सुन्नखी पंजाबन ने 19 फरवरी दिन रविवार को कोमांतरी मां बोली दिवस
Sunkhi Punjaban celebrated Komantri Maa Boli Day
राजौरी गार्डन में सरदार जी दी भट्ठी पर मनाया गया
इस प्रोगराम में सारी सुन्नखी पंजाबनो ने अपने हुनर को दिखाते हुए अपनी मातृ भाषा को सम्मान में कविता , पंजाबी भाषा पर आधारित पंजाबी सभियाचारक एक्ट और , पंजाबी लोक गीत की पेशकारी की. सुन्नखी पंजाबन की संचालक डॉ. अवनीत कौर भाटिया ने बताया कि भाषा एक साधन है, जिस से हम अपने विचार को दूसरो के सामने बोल के या लिख के प्रकट कर सकते है.
किसी भी कौम की पहचान उस के इतिहास सभयाचार और उसकी मां बोली से होती है. किसी ने खूब कहा है "किसी से बात करनी हो तो कोई भी भाषा में की जा सकती है पर किसी का दिल जीतना हो तो उसकी मां बोली में बात करो अपने आप अपना पन महसूस होगा"! देश विदेश में कोमांतरी मां बोली दिवस मनाया जाता है.
पंजाबनो ने पूरी 35 अक्षर का सत्कार करते हुए फुलकारी जो की एक पंजाबी सभ्याचार का पहनावा है को साथ दिखाते हुए झलक दिखाई. पंजाबना ने अपने विचार रखते हुए बताया कि मां बोली में बातचीत करते हुए व्यक्ति को लोग अनपढ़ या गवार समझते है , परंतु हमे मान और फर्क होना चाइए कि हम अपनी मां बोली पंजाबी के वारिस है अगर हम अपनी मां बोली को भूल जाएंगे तो हमारी आगे की पीढ़ी अपनी बोली से वर्जित रह जाएगी.
इस प्रोगराम में आए गए सभी को दविंदर कौर फाउंडेशन की तरफ सभ्यचार से जोड़ने वाला एक अनमोल खूबसूरत तोहफा जो कि 35 अक्षर जो की पंजाबी वर्ण माला होती है उसकी तख्ती भेट की गई.
सुन्नखी पंजाबन ने सभयाचार की महत्वता को बरकरार रखने की यह खूबसूरत कोशिश हर साल बड़ी धूम - धाम से मनाई जाता है.