हरियाणा में शब्दवीणा का परचम: साहित्य और संस्कृति की नई शुरुआत
1 नवंबर को हरियाणा दिवस के अवसर पर, राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' की हरियाणा प्रदेश समिति का गठन एक नई शुरुआत के रूप में हुआ है. इस आयोजन में अनेक साहित्य प्रेमियों और कलाकारों ने भाग लिया,
गया (बिहार): 1 नवंबर को हरियाणा दिवस के अवसर पर, राष्ट्रीय साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' की हरियाणा प्रदेश समिति का गठन एक नई शुरुआत के रूप में हुआ है. इस आयोजन में अनेक साहित्य प्रेमियों और कलाकारों ने भाग लिया, जिससे यह आयोजन और भी विशेष बन गया. शब्दवीणा की संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रो. (डॉ.) रश्मि प्रियदर्शनी ने इस अवसर पर नए पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए उनके द्वारा हिन्दी भाषा और साहित्य के उत्थान के लिए किए जाने वाले प्रयासों की सराहना की.
नये नेतृत्व का चयन :
हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ कवि अशोक कुमार जाखड़ 'निस्वार्थी' को नियुक्त किया गया है. उन्होंने सीआईएसएफ से सेवानिवृत्त होने के बाद साहित्य के प्रति अपने प्रेम को आगे बढ़ाया है. उनकी उपलब्धियों और साहित्यिक योगदान के कारण उन्हें यह सम्मान मिला है. उनके नेतृत्व में, प्रदेश समिति की उपाध्यक्ष के रूप में गुरुग्राम जिले की कवयित्री सुशीला यादव, सचिव के रूप में फरीदाबाद की कवयित्री सरोज कुमार, और संगठन मंत्री के रूप में भिवानी के डॉ. महेन्द्र सिंह 'सागर' को चुना गया है.
नई टीम का समर्पण :
शब्दवीणा की नई समिति में कई अन्य प्रमुख पदाधिकारियों का भी चयन किया गया है. गुरुग्राम जिले की कवयित्री मंजू तंवर 'मंजुल' को प्रदेश कोषाध्यक्ष, फरीदाबाद की सोनल शुक्ल को प्रदेश साहित्य मंत्री, और चरखी जिले की पुष्पलता आर्या को प्रदेश प्रचार मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है. ये सभी पदाधिकारी हरियाणा में हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु तत्पर हैं और उन्होंने एकजुट होकर अपनी जिम्मेदारियों का संकल्प लिया है.
साहित्य की धारा को आगे बढ़ाना :
शब्दवीणा की हरियाणा प्रदेश समिति के सभी पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए कि वे हरियाणा के विभिन्न जिलों में जाकर साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देंगे. उन्होंने साहित्यिक समारोहों, कवि सम्मेलन, और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने का भी आश्वासन दिया. यह केवल भाषा का प्रचार नहीं होगा, बल्कि हरियाणा की संस्कृति और परंपराओं को भी संजोए रखने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
महावीर बजाज का समर्थन :
शब्दवीणा के राष्ट्रीय संरक्षक महावीर बजाज ने इस नई पहल के लिए सभी सदस्यों और पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि हरियाणा में शब्दवीणा का परचम फहराने के लिए कुशल और अनुभवी नेतृत्व का होना आवश्यक है, और इस समिति के गठन से उन्हें इस दिशा में आशा की किरण दिखाई देती है. बजाज ने यह भी कहा कि सभी पदाधिकारियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है, ताकि वे हरियाणा के साहित्यिक जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार कर सकें.
साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना :
शब्दवीणा हरियाणा की नई समिति ने आगे की योजनाओं का भी खुलासा किया है. वे आगामी महीनों में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. इनमें कविता पाठ, निबंध प्रतियोगिताएं, और चर्चा मंच शामिल होंगे. ये कार्यक्रम न केवल हिंदी भाषा को बढ़ावा देंगे, बल्कि युवाओं को भी साहित्य के प्रति आकर्षित करने का एक माध्यम बनेंगे.
सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा में कदम :
हरियाणा की सांस्कृतिक समृद्धि के लिए यह समिति नये विचारों और दृष्टिकोणों को लेकर आएगी. सदस्य विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेकर और नए लेखकों को प्रोत्साहित करके साहित्यिक समुदाय को मजबूत बनाने का प्रयास करेंगे. यह केवल एक संगठन का गठन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत है, जो हरियाणा की पहचान को और मजबूत करेगा.
भविष्य की दृष्टि :
शब्दवीणा की हरियाणा प्रदेश समिति का गठन उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत होगा जो भाषा और साहित्य के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करना चाहते हैं. इस नई टीम का उद्देश्य न केवल हिन्दी साहित्य का प्रचार-प्रसार करना है, बल्कि हरियाणा की सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजना है. ऐसे समय में जब डिजिटल दुनिया का प्रभाव बढ़ रहा है, साहित्यिक संस्थाओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है.
निष्कर्ष :
शब्दवीणा की हरियाणा प्रदेश समिति का गठन एक नया अध्याय है, जो न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस नई पहल के माध्यम से, उम्मीद की जाती है कि हरियाणा में साहित्य और संस्कृति का एक नया युग शुरू होगा, जहाँ शब्दों की शक्ति से समाज को जोड़ने का काम किया जाएगा.
इस प्रकार, महावीर बजाज और उनके सहयोगियों के मार्गदर्शन में, शब्दवीणा का परचम हरियाणा में गौरव के साथ फहरेगा, और यह राज्य एक साहित्यिक और सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में उभरेगा.
--विश्वनाथ आनंद