जिसका जितना हक बनता है उनको उतना ही आरक्षण दे देना चाहिए:  प्रखंड प्रमुख

जिसका जितना हक बनता है उनको उतना ही आरक्षण दे देना चाहिए:  प्रखंड प्रमुख

जिसका जितना हक बनता है उनको उतना ही आरक्षण दे देना चाहिए:  प्रखंड प्रमुख

अजय कुमार पाण्डेय:

औरंगाबाद: ( बिहार ) विगत शुक्रवार दिनांक  -  23 अक्टूबर 2022 को यानी कि दीपावली के मात्र एक दिन पूर्व ही कुटुंबा प्रखंड प्रमुख, धर्मेंद्र कुमार के अंबा स्थित आवास पर जब संवाददाता की मुलाकात हुई. तब बातचीत के क्रम में ही उनसे राय जानने के उद्देश्य से सवाल पूछा कि विगत 04 अक्टूबर 2022 को जो माननीय उच्च  -  न्यायालय, पटना द्वारा नगर परिषद /  नगर पंचायत की होने वाली चुनाव को आरक्षण के मुद्दे पर ही तत्काल स्थगित कर दिया गया. इस संबंध में आपका क्या राय है? माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा नगर परिषद /  नगर पंचायत का चुनाव स्थगित किए जाने के बाद आपके उपस्थिति में ही लगभग सभी नगर परिषद / नगर पंचायत के प्रत्याशियों ने एकजुट होकर जिला मुख्यालय औरंगाबाद स्थित जननायक कपूर्री मंच में एक बैठक का भी आयोजन किया गया था. उस बैठक का समर्थन आपने भी किया था, और भारतीय जनता पार्टी पर नगर परिषद /  नगर पंचायत चुनाव मामले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए भाजपा के खिलाफ नारेबाजी भी किया गया था,कि भारतीय जनता पार्टी ने हीं अपना राजनीतिक गेम खेल कर इस चुनाव को तत्काल स्थगित करा दिया है.

लेकिन इसी मुद्दे पर औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने भी बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि इस नगर परिषद /  नगर पंचायत के मामले में तो माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुनाया है. तब इसमें भारतीय जनता पार्टी कहां दोषी है? भाजपा तो शुरू से ही पिछड़ा /  अति पिछड़ा वर्ग के साथ - साथ स्वर्ण वर्गों का भी नियमानुकूल तरीके से हितैषी रहा है, जिसके पूर्व के भी कई उदाहरण है. लेकिन ताज्जुब की बात है कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के पक्ष में जब माननीय उच्च न्यायालय या माननीय उच्चतम न्यायालय फैसला देता है. तब कहते हैं कि न्यायालय के फैसले का हम सम्मान करते हैं. लेकिन जब न्यायालय इनके खिलाफ फैसला देता है, तो भाजपा को बदनाम करने के लिए कहते हैं कि भाजपा के इशारे पर ही न्यायालय द्वारा इस तरह का फैसला सुनाया गया है. इसलिए आप इस मुद्दे पर क्या कहना चाहेंगे? तब कुटुंबा प्रखंड प्रमुख, धर्मेंद्र कुमार ने अपनी राय प्रकट करते हुए कहा कि यह काफी चिंतनीय विषय तो है ही. लेकिन मैं आपके माध्यम से ही भारतीय जनता पार्टी के लोगों से पूछना चाहता हूं कि जब राम मंदिर के मामले में माननीय, उच्चतम न्यायालय का फैसला सुनाया जाता है.

तब भाजपा के शीर्ष नेता कहते हैं कि हमने ही राम मंदिर के मामले में ऑर्डर करवा दिया. तब आज नगर परिषद /  नगर पंचायत चुनाव के मामले में आर्डर किसने करवाया? इसके बाद कुटुंबा प्रखंड प्रमुख, धर्मेंद्र कुमार ने संवाददाता से बातचीत के क्रम में ही कहा कि  मेरा कहना है कि केंद्र सरकार ही जातीय जनगणना कराके उसके आधार पर किसी भी वर्गो को उनका हक क्यों नहीं दे देती है? जिस वर्ग का जितना हक बनता है. उनको उसी हिसाब से उतना हक दे दे. मेरा कहना है कि स्वर्ण समाज में भी बहुत ऐसे लोग हैं. जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. इसलिए वैसे गरीब लोगों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना ही चाहिए. लेकिन अभी 10 वर्षों से केंद्र सरकार सरासर गलत ही किया है.

स्वर्ण समाज को भी जो 10% आरक्षण देने का ऐलान किया. उसमें भी 8,00000 ( आठ ) लाख रुपया तक प्रत्येक वर्ष इनकम करने वाले एवं 05 एकड़ तक के जमीन वाले को भी घुसा दिया. यह कहां का न्याय हैं? कि 8,00000 .( आठ ) लाख रुपया तक वार्षिक इनकम करने वाला और 05 एकड़ तक जमीन रखने वाला कोई भी व्यक्ति गरीब है? क्या यह नियम वास्तव में इनकम टैक्स एक्ट नियम के तहत सही है? हां यदि गरीब स्वर्ण समाज को भी 10% आरक्षण ही देना था. तब उसका वार्षिक इनकम 1,00000 ( एक ) लाख रुपया से 2,00000 ( दो ) लाख रुपया तक कर देते. इसलिए इस मामले में भी तो भारतीय जनता पार्टी ने बेईमानीए कर दिया.

इसके बाद बातचीत के क्रम में ही कुटुंबा प्रखंड प्रमुख, धर्मेंद्र कुमार ने भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि वर्तमान दो उद्योगपति तथा दो गुजरात का नेता ही राज कर रहा है. जो व्यक्ति अडानी को दो वर्ष पूर्व भगोड़ा घोषित किया जाता है. प्राथमिकी होता है. वही व्यक्ति दो वर्ष बाद दुनिया का दूसरा नंबर का बड़ा पूंजीपति हो जाता है? लेकिन एक साधारण आदमी थोड़ा भी बैंक से लोन लेने के लिए बैंक में दौड़ते ही रह जाता है. फिर भी बैंक से लोन नहीं मिलता है? जो दुर्भाग्य ही है. इसके बाद प्रखंड प्रमुख ने बातचीत करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार ट्रिपल टेस्ट करवाए रहता, तो आज गरीबों को हक मिलता. इसके बाद ई0डब्ल्यू0एस0 में हमारी भी नहीं होती. इसके बाद संवाददाता से बात करते हुए कुटुंबा प्रखंड प्रमुख ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नेशनल लेवल पर ही ट्रिपल टेस्ट क्यों नहीं करवा ली. बिहार  -  सरकार को कोई मतलब ही नहीं रहता. कोर्ट आदेश को मैं भी मानता हूं. लेकिन और स्टेट में भी यही नियम क्यों नहीं लागू होता है?