औरंगाबाद: ( बिहार ) औरंगाबाद जिला एक ऐसा चर्चित जिला है. जहां कोई भी चुनाव से पूर्व या खासकर विशेष पर्वों पर अनगिनत समाजसेवी नजर आने लगते हैं. वो भी धरातल पर नहीं, बल्कि खासकर जिला मुख्यालय एवं जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित मेन बाजारों के चौक – चौराहे पर बड़े – बड़े, बैनर – पोस्टर लगवाकर, ताकि लोग इसी बैनर – पोस्टर को देखकर यह जाने कि ये भी समाजसेवी के कतार में ही हैं, और जब चुनाव का वक्त आए तो हम भी जनता के सुर्ख़ियों में बने रहें. लेकिन जैसे ही किसी भी दल से किसी प्रत्याशी को चुनाव के वक्त कन्फर्म टिकट की घोषणा कर दी जाती है, कि इस विधानसभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र से फलां व्यक्ति को ही चुनाव में प्रत्याशी बना दिया गया हैं, तो पार्टी के नाम पर ही अधिकांश नेता जी जो समाजसेवी बनकर दिखाते हैं. उसमें से कई नेताजी तो पार्टी के खिलाफ बोल – बोलकर कहते हैं, कि धरातल पर कार्य करने वाले व्यक्ति को पार्टी ने तरजीह ही नहीं दिया है. चुनाव में पार्टी ने टिकट बेच दिया.
इसलिए पार्टी को चुनाव में परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा, या पार्टी में कुछ ऐसे नेताजी भी होते हैं. जो अपने पार्टी के खिलाफ कहीं भी कुछ बोलते नहीं हैं. लेकिन पार्टी में रहकर ही अंदर – अंदर विरोध करके अपने पार्टी प्रत्याशी को ही चुनाव हरवा देते हैं. जिसका औरंगाबाद जिला में पूर्व संपन्न हुए चुनाव के कई उदाहरण भी सबके सामने ही हैं. जैसे कि विगत संपन्न नगर परिषद चुनाव या नगर पंचायत चुनाव को ही देखा जाए, तो कई उदाहरण भरे पड़े हैं.

औरंगाबाद में ही जब विगत दिनों नगर परिषद का चुनाव होने वाला था, तो उसी समय नगर परिषद क्षेत्र औरंगाबाद के ही एक बहुत बड़े समाजसेवी बनकर पूरे नगर परिषद क्षेत्र में प्रतिदिन दिखा रहे थे, कि हमसे बड़ा समाजसेवी इस नगर परिषद क्षेत्र में कोई है ही. उस वक्त के चुनाव में उनकी पत्नी चुनाव मैदान में थी, और उनका पुत्र डॉक्टर बना था. वही पुत्र नगर – परिषद क्षेत्र, औरंगाबाद के ही विभिन्न स्थानों पर प्रतिदिन जगह बदल – बदल कर नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन करता था. जिसमें डॉक्टर के पिताजी भी प्रत्येक स्थानों पर बहुत बड़े समाजसेवी बनकर दिखाने हेतु पहुंच ही जाते थे.
उसी वक्त जब संवाददाता की मुलाकात शहर के बहुत बड़े समाजसेवी बनकर दिखाने वाले व्यक्ति से बैजनाथ बिगहा में हुआ था, तो मौके पर उपस्थित सभी ग्रामीणों के समक्ष ही समाजसेवी से सवाल पूछा था, कि आपके द्वारा या आपके पुत्र के द्वारा जो यह नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है. यह सिर्फ नगर – परिषद चुनाव संपन्न होने से पूर्व तक ही किया जाएगा, या फिर चुनाव संपन्न होने के बाद भी यह नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन हमेशा चलता रहेगा.
तब ऊपर मन से ही मौके पर उपस्थित सभी ग्रामीण जनता के समक्ष समाजसेवी ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि ऐसी बात नहीं है. लेकिन जैसे ही नगर – परिषद का चुनाव संपन्न हो गया, तो शहर के बहुत बड़े समाजसेवी बनकर दिखाने वाले व्यवसाई एवं उनके पुत्र जो डॉक्टर है. दोनों द्वारा नगर – परिषद क्षेत्र औरंगाबाद के अंदर प्रतिदिन विभिन्न अलग-अलग स्थानों पर लगाई जाने वाली नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन ही खत्म कर दिया. जो पूरे औरंगाबाद शहर की जनता भी जानती है.
ठीक इसी प्रकार औरंगाबाद जिले के अंदर पूर्व में विधानसभा का चुनाव हुआ, लोकसभा का चुनाव हुआ, या एम.एल.सी. का चुनाव हुआ. सब में यही हाल रहा कि अपने ही पार्टी के विरोधी नेता या उनके कार्यकर्ताओं ने मिलकर ही अपने पार्टी प्रत्याशी को चुनाव हरवा दिया. जो किसी भी जिले वासी से छुपी हुई नहीं है.
सबको पता है, कि किस प्रत्याशी को, किस विरोधी ने चुनाव हरवा दिया है. इसलिए यहां की राजनीति में चुनाव के वक्त क्या होगा. यह कहना भी मुश्किल ही है.
Report : अजय कुमार पाण्डेय.