लाल बहादुर शास्त्री जी ने आख़िर क्यों दिया था नारा, जय जवान, जय किसान : डॉक्टर सुरेश पासवान
लाल बहादुर शास्त्री जी ने आख़िर क्यों दिया था नारा, जय जवान, जय किसान : डॉक्टर सुरेश पासवान
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: ( बिहार ) बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल प्रदेश - उपाध्यक्ष, डाक्टर सुरेश पासवान ने प्रेस - विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि भारत के सबसे ईमानदार तथा शिक्षित प्रधानमंत्री रहे माननीय, लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के जवानों और किसानों को ऐसे ही नहीं आहवान किया था कि जब भी इस देश में खाद्य संकट होने की संभावना दिखेंगी. किसान उस चुनौती को स्वीकार करते हुए देश में खाद्यान्न की कमी नहीं होने देंगे. ठीक उसी प्रकार देश में जब भी आंतरिक तथा बाहय सुरक्षा पर खतरा मंडराता नजर आएगा, तो देश के नौजवान देश को बचाने हेतु अपनी कुर्बानी भी देने के लिए तैयार रहेंगे. तब ही जाकर उन्होंने कहा था कि जय जवान, जय किसान.
इसलिए आज की नरेंद्र मोदी सरकार को लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा अल्प समय में किए गए उनके कार्यकाल को भी पढ़ना चाहिए. लेकिन विश्व गुरु बनने के चक्कर में माननीय, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगभग दो साल पहले किसानों के लिए जो कृषि कानून लाया. उसका न सिर्फ देश भर के किसान बल्कि दुनिया भर के लोगों ने जबरदस्त विरोध किया. एक वर्ष से अधिक अहिंसक आंदोलन चले. केन्द्र - सरकार और गोदी मिडिया नया कृषि कानून के फायदे बताते रहे. इनके मंत्री, सांसदों द्वारा चौपाल लगाकर कषि बिल लाभ के बारे में बताते रहे. लेकिन देश के किसान आंदोलन से पिछे हटने के लिए टस से मस नहीं हुए. आंदोलनकारियों को खालिस्तानी, विदेशी एजेंट एवं आंदोलनजीवी तक भी कहा गया. लेकिन हश्र क्या हुआ?
अंततः उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का जब समय करीब आ गया, तो चुनाव में हार के डर से केन्द्र - सरकार को नया कृषि कानून वापस लेना पड़ा. ठीक उसी तरह सेना बहाली के लिए नया अग्नि पथ रोजगार योजना का एलान तीन दिन पहले प्रधानमंत्री द्वारा किया गया कि इससे नौजवानों को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है. लेकिन ठीक कृषि कानून की तरह या उससे अधिक जोश में देश सेवा यानी सेना बहाली में जाने वाले जवानों के द्वारा जो उग्र प्रदर्शन किया जा रहा है. उसे सरकार को समझना चाहिए कि देश के नौजवान अग्नि पथ कानून के खिलाफ कितने गुस्से में है.
हालांकि किसी तरह के उग्र आंदोलन का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन सरकार को कृषि कानून की तरह इस आंदोलन को लंबा नहीं खिंचना चाहिए, बल्कि अविलंब इस आंदोलन व्यापकता को देखते हुए बिना प्रतिष्ठा का सवाल बनाए वापस ले लिया जाना चाहिए. खासकर मैं देश के रक्षा - मंत्री माननीय, राजनाथ सिंह से कहना चाहता हूं कि आप तो उत्तरप्रदेश से आते हैं. बहुत ही जमीनी राजनेता हैं. सेना में खासकर उत्तरप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, बंगाल, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से ही 90% जवान सेना में जाते हैं. गुजरात, महाराष्ट्र से न के बराबर ही. चार साल के बाद इन्हें कहां भेजिएगा.
चार धाम के यात्रा पर या गुजराती उधोगपतियो के घर चौकीदारी करने के लिए. चार धाम का यात्रा भी जीवन के तिसरे - चौथे पन में ही किया जाता है. इसलिए आपको इस पर पुनर्विचार अवश्य करना चाहिए,और देशहित तथा नौजवानों के हित में अग्नि पथ कानून को वापस ले लिया जाना चाहिए, तथा सेना बहाली का जो पुराना कानून है. उसी कानून के तहत बहाली किया जाना चाहिए, फिर अंत में शास्त्री जी के ही नारों को याद करते हुए जय जवान, जय किसान, जय संविधान, जय हिन्दुस्तान कहना चाहिए.