चार थाना के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारीयों का वेतन रोकने का मिला आदेश
अजय कुमार पाण्डेय
औरंगाबाद: ( बिहार ) अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने जानकारी देते हुए बताया है कि आज किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद के प्रधान दंडाधिकारी मनीष कुमार पाण्डेय ने जिले के 06 पुलिस अवर निरीक्षकों का वेतन रोकने का आदेश पुलिस अधीक्षक तथा कोषागार पदाधिकारी, औरंगाबाद को दिया है! प्रथम नगर थाना कांड संख्या - 354 / 2021 में कांड दैनिकी और आरोप पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर बाल कल्याण पुलिस अधिकारी पुलिस अवर निरीक्षक शिशुपाल का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है! द्वितीय कुटुंबा थाना कांड संख्या - 11 / 2020 में कांड दैनिकी और आरोप - पत्र दाखिल नहीं करने पर बाल कल्याण पुलिस अधिकारी पुलिस अवर निरीक्षक राजेश्वर प्रसाद तथा अनुसंधानकर्ता श्रीपति मिश्र का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है! तृतीय अम्बा थाना कांड संख्या - 53 / 2022 में कांड दैनिकी और आरोप - पत्र दाखिल नहीं करने के कारण बाल कल्याण पुलिस अधिकारी दवेंन्द सिंह का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है! चतुर्थ टंडवा थाना कांड संख्या - 127 / 2020 में कांड दैनिकी प्रस्तुत नहीं करने पर बाल कल्याण पुलिस अधिकारी जय गोपाल राय एवं अनुसंधानकर्ता पुलिस अवर निरीक्षक विरेन्द्र कुमार सिंह का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है! सभी वादों की अगली तिथि 03 अगस्त 2022 निर्धारित किया गया है! अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि बिहार जे0 जे0 अधिनियम के 2017 के नियम 10 ( 6 ) का उलंघन हुआ है, तथा इससे किशोर न्याय परिषद के कार्यवाही आवश्यक रूप से आगे नहीं बढ़ पा रही है!कार्यवाही बार बार स्थगित हो रही है! छोटे और गंभीर अपराध के स्थिति में प्रथम सूचना दर्ज होने के दो माह के भीतर कांड दैनिकी प्रस्तुत करना आवश्यक है, तथा जघन्य अपराध के मामलों में एक माह के भीतर कांड दैनिकी प्रस्तुत करना आवश्यक है, अधिवक्ता स्नेही ने बताया कि देव थाना कांड संख्या - 119 / 2018 जो गम्भीर अपराध का मामला था! घटना तिथि 21 अक्टूबर 2018 की थी! प्राथमिकी भा0 दं0 सं0 की धारा - 323, 325, 379, 308, ओर डायन प्रथा प्रतिशोध अधिनियम में किया गया था! इसमें 03 वर्ष 09 महीने तक कांड दैनिकी प्रस्तुत नहीं किया गया है! इस वाद के वाद प्रक्रिया को आज न्यायालय ने समाप्त कर दिया, और कहा कि वाद के जजमेंट में यह कहा गया है कि यह पुलिस की अक्षमता, लापरवाही और गैर जिम्मेदार रवैया है कि पौने चार साल से कांड दैनिकी न्यायालय नहीं लाया जा सका! जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसले का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि अपराध की प्रकृति 07 साल से कम सज़ा की हो, और किशोर ने 16 वर्ष पुरी नहीं की हो, तो तीन माह के अंदर आरोप - पत्र दाखिल नहीं करने पर वाद प्रक्रिया समाप्त हो सकती है, और मामले की कार्यवाही समाप्त की जा सकती है, जिसका लाभ अभियुक्त को मिला!