हिंदू सेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची, मस्जिद की जमीन को लेकर किया दावा!
17 मई यानी आज वाराणसी (Varanasi) की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi mosque) मसले की सुनवाई होनी है. मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया कमिटी की उस याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें कमिटी ने ज्ञानवापी मामले में उस याचिका को ही अवैध और गैर-कानूनी बताया है, जिसके आदेश से सर्वे हुआ. बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का काम 16 मई को पूरा हो गया. इस दौरान एक आकृति मिलने की बात कही जा रही है, जिसे एक पक्ष शिवलिंग बता रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इससे इनकार रहा है. इस बीच अब हिंदू सेना इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और मस्जिद कमिटी की याचिका खारिज करने की मांग कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
आज 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतेजामिया कमिटी की याचिका पर सुनवाई है. कमिटी का तर्क है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का जो सर्वे कराया गया, वो पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के प्रावधानों के विपरीत है, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थलों की जो स्थिति है, वही स्थिति बरकरार रहेगी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.
वहीं वाराणसी कोर्ट में सिविल जज रवि कुमार दिवाकर भी 17 मई दोपहर 12 बजे ज्ञानवापी मामले में कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर सुनवाई करेंगे. अंजुमन इंतेजामिया कमिटी के वकीलों के मुताबिक वो अपनी याचिका पर तुरंत सुनवाई की गुहार 17 मई को सुबह साढ़े 10 बजे ही लगा देंगे क्योंकि पीठ इसी वक्त से अपना काम शुरू करेगी. इसके अलावा कोर्ट कमिश्नर विशाल कुमार सिंह ने कहा है कि वो कोशिश करेंगे कि तय सीमा के अधीन सर्वे की रिपोर्ट दाखिल कर दें, लेकिन यदि रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट से थोड़ा और समय मिल जाता है, तो ठीक होगा.
हिंदू सेना की मांग क्या है ?
आजतक से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक ज्ञानवापी मामले में हिंदू सेना ने मस्जिद कमिटी की याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने की गुहार लगाई है. हिंदू सेना ने इस मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने की मांग भी की है. हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में इतिहास और पुराणों के हवाले से ज्ञानवापी के शुरुआत से ही मंदिर होने की दलील दी है.
हिंदू सेना ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमिटी के इस मामले में अपनी दलीलें पेश करने के लिए हस्तक्षेप याचिका लगाई है. याचिका में हिंदू सेना ने स्कंद पुराण और दूसरे ऐतिहासिक दस्तावेजों के जरिए वहां साल 1669 से पहले मंदिर होने की दलील दी है. याचिका में कहा गया है कि काशीराज विश्वेश्वर मंदिर के आसपास के क्षेत्र पर आक्रांताओं ने जबरन कब्जा किया था. अब उनकी जगह वापस दिलवाई जाए.