लोजपा (रामविलास) रफीगंज समीक्षा बैठक में नेत्री कुसुम देवी ने की झकझोर कर देने वाली बात...
अजय कुमार पाण्डेय / अनिल कुमार विश्वकर्मा :
औरंगाबाद: ( बिहार ) लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) की ओर से रफीगंज स्थित एक निजी होटल के हॉल में शनिवार दिनांक 03 सितंबर 2022 को पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के लिए जिला समीक्षा बैठक बुलाई गई थी. इसी क्रम में जब बैठक के दौरान मंच पर कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व लोक जनशक्ति पार्टी प्रत्याशी रह चुकी महिला नेत्री, कुसुम देवी को बोलने के लिए आमंत्रित किया ग.
तब सर्वप्रथम तो प्रदेश संसदीय बोर्ड उपाध्यक्ष, चंद्रभूषण कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह से मीटिंग में पहली बार मुलाकात होने के नाम पर उन्हें माला अर्पित की. इसके बाद नवनियुक्त मीडिया प्रभारी, रोहित कुमार से भी प्रथम बार ही मुलाकात हुई थी. इसलिए उन्हें भी एक माला अर्पित करते हुए एक माला कार्यक्रम में उपस्थित समस्त भाईयों, बहनों के लिए भी अर्पित करते हुए अपना संबोधन प्रारंभ की.
संबोधन इतना जबरदस्त था, कि मंच से संबोधन के दौरान कार्यक्रम में उपस्थित समस्त पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की नजर सिर्फ महिला नेत्री, कुसुम देवी पर ही टिकी रही. कहने का तात्पर्य है की महिला नेत्री ने अपने पूरे भाषण में कार्यक्रम में उपस्थित समस्त लोगों को मजाकिया लहजे में ही झकझोर कर रख दिया.
मंच से अपने संबोधन में कहा कि मुझे तो इस कार्यक्रम की खबर भी नहीं मिली थी. मगर जानकारी होने के बाद मैं प्रभारी से मिलने आ गई. जो मुझे भी उचित लगा. लोक जनशक्ति पार्टी के पार्टी संस्थापक, माननीय, स्वर्गीय रामविलास पासवान जी कहते थे, कि जहां का फूल खिला हुआ है, वहां का माली ईमानदार है. मगर जहां का फूल मुरझाया हो, तो वहां का माली बेईमान है.
इसलिए पार्टी का अध्यक्ष भी पिता सम्मान ही होता है. इसलिए पिता को भी एक नजरों से ही देखना चाहिए. पार्टी में भी सभी प्रकार के फूल चलना चाहिए. चाहे पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता अधरा हो, या लंगड़ा. आखिर है तो अपने पार्टी का ही कार्यकर्ता. इसलिए सबको एक नजरों से ही देखना चाहिए. भले ही मैं भी 20 वर्षों से राजनीति कर रही हूं. मगर जीवन में हमेशा सीखना चाहिए.
माननीय, चिराग पासवान का मंदिर आमजनों का कहीं भी हो सकता है. लेकिन यहां तो ईगो बड़ा है. माननीय, स्वर्गीय रामविलास पासवान जी ऐसे छत्रछाया थे, जिन्हें सभी पार्टी में छत्रछाया मिलता था. यदि सचमुच में गरीबों के लिए लड़ाई लड़ना है, तो धरना भी देना होगा. नहीं तो एक कहावत है कि लड़े सिपाही और नाम हवलदार का. ऐसा नहीं होना चाहिए. माननीय, चिराग पासवान जी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सबसे पहले खाई को भरना होगा.