राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कदम मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कदम मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा
Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए पिछले १५ वर्षों से विधायक एवं जनता की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य में १९ नए जिलों के गठन की घोषणा की है। गहलोत का यह कदम मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। राज्य में आखिरी जिले का गठन २००८ में प्रतापगढ़ के रूप में किया गया था। उसके बाद जनता द्वारा लगातार अपने क्षेत्र को जिले में परिवर्तित करने की मांग की जा रही थी। किंतु हर समय तत्कालीन सरकार उन मांगों को नजरअंदाज करती रही। किंतु इस बार गहलोत ने आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए नए जिले के गठन की मांग को स्वीकार कर लिया है। राज्य में अब कुल जिलों की संख्या ५० हो जाएगी इसके अलावा ३ नए संभाग भी बनाए गए हैं।

घोषणाओं का पिटारा
सरकार ने इस बार महिला, युवा एवं किसानों की मांग को देखते हुए २० से अधिक राहत योजनाओं की घोषणाएं भी की हैं। इन घोषणाओं से गहलोत सरकार को उम्मीद है कि जनता का विश्वास जीतने में वे कामयाब होंगे एवं आगामी चुनाव में उनकी स्थिति मजबूत होगी। गहलोत को विश्वास है कि इससे वे वर्षों से चली आ रही परंपरा को इस बार तोड़ने में कामयाब रहेंगे। राजस्थान में एक बार कांग्रेस और अगली बार बीजेपी सरकार की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। अत: गहलोत ने इस परिपाटी को तोड़ने के लिए खुले मन से राहत कार्यों की घोषणा की है। उनकी इस राहत घोषणाओं में कुछ योजनाएं हैं, ४० लाख महिलाओं को स्मार्ट फोन का वितरण रक्षाबंधन के शुभ अवसर से किया जाएगा। कर्मचारियों को रिटायरमेंट के दिन ही मिलेंगे पेंशन के सारे लाभ। इसके लिए उन्हें दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, साथ ही साथ ७५ वर्ष से ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को १० परसेंट पेंशन बढ़ाने की घोषणा भी की गई है।

बदल जाएगा भूगोल
राज्य सरकार ने जयपुर को ४ जिलों में विभाजित किया है। इसमें उत्तर जयपुर, दक्षिण जयपुर, दूदू एवं कोटपूतली जिले का निर्माण किया गया है। जोधपुर को ३ विभागों में बांटा है। पूर्व जोधपुर, पश्चिम जोधपुर एवं फलोदी ऐसे ३ जिलों का गठन किया गया है। सरकार ने १९ नए जिलों के गठन की घोषणा तो कर दी, किंतु इसके क्रियान्वयन में करीब १ वर्ष का समय लग जाएगा क्योंकि १ जिले में औसतन ४० सरकारी विभाग होते हैं और हर विभाग में करीब १२ कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। अत: १९ जिलों में कुल १,००० कर्मचारियों का आवश्यकता होगी।