लज्जाशंकर हरदेनिया-संयोजक राष्ट्रीय सेक्युलर मंच ने हाथरस की घटना पर शोक व्यक्त किया और दिए कुछ सुझाव
उत्तरप्रदेश में 136 अकाल मौतें अत्यधिक दुखद हैं. ये मौतें अंधविश्वास की परिणाम हैं. भीड़ बाबा के संपर्क में आने का प्रयास कर रही थी. उनका विश्वास था कि यदि उनसे संपर्क प्राप्त कर लिया जाता है तो उनकी किसी भी प्रकार की मंशा पूरी हो जाएगी. यह विश्वास पूर्ण रूप से अविश्वास से भरपूर है.
हमारे संविधान में इस बात पर जोर दिया गया है कि हम वैज्ञानिक समझ पैदा करें. नागरिकों के कर्तव्यों में भी इस बात का उल्लेख किया गया है, परंतु हमारी सरकार संविधान के उन प्रावधानों पर उचित कदम उठाने के स्थान पर यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस कर रही है. यह मेरी नज़र में उचित नहीं है. सर्वप्रथम प्राथमिकता पर अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी चाहिए.
पिछले दिनों महाराष्ट्र में दो विद्वान व्यक्तियों की हत्या कर दी गई थी. क्योंकि वह अंधविश्वास के विरूद्ध काम कर रहे थे. उनमें से एक मामले में हत्यारों को सज़ा भी दे दी गई है.
इसी तरह कर्नाटक में एक बहादुर महिला (लंकेश) की भी दिन दहाड़े हत्या कर दी गई क्योंकि वे भी अंधश्रद्धा के विरूद्ध अभियान चला रहीं थीं. ये तीनों बहादुर हमारे प्रेरणा के स्त्रोत हैं. हमारा प्रयास होगा कि इन तीनों के कुछ साथियों को या उनके परिवार के सदस्यों को जो उनसे सहमत थे, भोपाल बुलाया जाए.
मैं आज इस बयान के माध्यम से उन सभी परिवारों के साथ अपनी श्रद्धांजलि प्रगट कर रहा हूँ. साथ ही उत्तरप्रदेश की सरकार से अनुरोध कर रहा हूँ कि वे उन लोगों को सख्त से सख्त सज़ा दिलवायें जिन्होंने उस कार्यक्रम को आयोजित किया था जिसके कारण 136 (संख्या ज्यादा भी हो सकती है) लोगों की अकाल मृत्यु का आलिंगन करना पड़ा.