विंध्याचल में 13 अगस्त को ही मनाया जाएगा मां विंध्यवासिनी का 52वा जयंती समारोह: राजन पाठक
अजय कुमार पाण्डेय
विंध्याचल: ( मिर्जापुर ) उत्तर प्रदेश राज्य अंतर्गत मिर्जापुर जिले के अंदर पड़ने वाली मां विंध्यवासिनी का विश्व विख्यात मंदिर ( जनपद विंध्याचल ) में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी परंपरा अनुसार आगामी शनिवार दिनांक 13 अगस्त 2022 को ही 52वा जयंती समारोह के रूप में मनाया जाएगा. समाचार प्रेषण पूर्व जब इस संबंध में संवाददाता ने मां विंध्यवासिनी मंदिर कमिटी अध्यक्ष, राजन पाठक से मोबाइल पर संपर्क स्थापित कर विभिन्न मुद्दों पर बातचीत कर सवाल पूछा, तो पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी परंपरा अनुसार मां विंध्यवासिनी का 52वा जयंती समारोह, बृहत श्रृंगार, पूजन, प्रसाद वितरण एवं अखिल भारतीय संगीत समारोह 2022 का आयोजन शनिवार दिनांक 13 अगस्त 2022 को ही किया जाएगा, क्योंकि इस वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष महीने में प्रतिपदा तिथि की हानि हो रही है. इस वर्ष जहां तक रक्षाबंधन की बात है, तो गुरुवार दिनांक 11 अगस्त 2022 की रात्रि 8:30 बजे तक भद्रा नक्षत्र ही लग रहा है. 8:30 बजे रात्रि के बाद ही भद्रा नक्षत्र की समाप्ति हो रही है. इसके अलावे ऐसे भी हिंदू धर्म में मान्यता अनुसार उदया तिथि को ही कोई पर्व मनाया जाता है.
इसलिए इस वर्ष श्रावण शुक्ल पक्ष माह में पूर्णिमा की उदया तिथि गुरुवार दिनांक 11 अगस्त 2022 के बजाय शुक्रवार दिनांक 12 अगस्त 2022 को ही हो रही है. इसी लिए इस वर्ष रक्षाबंधन का महापर्व भी गुरुवार दिनांक 11 अगस्त 2022 के बजाय शुक्रवार दिनांक 12 अगस्त 2022 को ही सुबह 7:00 बजे तक मनाया जाएगा. जो शुभ होगा. इसके बाद जब संवाददाता ने मंदिर कमिटी अध्यक्ष, राजन पाठक से विंध्याचल के संबंध में विस्तृत जानकारी ली, तो पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जहां पर विंध्याचल में मां गंगा तथा विंध्य पर्वत का समागम है. वही पर मां विंध्यवासिनी का असली रूप में आगमन भी हुआ है. ये खुद स्वयंभू है.
विंध्याचल में भगवान राम भी आकर आराधना किए हैं. बड़े बड़े ऋषि मुनि, संत महात्मा, राक्षस भी मां विंध्यवासिनी की आराधना कर सिद्धि प्राप्त कर चुके है. इसके बाद जब पूछा कि इस बार मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कौन कौन अधिकारी आएंगे. तब जवाब देते हुए कहा कि मिर्जापुर जिला के वरीय अधिकारी तो आएंगे ही. मगर अभी तक किसी भी अधिकारियों का नाम फाइनल नहीं हो सका है. तब पूछा कि इस बार आयोजित होने जा रही मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह में कहां कहां से, कौन कौन चर्चित देवी जागरण कलाकार आ रहे हैं. तब जवाब देते हुए कहा कि इस बार आयोजित होने वाली कार्यक्रम में चर्चित देवी जागरण कलाकार के रूप में दिल्ली, कोलकाता, राउरकेला, वाराणसी, इलाहाबाद सहित कई स्थानों से भी लोग आएंगे. इसके बाद मंदिर कमिटी अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया कि सन् 2020 में कोरोनाकल की वजह से सिर्फ साधारण तरीके से मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह के पावन मौके पर सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन नियमों का अनुपालन करते हुए श्रृंगार, पूजन एवं प्रसाद वितरण किया गया था. लेकिन सन 2020 में संध्या पश्चात से प्रारंभ होकर रात भर तक चलने वाली देवी जागरण की प्रस्तुति चर्चित कलाकारों द्वारा नहीं कराई गई थी.
इसके बाद सन् 2021 में भी सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन नियमों का अनुपालन करते हुए विधिवत श्रृंगार, पूजन व प्रसाद वितरण किया गया था, तथा कोरोनाकाल जारी रहने की वजह से ही सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन नियमों का अनुपालन करते हुए देश भर के चर्चित देवी जागरण कलाकारों द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुति कराई गई थी. परंतु अब इस वर्ष सन् 2022 में वैश्विक महामारी कोरोना का समय खत्म हो चुका है.
इसलिए प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी परंपरा अनुसार मां विंध्यवासिनी का 52वा जयंती समारोह काफी धूमधाम से शनिवार दिनांक 13 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. जिसमें देश भर के चर्चित देवी जागरण कलाकार भी अपने पूरे टीम के साथ विंध्याचल पहुंचकर संध्या पश्चात से लेकर रात भर देवी जागरण की प्रस्तुति देंगे. मां विंध्यवासिनी के 52वा जयंती समारोह अवसर पर बृहत श्रृंगार, पूजन व प्रसाद वितरण भी किया जाएगा.
ध्यातव्य हो कि प्रत्येक वर्ष मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह तथा अखिल भारतीय संगीत समारोह ( देवी जागरण ) का आयोजन भाद्र पद माह के कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि को ही किया जाता है. यानी कि प्रत्येक वर्ष श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि ( रक्षाबंधन ) समाप्त होने के एक दिन पश्चात दूसरे दिन भाद्र पद माह में कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि को ही मां विंध्यवासिनी जयंती समारोह व देवी जागरण का आयोजन काफी धूमधाम से किया जाता है. जहां देश भर से मां विंध्यवासिनी के भक्त विंध्याचल पहुंचकर बृहत श्रृंगार, पूजन, प्रसाद वितरण कार्यक्रम में भाग लेते हुए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, और संध्या पश्चात से लेकर रात भर तक चलने वाली देवी जागरण में भाग लेकर भक्ति का भी आनंद उठाते हैं. मैं यहां पर अपने पाठकों को यह भी जानकारी दे देना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश राज्य अंतर्गत मिर्जापुर जिला के अंदर पड़ने वाली जनपद विंध्याचल में जो मां विंध्यवासिनी का विश्व विख्यात मंदिर है.
यह वही मंदिर है कि जब नंद पुत्री यशोदा की बेटी मां विंध्यवासिनी को कंस ने मारने की नियत से ही उठाकर पटक देना चाहा था, तो मां विंध्यवासिनी ने आकाशीय मार्ग से उड़कर कंस को चेतावनी देते हुए कहा था कि तुम मुझे क्या मारोगे रे कंस? तुम्हें तो मारने वाला माता देवकी का आठवां पुत्र, कृष्ण गोखुला में जन्म ले चुका है, और यही नंद पुत्री यशोदा की बेटी मां विंध्यवासिनी उत्तर प्रदेश राज्य अंतर्गत मिर्जापुर जिला के अंदर पड़ने वाली जनपद विंध्याचल में विंध्य पर्वत पर आकर विराजमान हुई थी. जो आज तक मां विंध्यवासिनी इसी स्थान पर जागता रूप में भी विराजमान है, जिसके कई उदाहरण सबके सामने भी मिल चुका है, और विश्व विख्यात विंध्याचल ही एक ऐसा तीर्थ स्थान है. जहां मां विंध्यवासिनी तीनो रूप में विराजमान है. यानी कि पूर्वी भाग में मुख्य बाजार स्थित मां विंध्यवासिनी का मंदिर महालक्ष्मी के रूप में, दक्षिण भाग में विंध्य पर्वत के समीप महाकाली रूप में तथा विंध्य पर्वत पर ही उत्तर दिशा में महासरस्वती के रूप में विराजमान है.
इसलिए यहां मां विंध्यवासिनी के जो भी श्रद्धालु भक्त दर्शन पूजन करने हेतु विंध्याचल पहुंचते हैं. तब उन्हें इन चर्चित तीनों त्रिकोणो की पद यात्रा करना भी अनिवार्य हैं. क्योंकि हिंदू धर्म ग्रंथ में भी प्रमुखता से वर्णित संस्कृत श्लोकों के मुताबिक यदि विंध्याचल पहुंचने वाले श्रद्धालु भक्त इन तीनों त्रिकोण की पैदल यात्रा नहीं करते है. तब तक उनका विंध्याचल में तीर्थ यात्रा को सफल नहीं माना जाता है.
इसी लिए विंध्याचल पहुंचकर दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालु भक्तो को भी चाहिए कि विंध्य पर्वत पर पद यात्रा कर तीनों त्रिकोण की यात्रा अवश्य पूरा करें. इसके अलावे विंध्याचल एक ऐसा तीर्थ स्थान है. जहां का त्रिकोण यात्रा भी अद्भुत है, क्योंकि यही का एक ऐसा त्रिकोण यात्रा है. जो आपको पूरे संसार में कहीं भी अद्वितीय नहीं मिलता है. जिसका प्रमुखता से हिंदू धर्म ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है.
साथ ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल विंध्याचल में सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि मंदिर से सटे ही बस स्टैंड, विंध्याचल रेलवे स्टेशन तथा मां गंगा भी मौजूद है. यह चर्चित विंध्याचल रेलवे स्टेशन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन ( मुगलसराय ) इलाहाबाद जंक्शन कानपुर सेंट्रल जंक्शन नई दिल्ली जंक्शन के मुख्य रेल मार्ग पर ही स्थित है. जहां समस्त नवरात्रि मेला के समय लगभग सभी महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव भी रेलवे विभाग द्वारा 15 दिनों के लिए सुनिश्चित कर दिया जाता है.