बिहार के ईमानदार तीन बार मुख्यमंत्री बने पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान की मनाई गई 108वा जयंती समारोह
पारंपरिक तरीके से बिहार के ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भोला पासवान के तैलीय चित्रो पर सभागार में उपस्थित लोगों ने बारी बारी से माला पहनाकर पुष्पांजलि अर्पित की
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: ( बिहार ) मुख्यालय स्थित आई 0 एम0 ए0 हॉल में अखिल भारतीय दुसाध उत्थान परिषद के बैनर तले रविवार दिनांक 25 सितंबर 2022 को बिहार के ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान जी का 108 वा जयंती समारोह हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सिकंदर पासवान एवं मंच संचालन डॉक्टर जनमेजय कुमार ने की. सर्वप्रथम पारंपरिक तरीके से बिहार के ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भोला पासवान के तैलीय चित्रो पर सभागार में उपस्थित लोगों ने बारी बारी से माला पहनाकर पुष्पांजलि अर्पित की. तत्पश्चात बारी बारी से मंच पर एवं सभागार में बैठे गणमान्य लोगों को मंच पर बुलाकर माला पहनाकर व अंग वस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया.
इसके बाद कार्यक्रम में बारी बारी से कार्यकारिणी अध्यक्ष श्याम बिहारी राय, जिला उपाध्यक्ष अरविंद कुमार पासवान, जिला उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुखीया ओबरा, शशिभूषण पासवान, मुखिया प्रतिनिधि घेउरा, जितेंद्र पासवान, प्रदेश उपाध्यक्ष, सरुण पासवान, उप महासचिव सह अधिवक्ता, अवधेश पासवान, सांस्कृतिक मंत्री, बाल्मीकि पासवान, प्रचार एवं सूचना मंत्री, धर्मेंद्र पासवान, प्रचार एवं सूचना मंत्री, प्रिंस कुमार, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष, नीलम देवी, कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाली परता मुखीया, श्याम बिहारी राय, लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) के रफीगंज प्रखंड अध्यक्ष, राजेश पासवान, पूर्व प्रमुख दाउदनगर, राजेंद्र पासवान, उप महासचिव, युगेश पासवान, उप महासचिव, शशिभूषण पासवान, पूर्व समिति बारूण, योगेंद्र पासवान सहित अन्य लोगो ने भी सैकड़ों की संख्या में उपस्थित होकर अपना अपना पक्ष रखा. इस मौके पर मंच संचालन कर रहे डॉक्टर जनमेजय कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि सर्वप्रथम तो मैं बिहार के पूर्व मे तीन बार ईमानदार मुख्यमंत्री बने स्वर्गीय भोला पासवान जी को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनके पास मात्र 07 डिसमिल ही जमीन थी.
इसके बाद मंच से डॉक्टर जनमेजय कुमार ने उपस्थित सभी लोगों को अपना परिचय देते हुए कहा कि मेरा घर झारखंड राज्य अंतर्गत जपला के अंदर कुर्मीपुर चौआ चट्टान में पड़ता है. मेरे पिताजी एवं दादा रामनंदन राम शिक्षक थे. मेरे दादा ने 17.5 डिसमिल जमीन विद्यालय के लिए दान दिया. हम दो भाई और दो बहन हैं. 2016 से लगातार हम 06 वर्षों से औरंगाबाद चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं. मेरे दादा ने धन के लिए कुछ भी नहीं किया. लेकिन शौर्य, स्वाभिमान जरूर है. इसीलिए आज मुझे भी गौरव होता है.
तत्पश्चात डॉक्टर जन्मेजय कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय भोला पासवान जी का जन्म पूर्णिया जिला अंतर्गत बैरगाछी गांव में 21 सितंबर को 1914 को हुआ था. बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री बने, जिसमें प्रथम बार 22 मार्च 1968 से लेकर 29 जुन 1968 तक, दूसरी बार 22 जून 1969 से लेकर 04 जुलाई 1972 तक एवं तीसरी बार 02 जून 1969 से लेकर 09 जनवरी को 1972 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने. तीनों बार स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी को बिहार का मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी ने ही बनवाया था. बिहार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी पंडित जवाहरलाल नेहरू के भी काफी करीबी थे. स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी अपने जीवन काल में हमेशा सादा जीवन जीते रहे, और उच्च विचार के व्यक्ति थे. जो बिहार के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया था.
बिहार के दरभंगा विश्वविद्यालय से शास्त्री की डिग्री प्राप्त करने के बाद ही उनके नाम के अंत में शास्त्री का शब्द जुड़ा था. बिहार के मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी बिना किसी से भेदभाव किए हुए दरी पर ही बैठकर कोई भी निर्णय लेकर कामों का निपटारा कर देते थे. मुख्यमंत्री बनने के बावजूद भी उनकी पत्नी दूसरे के खेतों में धान रोपने जाती ही थी. हालांकि उनकी पत्नी को खेत के मालिक ने भी कहा था कि अब दूसरा के खेत में धान काहे के रोपईत हव . अब तो तोहार पति मुख्यमंत्री बन गइले. लेकिन धन्य थी. उनकी पत्नी भी. जिन्होंने जवाब दी थी, कि वो मुख्यमंत्री बन गईले, तो का हो गईले. हम दुसरा के खेत में धान रोपनी. इसलिए हम धान ही रोपब. आज़ ऐसे ईमानदार महापुरुष का इतिहास गवाह है. जो दुसाध जाति से ही आते हैं. ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान जी के पास इतना भी सामर्थ्य नहीं था कि अपना श्राद्ध कर्म ही अच्छे से हो सके. उनके एक भी संतान नहीं थे. जीवन भर झोपड़ी में ही रहकर गुजारा किया.
स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी सन 1972 में राज सभा के भी मेंबर बने थे. इसके बाद केंद्र में भी मंत्री बने थे. उनका अंतिम संस्कार भी भतीजा, बिरंचि पासवान ने ही किया था. स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी का श्राद्ध कर्म भी पूर्णिया के तत्कालीन न्यायाधीश ने ही करवाया था. लेकिन आज यदि कोई मुखिया, पंचायत समिति, जिला परिषद, वार्ड पार्षद, विधायक या सांसद बनता है. तब सबसे पहले वह व्यक्ति अपना गाड़ी खरीदने का काम करता है. मकान बनाता है. मगर हमारे बिहार के ईमानदार पूर्व मुख्यमंत्री, स्वर्गीय भोला पासवान ने अपने या अपने परिवार के लिए कभी भी ऐसा कोई काम नहीं किया. इसलिए कि पासवान समाज हमेशा ईमानदार होता है.
ज्ञात हो कि डॉक्टर जनमेजय कुमार ने मंच से बोलने के क्रम में ही यहां तक कह दिया कि पासवान वो समाज है. जो कभी दूसरे का गुलामी नहीं कर सकता. इसके लिए हमारी बातों को कोई व्यक्ति रिकॉर्ड भी कर सकता है. आज दो तीन वर्षों में अधिकांश पासवान जाति का चुन चुन कर हत्या किया गया है. इसलिए आप लोगों से अनुरोध है कि गौरव भाव लेकर जिएं. अपनी शक्ति खोकर समाज में नहीं चल सकते. आज़ भी इतिहास गवाह है कि किसी भी गांव में कोई दुसाध जाति के लोग हो या न हो, फिर भी बरसात शुरू होने से पूर्व रोपनी या कोई भी शुभ कार्यों में डीहवार की पूजा लोग अवश्य करते हैं, ताकि कहीं गांव का डीहवार न बिगड़ जाएं.
कहने का तात्पर्य है कि बाबा चौहरमल, भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जैसे कई महापुरुष हमारे समाज में भी हुए. लेकिन आज उन्हें दरकिनार कर दिया गया है. इसलिए इस इतिहास को ईमानदारी पूर्वक सभी समाज के बीच रखने की आवश्यकता है, ताकि लोग भी इनके द्वारा ईमानदारी पूर्वक किए गए कार्यों को जाने. आज़ के कार्यक्रम में यही हम लोगो का मुख्य उद्देश्य भी है.
अंत में डॉक्टर जन्मेजय कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मैं झारखंड राज्य अंतर्गत जपला क्षेत्र से जरूर आता हूं. लेकिन मेरा कहना है कि चाहे मैं जहां भी रहूं. मगर भारतीय का भाव अवश्य होना ही चाहिए. ज्ञात हो कि इसी कार्यक्रम में लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार रह चुके सरुण पासवान को भी जब मंच पर बोलने का मौका दिया गया. तब उन्होंने भी मंच से संबोधन के दौरान अपना परिचय देते हुए कहा कि मेरा घर कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत डुमरी गांव में पड़ता है. मैं दो बार मुखिया भी रह चुका हूं. मैं कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से लोक जनशक्ति पार्टी का प्रत्याशी भी रहा. आज मैं लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) का प्रदेश महासचिव भी हूं. मुझे अखिल भारतीय दुसाध उत्थान परिषद कमेटी में प्रदेश महासचिव भी बनाया गया है. मुझे आज खुशी इस बात की है, कि औरंगाबाद जिले में ही सिर्फ पासवान समाज का 01 लाख 67 हजार वोट है.
इसके बाद सरुण पासवान ने बारी बारी से कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी लोगों का नाम बोलते हुए पूरे भाषण के दौरान लगातार सिर्फ लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के माननीय, राष्ट्रीय का हीं तारीफ करने लगे. नतीजा हुआ कि आई0एम0ए0 हॉल के अंदर बैठे हुए अपने ही जाति के कई लोग सरुण पासवान के भाषण पर भड़क गए, और कहां कि इनको मंच से हटाइए. यह मंच पर इतने समय से सिर्फ अपने पार्टी का ही गुणगान कर रहे हैं. यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है. यह एक सामाजिक संगठन है. इससे संगठन की क्षति होगी.
इसके बाद सरुण पासवान ने भी माहौल को काफी बिगड़ते देख मंच से क्षमा मांगते हुए बिहार के ईमानदार तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय भोला पासवान जी का नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी वाणी को विराम दे दी.
इसके बाद कमेटी उपाध्यक्ष, अरविंद कुमार पासवान ने मंच से संबोधन के दौरान सर्वप्रथम सरुण पासवान द्वारा दिए गए भाषण पर क्षमा मांगा. तत्पश्चात मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मैं भी एक शिक्षक हूं. मेरी पत्नी भी भाजपा की जिला उपाध्यक्ष है. मै अंबा का रहने वाला हूं. पिछड़ा समाज का उत्थान ही मुख्य मकसद होना चाहिए. भारतीय संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भी अपने संदेश में कहा था कि सर्वप्रथम शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो. इसलिए हम लोगों को भी सर्वप्रथम शिक्षा पर ही ध्यान देने की आवश्यकता है. यह एक सामाजिक मंच है. राजनीतिक मंच नहीं है. इसके बाद बिहार में तीन बार ईमानदार मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भोला पासवान जी के जीवनी पर प्रकाश डाला, फिर मंच से संबोधन के दौरान ही कहा कि हमारा समाज ईमानदार, जुझारू है. इसीलिए अधिकांश पासवान समाज के लोग ही चौकीदार भी होते हैं.
अंत में कमेटी उपाध्यक्ष, अरविंद कुमार पासवान ने मंच संचालन कर रहे डॉक्टर जनमेजय कुमार से अपील करते हुए कहा कि अंबा में शिविर लगा कर कम से कम पीड़ित मरीजों का फ्री इलाज अवश्य करें. यही मेरा लक्ष्य है. तब डॉक्टर जन्मेजय कुमार ने भी मंच से सभी लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि मैं निश्चित तौर पर अपने जीवन भर गरीबों का फ्री इलाज करूंगा. हम सर्जन भी है. यदि मैं, डॉक्टर भावना और शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर ओम प्रकाश तीनों मिलकर काम करें, तो किसी भी बीमारी का इलाज बहुत हद तक संभव है.
ध्यातव्य हो कि इसी कार्यक्रम में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) प्रखंड अध्यक्ष, राजेश पासवान ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि हमारे समाज के पूर्वज जैसे: बाबा वीर चौहरमल, बिहार के तीन बार ईमानदार मुख्यमंत्री रह चुके माननीय, स्वर्गीय भोला पासवान ने काफी सराहनीय काम किया है. जो इतिहास गवाह है. मैं ऐसे महान लोगों को श्रद्धा सुमन नमन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित करता हूं. इसके बाद गोह से चलकर कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे शशि भूषण पासवान ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के ईमानदार तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी का मात्र 07 डिसमिल जमीन था, जिसमें 03 डिसमिल जमीन सामुदायिक भवन बनवाने में चला गया था. एक पुत्र हुआ था. जो डेथ कर गए थे.
इसके बाद उनका कोई संतान नहीं हुआ. मैं समझता हूं कि आलोचना एक आईना है. जब तक आलोचना नहीं होगी. तब तक कोई व्यक्ति सुधर भी नहीं सकता है. औरंगाबाद में सर्वप्रथम माननीय जज साहब, किशोरी राम ने बाबा चौहरमल जयंती किया था, तो मैं उस वक्त 70 गाड़ी लेकर आया था. मैं गोह में दो दिवसीय कार्यक्रम किया था. एक दिन चिंतन शिविर रखा था. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री, डॉक्टर सुरेश पासवान भी मेरे आग्रह पर आए थे. अपना विचार भी व्यक्त किए.
मंत्री जी ने आश्वासन भी दिया कि यदि बाबा चौहरमल जी का मूर्ति लोग लगाएंगे, तो मैं जमीन देने का भी काम करूंगा. गोह में 26 मार्च को चिराग पासवान का प्रोग्राम लोक जनशक्ति पार्टी ( रामविलास ) के झंडा तले नहीं, बल्कि अपने संगठन के माध्यम से लिया था. गोह में भोला पासवान बाबा चौहरमल जी का भवन बन रहा है. माननीय, माननीय चिराग पासवान ने ही शिलान्यास किया है. मैं अपने समाज से आग्रह करना चाहता हूं कि भारतीय संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो पहला नारा दिया था, कि शिक्षित बनो संगठित बनो, संघर्ष करो. इस नारा पर अमल करते हुए कम से कम शिक्षित अवश्य बने. तभी किसी का भी विकास संभव है.
इसी कार्यक्रम में कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत पड़ने वाली परता पंचायत के मुखिया, श्याम बिहारी राय ने भी मंच से सर्वप्रथम बिहार के ईमानदार तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय भोला पासवान जी के जीवनी पर प्रकाश डाला, और संबोधन के अंत में मंच से ऐलान किया कि सर्वप्रथम तो आप लोग औरंगाबाद में माननीय, भोला पासवान जी के नाम पर भवन बनवाईए. यदि भवन बनेगा, तो मैं उसमें एक लाख रुपया मदद करूंगा, और जमीन खरीदने की बात होगी, तो मैं उसमें योग्यता के मुताबिक एक लाख रुपया से अधिक राशि बढ़ा चढ़ा कर भी दूंगा. यदि इसके बाद कार्यक्रम में बाल्मीकि पासवान ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मैं सांस्कृतिक मंत्री हूं. इसलिए अपने भोजपुरी गीत के माध्यम से ही प्रस्तुत कर रहा हूं, कि अंबेडकर जी के, शास्त्री जी के सपना सजाव. बबुआ के पढावे के भेजाव, तोहार घर अंजोर हो गई. गांव गांव में खुल गईले पाठशाला, आपन बबुआ के पढ़ेंला भेजाव. खुल जाई तोहार किस्मत, तब घर अंजोर हो जाई. दुःख सुख सह लीह, बन जईब जब शिक्षक, मिनिस्टर, तब तोहार घर अंजोर हो जाई. इसके बाद कमेटी के प्रदेश युवा अध्यक्ष, वीरेंद्र भास्कर ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मै पेशे से शिक्षा सलाहकार हूं. संगठन का उद्देश्य है उत्थान. तकनीकी शिक्षा की बात करें. अपने समाज की रोजगार की बात करें. शिक्षित बने. कुरीतियों से दूर होना चाहिए. कायरों का कोई संगठन नहीं होता है. 70 साल में भी सिर्फ दलित ही रहना है क्या? कि आगे भी जाना है? बाबासाहेब शोषितों के नेता थे. परिचर्चा होना चाहिए.
आज के कार्यक्रम में विशेष प्रवेश नहीं कराया गया, जिसके वजह से विवाद भी हुआ. स्वतंत्रता संग्राम के वक्त बाबासाहेब ने पशुओं के लिए लड़ाई लड़ा. तब कमजोर वर्गों के लिए आयोग बना. छुआछूत के नाम पर 1955 इलेक्ट्रो एक्ट बना था. पासवान समाज के लोग लड़ाकू होते हैं. इसलिए अपने इतिहास को जानो. अपने कुलदेवता को मानो. क्रांति की आवश्यकता है. किसी भी व्यक्ति से महत्वपूर्ण होता है संगठन. आलोचना भी होना चाहिए. नहीं तो अधिनायकवाद हो जाएगा. यदि सिर्फ औरंगाबाद जिला में 1,67,000 पासवान समाज का वोट है, तो फिर दूसरे को एम0पी0 क्यों बनाएंगे? अंत में विरेंद्र भास्कर ने मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान अमर रहे, नारों के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की.
ध्यातव्य हो कि रविवार को आयोजित कार्यक्रम में इसी प्रकार बारी बारी से कई वक्ताओं ने भी अपना अपना पक्ष रखा. आई0एम0ए0 हॉल में बैठे पासवान समाज के कई लोग समयाभाव के कारण मंच पर जाकर बोल भी नहीं सके. हालांकि मंच पर कार्यक्रम लगभग 4:30 घंटा से ऊपर समय तक चला. लेकिन कार्यक्रम में सिस्टम सही नहीं रहने के कारण ही पासवान समाज के कई लोग मंच पर जाकर अपना पक्ष भी नहीं रख सके.