राहुल की टिप्पणी न केवल अमर्यादित है बल्कि राष्ट्रीय गरिमा के लिए क्षति भी है

भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कई बार विभिन्न मीडिया और मंचों के माध्यम से देश के नागरिकों और विभिन्न दलों खासकर विपक्ष के नेताओं को आगाह किया कि ऐसी कोई शब्दावली. टिप्पणी या वक्तव्य न बोलें जिससे देश की गरिमा और प्रतिष्ठा को हानी पहुंचे.

राहुल की टिप्पणी न केवल अमर्यादित है बल्कि राष्ट्रीय गरिमा के लिए क्षति भी है
comment of Rahul is a national dignity

एम.ए.डी.ई. स्टाफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट औफ डिस्टेंस एजुकेशनइगनु

ग़ज़नफर इकबाल :

भारतीय लोकतंत्र की पूरे विश्व में व्याख्या की जाती रही है.यहां का जनतंत्र और मज़बूत संवैधानिक व्यवस्था कई देशों में आदर्श माना जाता है. किसी न किसी संदर्भ में विश्व के ज्यादातर मुल्कों के लिए भारत मानवाधिकार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार, उर्जा, सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में बढ़ चढ़कर कर अपनी भागीदारी और प्रतिनिधित्व करता रहा है. खासकर 2014 के बाद से जब से भाजपा की मोदी सरकार पुर्ण बहुमत से बनी है. अंतरराष्ट्रीय मामलों में श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पिछड़े छोटे मुल्क हो या पड़ोसी मुल्क. विकासशील देश हो चाहे खाड़ी देश.

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबको तवज्जो दी तथा अपनी कूटनीतिक सूझबूझ और दूरदर्शिता से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की गरिमा बढ़ाने को लेकर अपने योगदान में कभी कोई कमी नहीं होने दिया. बहुत से उतार-चढाव तथा वाद-विवाद के बावजूद भी पड़ोसी देशों से संबंध और विश्वास कायम करने में सफल रहे. समय परने पर हर संभव मदद भी पहुंचाई. कई बार तो दो मुल्कों के आपसी विवाद में भी हस्तक्षेप कर सुलह कराया और शांति स्थापित कराने में सफल रहे. कई मामलों में मध्यस्थता भी करा चुके हैं.यही कारण है के आज विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से ताकता है.

कोरोनाकाल में भी अंतरराष्ट्रीय विमानों, वैक्सीन, दवाइयां और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी आयात-निर्यात की वस्तुएं विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा देश के स्वास्थ्य विभाग के गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल के अनुरूप ही क्रियान्वित किया गया जिसकी सराहना आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा किया जाता है. विश्वस्तरीय पटल पर भारत की भागीदारी और प्रतिनिधित्व को मोदी सरकार ने बढ़ाया है. इससे देश का सम्मान बढा है.

इसी संदर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कई बार विभिन्न मीडिया और मंचों के माध्यम से देश के नागरिकों और विभिन्न दलों खासकर विपक्ष के नेताओं को आगाह किया कि ऐसी कोई शब्दावली. टिप्पणी या वक्तव्य न बोलें जिससे देश की गरिमा और प्रतिष्ठा को हानी पहुंचे. सोशल मीडिया तथा ब्लोग पर भी औडियो-वीडियो, लेख, टिप्पणी सोच समझकर लिखने की सिफारिश करते रहे हैं. उन्होंने हमेशा से ही हेल्दी डिस्कशन को बढ़ावा देने की बात कही है.इसी के मद्देनजर डिजिटल न्युज पोर्टल के संचालन के लिए भी उन्होंने एक नियामक और प्राधिकार का गठन करने को कहा है. जिसपर अभी काम चल रहा है.

अभी हाल ही में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने वर्ल्ड कप फाइनल मैच को लेकर श्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया वह भी एक जन संबोधन के दौरान. इससे पहले भी राहुल गांधी ने मोदी टाइटल को लेकर विवादित बयान दिया था. जिसकी वजह से संसद से उनकी सदस्यता भी चली गई थी और बाद में उनको जमानत पर छोड़ दिया गया. चुनाव आयोग और न्यायालय ने भी राहुल गांधी को हिदायत दिया था के शब्दों पर नियंत्रण रखें और संवैधानिक पद पर बैठे लोगों पर अमर्यादित बयान न दें. बावजूद इसके राहुल गांधी अक्सर इस तरह का बयान मंच से देते रहे हैं. हाल में दिए बयान और प्रधानमंत्री पर टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग ने भी सख्त रुख अपनाया है. कारण बताओ नोटिस जारी किया है. वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में भी मामला दर्ज हो चुका है.

राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. आगे कांग्रेस को भी भारी नुक्सान हो सकता है.आम चुनाव भी करीब है.देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ बार-बार इस तरह के अमर्यादित और अशोभनीय भाषा बोलने को लेकर जनता में आक्रोश पनपता है. राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय छवि ख़राब होती है और इसका खामियाजा चुनाव के वक्त भुगतना पड़ता है. जनता ऐसे लोगों को कभी पसंद नही करती और देश का प्रतिनिधित्व ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों को देने से बचती है.उम्मीद है के चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे और आमजन का आक्रोश कुछ हद तक कम हो पाए.