पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जेल के अंदर हुई मौत
अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) पूर्व विधायक रहे थे. जेल के अंदर पुलिस पुलिस निगरानी में हुई मौत.
नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश बांदा जेल में बंद जेल में बंद पूर्व विधायक 63 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार 28 मार्च की रात को बांदा मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. यह माना जा रहा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई.
अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) पूर्व विधायक रहे थे. उनके खिलाफ 65 आपराधिक मामले लंबित थे. उन्हें सितंबर 2022 से अब तक आठ मामलों में यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी और वर्तमान में वे बांदा जेल में बंद थे.
एक मेडिकल बुलेटिन में बताया गया है कि गुरुवार शाम को उन्हें उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में जेलकर्मियों द्वारा बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन विभाग में करवाया गया था, जहां उन्हें नौ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा तत्काल इलाज दिया गया. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दिल का दौरा पड़ने के कारण मरीज की मौत हो गई.
पिछले हफ्ते मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बाराबंकी की एक अदालत में उनके लिए उचित चिकित्सा की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया गया था कि बांदा जेल के कर्मचारियों द्वारा उन्हें ‘धीमा जहर’ दिया जा रहा है.
अंसारी को महज 18 महीने की अवधि के भीतर आठ मामलों में सजा का सामना करना पड़ा था. दो मामले में उन्हें आजीवन कारावास मिला था. उन्हें अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल में ट्रांसफर किया गया था.
उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजल अंसारी मंगलवार को अस्पताल पहुंचे थे और आरोप लगाया था कि उनके भाई को जेल में जहर दिया गया है.
इससे पहले भी उनके परिजनों द्वारा उनकी जान को खतरा होने की बात दोहराई जाती रही थी.
इस साल जनवरी महीने में ही उनके बेटे उमर अंसारी की याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार सुनिश्चित करें कि मुख्तार अंसारी को किसी अप्रत्याशित स्थिति से न गुजरना पड़े. उमर ने उनके पिता को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए जेल परिसर के भीतर उनकी सुरक्षा का मुद्दा उठाया था.
मुख्तार अंसारी के परिवार ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार बांदा जेल में उनकी हत्या करने की योजना बना रही है.
अपनी याचिका में मुख्तार के बेटे उमर ने आदित्यनाथ सरकार पर अंसारी के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण रुख’ अपनाने और जेल में रहने के दौरान उन्हें खत्म करने के लिए ‘बड़ी साजिश’ रचने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया था कि अंसारी की जान को खतरे की आशंका मुख्तार को मिली ‘विश्वसनीय जानकारी’ पर आधारित है और बांदा जेल में उसकी हत्या करने के लिए राज्य सरकार द्वारा साजिश रची जा रही है.
उनका कहना था कि 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या- जिसमें मुख्तार को 2023 की शुरुआत में संबंधित मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी- में आरोपी कई लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल ने समान परिस्थितियों में मार डाला था.
उनके बेटे, भाई और परिवार के सदस्यों द्वारा उनकी जान को ख़तरे को लेकर बार-बार कोर्ट में बात उठाई गई जिसको कोर्ट ने भी नहीं सुनी. जेल के अन्दर मौत संदेह के दायरे में आता है और सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे भी राजनीतिक षडयंत्र शामिल है.
इनपुटः सोशल मीडिया
इस्माटाइम्स न्यूज डेस्क