औरंगाबाद जिले में मुख्यमंत्री का अजीब हुआ समाधान यात्रा संपन्न
अजय कुमार पाण्डेय:
औरंगाबाद: (बिहार) समाधान यात्रा के नाम पर बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार सोमवार दिनांक - 13 फरवरी 2022 को औरंगाबाद जिला अंतर्गत बारुण थाना क्षेत्र के पंचायत सरकार भवन, कंचनपुर में हेलीकॉप्टर से दोपहर लगभग 2:00 बजे पहुंचे तो जरूर. मुख्यमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर एक नहीं, बल्कि कंचनपुर में बनी हेलीपैड के पास दो हेलीकॉप्टर पहुंची.
मुख्यमंत्री को देखने के लिए क्षेत्रीय जनता भी काफी संख्या में लालायित रही. लेकिन वास्तव में जो वहां संवाददाता ने नजारा देखा. वह सचमुच में अजीब ही लगा. हुआ यूं कि कंचनपुर एवं अगल - बगल गांव की भोली-भाली जनता माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार को देखने के लिए पहुंची जरूर. मगर सही से मुख्यमंत्री का चेहरा भी नहीं देख पाया. इतना ही नहीं औरंगाबाद जिला से चलकर मुख्यमंत्री का न्यूज़ कवरेज करने के लिए प्रिंट / इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मी भी जो कंचनपुर पहुंचे. वे मीडिया कर्मी भी ना तो मुख्यमंत्री का सही ढंग से फोटो ले पाए, और ना ही वीडियोग्राफी. क्योंकि सुरक्षा में तैनात सिर्फ कमांडो के बीच ही बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार घिरकर रह गए.
मुख्यमंत्री के ड्यूटी में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने मीडियाकर्मियों के साथ भी ऐसा व्यवहार किया. कि ना तो सही ढंग से मुख्यमंत्री का फोटो लिया गया. और नाही वीडियोग्राफी. मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार हेलीपैड से उतरकर सीधा पंचायत सरकार भवन, कंचनपुर में प्रवेश कर गए, और औपचारिक तौर पर पंचायत सरकार भवन, कंचनपुर का उद्घाटन भी सुरक्षाकर्मियों के बीच ही करके निकल गए. इसके बाद प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को सिर्फ दिखाने के उद्देश्य से पंचायत भवन, कंचनपुर के समीप लगाए गए स्टॉल पर पैदल मार्च कराते हुए घुमा दिया गया.
क्षेत्रीय जनता वेरीगेटेड के पीछे मुख्यमंत्री को देखने के लिए या फिर अपनी-अपनी समस्याओं से संबंधित आवेदन देने के लिए लाइन में खड़ी ही रह गई. लेकिन मुख्यमंत्री सिर्फ बनाए हुए रास्ते से गुजर कर ही चलते बने. क्षेत्रीय जनता का आवेदन भी लिया गया. तब चाहे तो किसी पदाधिकारी ने लिया. या नहीं तो फिर किसी सुरक्षाकर्मियों ने ही आवेदन लिया. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने ना तो किसी पब्लिक से कोई बात किए और ना ही कंचनपुर में कोई जनसभा ही की.
इसी वजह से कंचनपुर एवं इर्द-गिर्द की पहुंची हुई भोली-भाली जनता भी मुख्यमंत्री से काफी नाराज दिखे. मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार कंचनपुर में बगैर जनसभा किए हुए आधे घंटे के अंदर ही 2:30 बजे सड़क मार्ग से निकलकर सीधा समाहरणालय स्थित योजना भवन सभागार पहुंच गए. जहां समीक्षा बैठक के नाम पर पहुंचना था. और संध्या लगभग 4:00 बजे योजना भवन सभागार से बाहर निकलकर चार पहिया वाहन में सवार होकर गेट स्कूल स्थित बने हेलीपैड के पास पहुंचकर सीधा पटना के लिए प्रस्थान कर गए. जबकि समाहरणालय स्थित योजना भवन के बाहर भी औरंगाबाद के सभी मीडिया कर्मी खड़े होकर इंतजार करते ही रहे. कि माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जब समीक्षा बैठक करके बाहर निकलेंगे.
तब मीडिया कर्मियों को पूछे गए सवालों का जवाब अवश्य देंगे. लेकिन बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने औरंगाबाद मीडिया कर्मियों के साथ ऐसा कर दिया. कि योजना भवन सभागार से जब समीक्षा बैठक करने के बाद बाहर भी निकले. तब औरंगाबाद जिले के सभी मीडिया कर्मी मुख्यमंत्री से सवाल पूछने के लिए खड़े ही रह गए. मगर बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने औरंगाबाद जिले के मीडिया कर्मियों को कोई सवाल पूछने का मौका ही नहीं दिया. तो फिर औरंगाबाद जिले के उपस्थित मीडिया कर्मियों को जवाब कहां से मिलेगा.
इसलिए औरंगाबाद जिले के मीडिया कर्मियों को सवाल पूछना या जवाब लेना भी संभव नहीं हो पाया. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने समाहरणालय स्थित योजना भवन सभागार के बाहर निकलकर सवाल पूछने का मौका भी उन्हीं मीडिया कर्मियों को दिया. जो उन्हीं के लिए बाहर से गुणगान करने के उद्देश्य से मीडिया कर्मी औरंगाबाद जिले में आए हुए थे. इसी वजह से औरंगाबाद जिले के मीडिया कर्मियों में भी काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. और औरंगाबाद जिला के मीडिया कर्मियों में भी काफी रोष व्याप्त है. तब ऐसी परिस्थिति में सवाल तो उठेगा ही. कि आखिर इतनी मोटी रकम सरकारी खर्च करके समाधान यात्रा के नाम पर बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार किसी भी जिले में भ्रमण करके बिहार वासियों को क्या दिखाना चाहते हैं. यह कैसा समाधान यात्रा है. जो पब्लिक को भी समझ में नहीं आ रही है.
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री के औरंगाबाद जिले में आगमन से मात्र एक दिन पूर्व ही जब औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह के आवास पर बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री व गया शहर के 09 बार विधायक बने डॉक्टर प्रेम कुमार के साथ प्रेस कॉफ्रेंस का आयोजन किया गया था. तब उसी वक्त उपस्थित स्थानीय मीडिया कर्मियों ने औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह से सवाल पूछा था कि आपको मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के समाधान यात्रा में आमंत्रण पत्र मिला है या नहीं. आप उसमें जाएंगे या नहीं.
तब औरंगाबाद भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने भी उपस्थित मीडिया कर्मियों को पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि मुझे सांसद होने के नाते आधिकारिक तौर पर आमंत्रण तो मिला है. लेकिन मेरा सोमवार दिनांक - 13 फरवरी 2023 तक लोकसभा का सत्र भी चल रहा है. जिसमें सभी सांसद का रहना अनिवार्य होता है. और जहां तक माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार द्वारा औरंगाबाद में समीक्षा बैठक करने की बात है. तो मात्र 35 मिनट में ही मुख्यमंत्री औरंगाबाद जिले का क्या समीक्षा कर पायेगे. निर्धारित समयानुसार 2:55 में माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार समीक्षा बैठक में पहुंचेंगे ही. और 3:30 बजे औरंगाबाद से पटना के लिए प्रस्थान भी कर जाना है.
यदि माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार को सचमुच में औरंगाबाद जिले के लिए समीक्षा ही करनी है. तो एक दिन का पूरा समय दें. तभी तो वास्तव में औरंगाबाद जिला का समाधान होगा. क्योंकि 10 - 15 मिनट तो कम से कम एक दूसरे के परिचय लेने देने में ही समय चला जाता है. बाकी बचा मात्र 20 मिनट. तो ऐसी परिस्थिति में क्या समीक्षा हो पायेगी. इसलिए यह सिर्फ कोरम पूरा करने वाली ही बात है. और सिर्फ समाधान यात्रा के नाम पर मोटी सरकारी राशि का दुरुपयोग ही किया जा रहा है. इसलिए यह समाधान यात्रा नहीं. बल्कि व्यवधान यात्रा है.
ज्ञात हो कि सोमवार दिनांक - 13 फरवरी 2023 को औरंगाबाद जिला अंतर्गत बारुण प्रखंड के पंचायत सरकार भवन, कंचनपुर के पास जिले के मौजूद मीडिया कर्मियों एवं क्षेत्रीय जनता के साथ मुख्यमंत्री के सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों ने जो व्यवहार किया सो. तो किया ही. लेकिन ताज्जुब की बात यह भी रही कि पंचायत सरकार भवन, कंचनपुर के पास जदयू के पूर्व दो विधायक, औरंगाबाद जिले के कई नेताओं व कंचनपुर मुखिया, बसंत कुमार सिंह को भी मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों ने ढकेल दिया. और मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया. तथा जब मुख्यमंत्री लगाए गए स्टॉल में सुरक्षाकर्मियों के साथ घूम रहे थे. तब औरंगाबाद के प्रभारी जिला एवं सूचना जनसंपर्क पदाधिकारी, कृष्णा कुमार भी वेरीगेटेड के बाहर ही नजर आए. तथा सबके सामने ही कहते सुने गए. कि क्या करें. समझ में नहीं आता है.
इसके अलावे मुख्यालय स्थित अनुग्रह नारायण सिन्हा महाविद्यालय के समीप ही पूर्व बिहार विधान पार्षद, पर्याप्त शिक्षाविद व राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉक्टर शंकर दयाल सिंह का आदमकद प्रतिमा एवं स्मृति परिसर अनावरण का भी कार्यक्रम था. मगर उसमें भी बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. इस वजह से भी औरंगाबाद वासियों में काफी रोष व्याप्त है. जबकि डॉक्टर शंकर दयाल सिंह के आदमकद प्रतिमा एवं स्मृति परिसर के कार्यक्रम में परंपरा अनुसार वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधिवत पूजा - पाठ किया गया. जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जनता के बीच ही संध्या तकरीबन 4:34 बजे आदमकद मूर्ति का अनावरण कर दिया गया.
इस कार्यक्रम में औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक आनंद शंकर सिंह, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश संसदीय बोर्ड उपाध्यक्ष, चंद्रभूषण कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह, लोजपा (रामविलास) के औरंगाबाद जिलाध्यक्ष, अनूप कुमार ठाकुर, लोजपा (रामविलास) के मीडिया प्रभारी, रोहित कुमार सिंह, नगर परिषद, औरंगाबाद के चेयरमैन, उदय कुमार गुप्ता, उप चेयरमैन, मोहम्मद एहसान, मदनपुर प्रखंड अंतर्गत बेरी पंचायत की मुखिया रीता देवी के प्रतिनिधि, प्रफुल्ल कुमार सिंह, व्यापार मंडल अध्यक्ष, महेश्वर सिंह, जिला विधि संघ अध्यक्ष, रसिक बिहारी सिंह बगैरह के साथ-साथ काफी संख्या में औरंगाबाद जिले के लोग भी शामिल होकर डॉक्टर शंकर दयाल सिंह की बनी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए नमन किया. इसलिए ऐसी परिस्थिति में सवाल तो अवश्य उठेगा ही. कि आखिर इतनी मोटी सरकारी राशि खर्च करके बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जनता के बीच क्या दिखाना चाहते हैं. जो बहुत बड़ा सवाल तो है ही.