जातीय जनगणना का डाटा बिल्कुल ही फॉल्स है: सांसद सुशील कुमार सिंह

जातीय जनगणना करने वाले लोग गांव में नहीं गए हैं. बिहार सरकार द्वारा कहीं जनसंख्या का आंकड़ा बढ़ा चढ़ा कर, तो कहीं घटाकर दिखा दिया गया है.

जातीय जनगणना का डाटा बिल्कुल ही फॉल्स है: सांसद सुशील कुमार सिंह
Caste census data is completely false

अजय कुमार पाण्डेय:

औरंगाबाद: (बिहार) गुरुवार के दिन जब औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह अपने जिला मुख्यालय स्थित आवास पर अति महत्वपूर्ण उत्तर कोयल नहर परियोजना मामले में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया था. तब आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस के समाप्ति पश्चात उपस्थित पत्रकारों ने भाजपा सांसद से सवाल पूछा कि खासकर बिहार में इंडिया गठबंधन के लोग जातीय जनगणना प्रकाशित होने के बाद काफी उत्साहित है, और अपना-अपना श्रेय लेने की भी हो लगी हुई हैं.

इस मुद्दे पर आप क्या कहना चाहेंगे? तब औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिहार सरकार द्वारा जारी जातिय जनगणना रिपोर्ट का आंकड़ा ही बिल्कुल फॉल्स है. सांसद ने कहा कि मुझे सांसद होने के नाते मेरे यहां जातीय जनगणना करने के लिए लोग जरूर आए थे. लेकिन यह भी सच्चाई है कि जातीय जनगणना करने वाले लोग कहीं गांवों में नहीं गए हैं. मेरी बातों को आप लोग छोड़ दीजिए. आप लोग खुद पत्रकार हैं.

गांवों में जाकर पता कर लीजिए. तब आप लोगों को भी खुद पता चल जाएगा, की यह बात सच है, की जातीय जनगणना करने वाले लोग गांव में नहीं गए हैं. बिहार सरकार द्वारा कहीं जनसंख्या का आंकड़ा बढ़ा चढ़ा कर, तो कहीं घटाकर दिखा दिया गया है. यहां तक की सत्ताधारी लोग भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं, कि यह आंकड़ा गलत है. राष्ट्रीय जनता दल एवं जनता दल यूनाइटेड के नेताओं ने भी कहा है, कि जातीय जनगणना का आंकड़ा गलत है.

बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के कई दिन हो गये. इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार या उपमुख्यमंत्री, तेजस्वी प्रसाद यादव को तो नैतिकता के आधार पर ही 24 घंटा के अंदर इस्तीफा देना चाहिए था, क्योंकि सत्ताधारी दल के लोगों ने भी बिहार सरकार द्वारा जारी जातीय जनगणना रिपोर्ट को गलत कहा है. लेकिन यहां तो नैतिकता का अभाव है. यहां समाज को बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार सिर्फ आपस में ही जात के नाम पर बंटवारा करके लड़ाने का काम करते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जाति के नाम पर सिर्फ तीतिर लड़ाने का ही काम कर रहे हैं.

अंत में जब उपस्थित पत्रकारों ने भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह से सवाल पूछा कि आज जो बिहार में जाति के नाम पर सरकार द्वारा जातीय जनगणना का रिपोर्ट जारी किया गया है. यही रिपोर्ट सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर जारी क्यों नहीं किया जा रहा है? तब भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह में भी उपस्थित पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि वास्तव में रिपोर्ट आर्थिक आधार पर ही जारी किया जाना चाहिए, क्योंकि समाज में सिर्फ दो तरह के ही लोग हैं. एक अमीर वर्ग, तो दूसरा गरीब वर्ग. इसलिए वास्तव में इसी आधार पर योजना भी बननी चाहिए. लेकिन बिहार में तो जाति के अलावे उप जाति बनाकर भी जातीय जनगणना का आंकड़ा दिखा दिया गया है.