2025 में परीक्षा सुधार: पेपर सेटिंग प्रक्रिया में बदलाव और नई दिशा

2025 में परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव होने वाले हैं। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और प्रभावी बनाना है।

2025 में परीक्षा सुधार: पेपर सेटिंग प्रक्रिया में बदलाव और नई दिशा
Exam reform in 2025

नई दिल्ली : 2025 में परीक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव होने वाले हैं। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य परीक्षा की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और प्रभावी बनाना है। इनमें से एक महत्वपूर्ण बदलाव पेपर सेटिंग के लिए नए फार्मूले का परिचय है, जिसे एक रोडमैप के रूप में तैयार किया जा रहा है। उच्च स्तरीय कमेटी ने इस संबंध में अपनी 101 सिफारिशें पेश की हैं, जिनमें पेपर सेटिंग और परीक्षा की सुरक्षा से जुड़े कई अहम बिंदु शामिल हैं।

पेपर सेटिंग में सुधार: कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का महत्व

भारत में शिक्षा क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहे हैं, और इन बदलावों का उद्देश्य छात्रों को एक बेहतर परीक्षा अनुभव प्रदान करना है। वर्तमान में, भारत में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) कई प्रकार के एग्जाम आयोजित करती है, जैसे कि इंजीनियरिंग, मेडिकल, और यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट। इन परीक्षाओं के लिए सवालों के पेपर तैयार करना एक जटिल प्रक्रिया है। ऐसे में, परीक्षा सुधारों के तहत यह सुझाव दिया गया है कि सभी परीक्षा केंद्रों पर डिजिटल माध्यम से पेपर भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाए।

इसके अलावा, पेपर लीक की समस्या को हल करने के लिए, पेपर सेटिंग की प्रक्रिया में भी बदलाव किए जाएंगे। पेपर सेटिंग के लिए एक नया सॉफ़्टवेयर आधारित सिस्टम तैयार किया जाएगा, जिसके तहत एक बड़े सवाल बैंक (Question Bank) का निर्माण किया जाएगा। इस सवाल बैंक के माध्यम से अलग-अलग सवालों का चयन किया जाएगा, जिससे हर परीक्षा के लिए नया पेपर तैयार किया जा सके। यह कदम परीक्षा लीक की समस्या को खत्म करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

पेपर लीक से सुरक्षा: हार्ड कॉपी भेजने की प्रक्रिया खत्म होगी

आईपी यूनिवर्सिटी के महाराजा अग्रसेन बिजनेस स्कूल के डायरेक्टर जनरल, डॉ. एस. के. गर्ग ने इस मुद्दे पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि पेपर लीक की संभावनाओं को समाप्त करने के लिए परीक्षा के सवालों की हार्ड कॉपी भेजने की प्रक्रिया को समाप्त करना होगा। अगर पेपर सॉफ़्टवेयर द्वारा तैयार किए जाएंगे, तो पेपर लीक होने का खतरा बहुत कम हो जाएगा। उनका मानना है कि डिजिटल माध्यम से पेपर तैयार करने और भेजने से पेपर लीक की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

डॉ. गर्ग ने यह भी बताया कि इसके लिए एक बड़ा सवाल बैंक तैयार करना होगा, जिसमें विभिन्न प्रकार के सवालों का संग्रह होगा। इस सवाल बैंक के जरिए परीक्षा के पेपर तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा, सीबीटी (कंप्यूटर आधारित परीक्षा) मोड को लागू करना भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस मोड में पेपर ऑनलाइन तैयार होते हैं और छात्रों को कम्प्यूटर के माध्यम से पेपर दिया जाता है, जो परीक्षा के सुरक्षा मानकों को और मजबूत करता है।

सीबीटी मोड की चुनौतियाँ और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या

कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) का पालन करना एक बड़ी चुनौती हो सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां इंटरनेट और नेटवर्किंग की समस्या है। डॉ. गर्ग ने इस बारे में भी चिंता जताई। उनका कहना है कि देश के दूरदराज़ के क्षेत्रों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी मजबूत नहीं है, जिससे सीबीटी मोड में परीक्षा आयोजित करने में कठिनाई हो सकती है। ऐसे में, यह आवश्यक होगा कि सरकार इन क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके।

यह भी देखा गया है कि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कंप्यूटर या लैपटॉप का भी अभाव होता है। ऐसे में, यदि परीक्षा को पूरी तरह से सीबीटी मोड में किया जाता है, तो यह छात्रों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है। इन मुद्दों का समाधान निकालने के लिए सरकार और शैक्षिक संस्थानों को मिलकर काम करना होगा।

सवाल बैंक और सॉफ्टवेयर आधारित पेपर तैयार करने की प्रक्रिया

प्रशासन और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सॉफ्टवेयर आधारित पेपर सेटिंग प्रक्रिया को लागू करना एक बडी सफलता हो सकती है। इसके लिए एक व्यापक और व्यवस्थित सवाल बैंक तैयार करना होगा, जिसमें हर विषय से संबंधित विभिन्न प्रकार के सवाल हो। इस सवाल बैंक को समय-समय पर अपडेट भी किया जाएगा, ताकि परीक्षा के पेपर में सवालों की विविधता बनी रहे।

सवाल बैंक तैयार करने के लिए उच्च तकनीक वाले सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा, जो प्रश्नों का चयन स्वतः करेगा और पेपर तैयार करेगा। यह प्रक्रिया इतनी सुरक्षित और व्यवस्थित होगी कि परीक्षा के पेपर लीक होने की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा, परीक्षा के संचालन में भी सुधार आएगा, क्योंकि पेपर सेटिंग की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो जाएगी।

पेपर लीक के कारण और उनके समाधान

पिछले कुछ वर्षों में पेपर लीक की घटनाएं बढ़ी हैं, जो परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। यह घटनाएं छात्रों, शिक्षा संस्थानों, और सरकार के लिए चिंता का कारण बन चुकी हैं। पेपर लीक के कारणों में से एक प्रमुख कारण है कि परीक्षा के पेपर को हार्ड कॉपी के रूप में भेजा जाता है, जो सुरक्षित नहीं रहता।

इसके अलावा, कुछ मामलों में, सवालों के पेपर को डिजिटल रूप से भेजा जाता है, लेकिन पर्याप्त सुरक्षा उपायों के अभाव में उन्हें लीक किया जा सकता है। इसलिए, सवाल बैंक की मदद से पेपर सेटिंग की प्रक्रिया को सॉफ़्टवेयर द्वारा नियंत्रित करने से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

2025 में लागू होने वाले परीक्षा सुधारों का उद्देश्य भारत की परीक्षा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है। पेपर सेटिंग की प्रक्रिया में बदलाव और सीबीटी मोड का पालन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया को लागू करने के साथ-साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की उपलब्धता जैसी चुनौतियों का समाधान भी जरूरी होगा, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में।

सभी सुधारों का सही तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए सरकार, शिक्षा मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। इसके साथ ही, छात्रों को इन बदलावों के बारे में जागरूक करना भी जरूरी है, ताकि वे परीक्षा प्रणाली के इन सुधारों का पूरी तरह से लाभ उठा सकें।

यदि यह सुधार सही ढंग से लागू होते हैं, तो भारत की परीक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं, जो न केवल छात्रों के लिए बेहतर परीक्षा अनुभव सुनिश्चित करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षा प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बना सकते हैं।