नगर पंचायत रफीगंज में पति चेयरमैन बने, तो पांच वर्षों के लिए पत्नी भी चेयरमैन बनकर पद संभाल चुकी है.
इसके अलावे रफीगंज के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब नगर पंचायत की पहली बार सन् 2002 में गठन हुआ था. तब वहां के प्रथम नगर पंचायत, अध्यक्ष भी मीरीख दरखशा के पति डॉक्टर गुलाम शाहिद ही बने थे, और चेयरमैन बनकर 05 वर्षों तक अपना कार्यकाल भी पूरा किया था. हालांकि नगर पंचायत, रफीगंज के संबंध में ही गोरडीहा पंचायत के पूर्व मुखिया व वर्तमान रफीगंज चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा के प्रवक्ता बने, सैयद शाहजादा शाही का कहना है कि रफीगंज में नगर पंचायत गठन होने से पूर्व तक भी रफीगंज अधिग्रहित समिति पद होता था, जिसे चेयरमैन का ही पद माना जाता था.
नामांकन पश्चात जब उपस्थित संवाददाताओं की टीम ने नगर पंचायत, रफीगंज की पूर्व चेयरमैन व वर्तमान प्रत्याशी, मीरीख दरखशा से प्रखंड कार्यालय परिसर रफीगंज में ही सवाल पूछा कि आप पूर्व में भी यहां के चेयरमैन रह चुकी है. लेकिन इस बार जो आपने चेयरमैन पद के लिए ही नामांकन दाखिल किया है. उसमें नगर पंचायत रफीगंज के लिए आपकी मुख्य प्राथमिकता क्या होगी? नगर पंचायत रफीगंज के क्षेत्र में इस बार आप किस मुद्दे पर जनता से वोट मांगेंगी? तब चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा ने उपस्थित मीडिया कर्मियों को पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सबसे पहले तो मैं आप लोगों को यह भी बता देना जरूरी समझती हूं कि नगर पंचायत रफीगंज के लिए मैं एवं मेरे पति यानी कि हम दोनों ने मिलकर विकास के लिए काफी काम किया है, और कार्य करने का अनुभव भी है. इसलिए नगर पंचायत, रफीगंज की जनता ने मुझे आशीर्वाद देकर पुनः चेयरमैन बनाया, तो मैं सबको भरोसा दिलाती हूं कि पुनः ईमानदारी पूर्वक ही कार्य करके सभी विकास कार्य करूंगी.
इसके बाद साथ में ही उपस्थित नगर पंचायत, रफीगंज के पूर्व उप चेयरमैन, हरेंद्र कुमार ने भी चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा का समर्थन करते हुए कहा कि हम लोगो ने पूर्व चेयरमैन के सेशन में लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से विकास का कार्य किया था. तमाम पथ पुलिया, रोड, नाली गली का हम लोगों ने निर्माण कराया था. रफीगंज में डॉक्टर गुलाम शाहिद एक विकास पुरुष के नाम पर जाने जाते हैं. इसके बाद फिर मेरी सरकार बनी.
मैडम मीरीख दरखशा आपके बीच मैदान में उतरी है. मैडम भी 2012 से लेकर 2017 तक अध्यक्ष रह चुकी हैं. मैडम के कार्यकाल में ही मैंने भी उपाध्यक्ष का पद संभाला था. मैडम के कार्यकाल में हम लोगों ने यहां 500 आवास बनाया. 350 हम लोगों ने हाथी मुंडा चापाकल लगवाया. करीब 250 हम लोगों ने नाली गली, पुल पुलिया, आवास बनाया. 500 आवास हम लोगों ने बनवाया. हम लोगों ने करीब 350 पथ प्रकाश लाइट भी लगाया. रफीगंज में लगभग 2,400 हम लोगों ने राशन कार्ड भी बनाया, और सामुदायिक भवन, हम लोगों के गरीब गुरबा का रंग आवास, हमारा सामुदायिक भवन, पुस्तकालय या शमशान शेड, मुर्दा घाट वगैरह सारे लोगो ने हम लोगों ने बनवाया है. मैरिज हॉल भी बनाया है. इस प्रकार आज हम लोग रफीगंज के हजारों हजार जनता यहां पर नामांकन में शामिल हुए हैं. तमाम लोगों का आशीर्वाद भी हम लोगों के साथ हैं. हम लोगों का पूर्ण विश्वास है, आशा है कि भारी से भारी मतों से हम लोग मीरीख दरखशा को विजयी बनाएंगे.
ध्यातव्य हो कि इस बार नगर पंचायत, रफीगंज में भी आरक्षित सीट हो जाने की वजह से रफीगंज के पूर्व उपाध्यक्ष, हरेंद्र कुमार ने भी अपना नामांकन दाखिल नहीं किया है. इसलिए इस बार हरेंद्र कुमार स्वयं भी उपाध्यक्ष नहीं बन सकते, और उपाध्यक्ष पद या वार्ड पार्षद पद के लिए भी दूसरे प्रत्याशियों के लिए ही वोट मांगेंगे, या स्वयं भी अपना कीमती वोट देंगे. वही रफीगंज में वर्तमान चेयरमैन प्रत्याशी बनी, मीरीख दरखशा के लिए नगर पंचायत चुनाव 2022 में प्रवक्ता बने, गोरडिहा पंचायत के पूर्व मुखिया, सैयद शाहजादा शाही ने भी नामांकन पश्चात उपस्थित मीडिया कर्मियों को प्रखंड कार्यालय परिसर में ही संबोधित करते हुए कहा कि विकास का जितना भी छूटा हुआ काम है. जैसे: सफाई है,शिक्षा है. यह इनका प्राथमिकता है. नगर पंचायत रफीगंज वासियों के लिए. सारे दुःख दर्द के साथ शहर में रहने वाली हैं. एक हुजूम है, इनके पीछे सारे लोगों का.
इसके बाद रफीगंज वार्ड नंबर 13 के ही सन् 2002 से 2012 तक पूर्व वार्ड पार्षद रह चुके, डॉक्टर योगेंद्र यादव ने भी चेयरमैन प्रत्याशी, मीरीख दरखशा का समर्थन करते हुए संवाददाता से हुई खास बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर सवाल पूछे जाने के बाद प्रखंड कार्यालय परिसर, रफीगंज में ही कहा कि हम लोगों ने पहली बार अपने कार्यकाल में वार्ड नंबर 13 में दो मंजिला मैरिज हॉल बनवाने का काम किया. वार्ड नंबर 03 में भी नाट्य कला मंच बनवाया. कई जगहों पर छठ घाट, शमशान घाट, सड़क, रोड, नाली गली बनवाने का काम किया. नगर पंचायत, रफीगंज में जो भी विकास की इबारत लिखी गई है. वह हम लोगों के कैबिनेट में ही लिखी गई है. हमारी पत्नी भी सविता सिंह, नगर पंचायत, रफीगंज की वार्ड नंबर 13 से ही चुनाव जीतकर सन् 2012 से 2017 तक पूर्व वार्ड पार्षद रही है.
हम लोग हमेशा ईमानदारी पूर्वक काम करने में ही विश्वास करते हैं. इसलिए हर संप्रदाय के लोग हमारे साथ हैं, और विकास मेरा मुद्दा है. इसी पर हम लोग चुनाव के मैदान में है. लेकिन इस बार के नगरपालिका आम निर्वाचन चुनाव 2022 में सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पूर्व तक जो नगर परिषद या किसी भी नगर पंचायत में नगरपालिका चुनाव संपन्न होता था. तब उस वक्त तक जो भी वार्ड प्रत्याशी किसी भी वार्ड से चुनाव जितते थे, तो वहीं लोगों में से जीता हुआ वार्ड पार्षद प्रत्याशी, अपने अपने चहेते उम्मीदवार को अपना अपना कीमती मत देकर नगर परिषद या नगर पंचायत का अध्यक्ष (चेयरमैन) / उप चेयरमैन भी बनवाते थे.
इस बार बिहार में संपन्न होने जा रही नगरपालिका आम निर्वाचन चुनाव 2022 का रूप रंग ही बदला हुआ है, और अब चेयरमैन या उप चेयरमैन के उम्मीदवार जीते हुए वार्ड पार्षदों से अपना समर्थन न मांगकर, सीधे अब पूरे टाउन क्षेत्र की जनता से घर घर जाकर ही अपने लिए वोट मांगेंगे, और पूरे टाउन क्षेत्र की जनता ही अपना अपना कीमती मत देकर किसी भी प्रत्याशी को चेयरमैन या उप चेयरमैन बनाएगी. जो 05 वर्षों के लिए कोई भी जीता हुआ चेयरमैन या उप चेयरमैन का प्रत्याशी, बिना किसी जनप्रतिनिधि यानी कि जीते हुए वार्ड पार्षदों के दबाव बगैर अब सीधे अपने क्षेत्र की जनता से संवाद स्थापित कर जनता के लिए ही काम करेंगे.
इसलिए अब कोई भी चेयरमैन या उप चेयरमैन बनेगा, तो वह अपने नगर परिषद या नगर पंचायत क्षेत्र में 05 वर्षों तक के लिए स्थाई होगा. नहीं तो पूर्व तक बिहार में जो नगरपालिका का चुनाव होता था. उसमें जीता हुआ वार्ड पार्षद ही वोटिंग करके किसी को भी चेयरमैन या उप चेयरमैन बनाने का कार्य करते थे. इसलिए चेयरमैन या उप चेयरमैन भी हमेशा वार्ड पार्षदों के दबाव में भी रहते थे. और यदि अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी किसी वार्ड पार्षद की बात नहीं सुनते थे, तो उन्हें सरकार गिराने की भी धमकी दी जाती थी. जो अब यह नाटक बिल्कुल खत्म भी हो गया.