अपनी सनक से और मतदाताओं की राय जाने बिना दलबदल गैरकानूनी है
दलबदल गैरकानूनी
-एल.एस. हरदेनिया :
एक बार किसी राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक समूह के प्रतिनिधि की हैसियत से यदि कोई व्यक्ति चुना जाता है तो फिर वह उस राजनीतिक पार्टी के विरूद्ध नहीं जा सकता। यदि वह उस राजनीतिक पार्टी पर रहते हुए उस पार्टी के विरूद्ध जाता है तो उसे मतदाताओं की सहमति लेना आवश्यक है। केरल की हाईकोर्ट ने इस संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। केरल की हाईकोर्ट ने स्थानीय संस्था के एक प्रतिनिधि द्वारा जारी याचिका को रद्द करते हुए कहा कि ‘‘यदि उसने दल बदला है तो उसे अपने मतदाताओं की राय जानना चाहिए। वह सिर्फ अपनी इच्छा से अपने मतदाताओं की राय के विरूद्ध नहीं जा सकता।’’
‘‘यदि एक बार किसी भी राजनीतिक पार्टी और राजनीतिक समूह के प्रतीक पर चुने जाने के बाद वह अपनी राय के आधार पर ही दलबदल नहीं कर सकता। यदि वह आजाद उम्मीदवार है और यदि उसे किसी राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक समूह को समर्थन प्राप्त है तो उसे किसी भी हालत में अपना रवैया नहीं बदलना चाहिए और उसे उस मत पर कायम रहना चाहिए जिसके समर्थन से वह चुना गया है।’’ अदालत ने साफ किया है कि ‘‘दलबदल पूरी तरह से गैरकानूनी है यदि वह दलबदल उन लोगों की राय के विरूद्ध किया गया है जिन्होंने उसे चुना है।’’