क्या लाजवाब रूटीन है नीतीश बाबू का.
What a wonderful routine of Nitish Babu
रिपोर्ट : आशीष रंजन सिंह :
नीतीश बाबू , इस महीने की 5 तारीख़ से लेकर 23 तक का अपना टाइम टेबल देखा आपने. क्या ग़ज़ब का टाइम टेबल है. मुख्यमंत्री के रूप में देश में आपने इस अवधि में एक अजूबा रिकार्ड बनाया है. ज़रा सोचिए - एक नहीं,दो नहीं ,तीन नहीं, चार नहीं ,पाँच नहीं… दस-दस इफ़्तार पार्टियों में शरीक़ हुए. तरह-तरह की टोपियाँ पहनीं, रंग बिरंगे शॉल ओढ़े एवं विभिन्न प्रकार के लज़ीज़ व्यंजन ग्रहण किए. शीर चाय तो आपने पी ही होगी. बाकरखानी तो बहुत खाई होगी.
ईद के दिन तो आपकी ग़ज़ब की मसरूफ़ियत थी. सुबह 8 बजे से लेकर रात तक विभिन्न जगहों पर आपने ईद की सेवइयों का सेवन किया. स्वाभाविक है जिन-जिन संस्थाओं और रसूखदार व्यक्तियों के दौलतखाने पर आप गए, उनको तो बहुत अच्छा लगा होगा. और अच्छा लगना भी चाहिए. क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री की हैसियत से आप उन स्थानों पर गए. ज़रा रुकिए , और सोचिए नीतीश बाबू. जिन-जिन इफ़्तार पार्टियों में आप गए, क्या वहाँ उस समाज के आम अवाम तथा गरीब तबके के लोगों से भेट हुई आपकी. उत्तर मिलेगा ,नहीं. गरीब गुरबों के लिए इफ़्तार करना आपने उचित नहीं समझा.
ईद के दिन भी सेवइयों का सेवन सिर्फ़ समाज के नामी-गिरामी , अमीर लोगों के यहाँ ही आपके कदम पड़े. किसी गरीब की झोपड़ी में आपने सेवइयों का सेवन नहीं किया.
क्या संदेश देना चाहते हैं आप नीतीश बाबू. समाज में सिर्फ़ अमीर लोग ही रहते हैं. आप सिर्फ़ अमीर लोगों के ही मुख्यमंत्री हैं.
आप ,नीतीश बाबू एक व्यक्ति (individual) के रूप में कहाँ जाते हैं, किससे मिलते हैं , क्या खाते हैं , क्या पहनते हैं , इससे किसी को कोई लेना देना नहीं है. लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में आपका एक-एक कदम पड़ना,कार्यक्रम में हिस्सा लेना ,इसका सार्वजनिक महत्व है. क्या बिहार की गरीब जनता ने आपको वोट नहीं दिया था. लेकिन आप उसे पूरी तरह से भूल गए.
फिर सोचिए नीतीश बाबू, अगर एक इफ़्तार पार्टी में औसतन आपने तीन से चार घण्टे का भी समय दिया है तो दस इफ़्तार पार्टियों में आपने 18 दिनों में 35-40 घंटे का समय लगा. ईद के दिन भी आपने 8 से 10 घंटे का समय दिया. आप जोड़ें , 45-50 घंटे आपका समय 18 दिनों में कहाँ ज़ाया हुआ. देश में अकेले आप मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने कुछ मुट्ठी भर संस्थाओं और उनके पदधारकों के लिए इतना समय गँवाया. जबकि आपकी ज़िम्मेदारी बिहार को विकसित करने की है.
क्या आपने सोचा @NitishKumar जी कि आपका समय कहाँ व्यतीत हो रहा है. बिहार के जिन गरीब गुरबों ने आपको वोट दिया, आपसे उम्मीदें पालीं, उनको कैसा लग रहा होगा.
धार्मिक आयोजनों में आप हिस्सा लें, इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती, ये आपका निर्णय है. लेकिन बिहार में जितने धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, वह भी आपसे यही अपेक्षा करेंगे कि उनके पर्व- त्योहारों, धार्मिक आयोजनों में भी इसी प्रकार की उपस्थिति आप दर्ज करायें, तो स्वाभाविक है कि उन्हें भी अच्छा लगेगा. आपका भी टाइम पास हो जाएगा, समय भी कट जाएगा ,परंतु बिहार का क्या होगा नीतीश बाबू.
आपके पास विकास के कार्यों को करने के लिए कितना समय बचेगा. यही कारण है कि आप इस प्रकार के कार्यों में मस्त हैं परंतु, विकास के कार्यों में बिहार देश में सबसे अंतिम पायदान पर खड़ा है. वास्तव में आपको इससे क्या ही फ़र्क़ पड़ता है. आपकी सिर्फ़ कुर्सी सलामत रहे, इसी में आपकी दिलचस्पी है.
बिहारी युवा रोज़गार के लिए देश भर में भटकते रहें, ज़लील होते रहें और आप अपनी कुर्सी से चिपके रहें.
कुर्सीवाद ज़िंदाबाद.
कुर्सीवाद ज़िंदाबाद.