औरंगाबाद सूर्य मंदिर स्थित सामुदायिक भवन में संपन्न हुआ शोषित इंकलाब पार्टी की बैठक
अजय कुमार पाण्डेय / प्रमोद कुमार सिह:
औरंगाबाद: ( बिहार ) जिला मुख्यालय औरंगाबाद स्थित अदरी नदी के तट पर बना सूर्य मंदिर के समीप सामुदायिक भवन में शनिवार दिनांक 12 नवंबर 2022 को शोषित इंकलाब पार्टी के बैनर तले एक बैठक का आयोजन किया गया. जो भारत - सरकार के पूर्व मंत्री रह चुके माननीय, नागमणि ने इस नये पार्टी का गठन किया है. ध्यातव्य हो कि इस शोषित इंकलाब पार्टी की बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, इमरान अहमद उर्फ राजू, प्रदेश उपाध्यक्ष, दिनेश कुशवाहा, प्रदेश महासचिव जनाब शकील अहमद खां, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नागमणि के करीबी रह चुके व्यवसायी व समाजसेवी न्यू एरिया औरंगाबाद निवासी, मुखिया जी उर्फ विक्रांत प्रताप सिंह, रामप्रवेश वर्मा, मंजर जी, राजू कुशवाहा, गौतम कुमार, अधिवक्ता, शक्ति कुमार सिंह, टेंगरा पंचायत निवासी, मृत्युंजय कुशवाहा, रमेश कुशवाहा, राजीव कुशवाहा के अलावे भी कई लोगों ने भाग लिया.
इस कार्यक्रम में पहुंचे कई लोगों को पार्टी में मंच पर सम्मानित करते हुए पद भी दिया गया, जिसका प्रमाण पत्र भी पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष, इमरान अहमद उर्फ राजू ने मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य लोगों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से दिया. सर्वप्रथम पार्टी नेताओं के साथ मंच पर बैठे मुखिया जी उर्फ विक्रांत प्रताप सिंह को बोलने के लिए मौका दिया गया. तब मुखिया जी उर्फ विक्रांत प्रताप सिंह ने भी सभागार में उपस्थित सभी लोगों के समक्ष ही मंच से संबोधित करते हुए कहा कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने जब समता पार्टी का गठन किया था. तब उस वक्त भी हम मौजूद थे. उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने भी मात्र 08 आदमी के साथ ही दरी पर बैठकर समता पार्टी का निर्माण किया था.
इसलिए आज हम लोगों की नई पार्टी में भी वर्तमान इस सभागार में चाहे जितनी लोगों की भी संख्या है. चिंता करने की कोई बात नहीं है. सिर्फ सभी लोगों को संकल्प के साथ एकता बनाए रखने की जरूरत है. एकता बनी रहेगी, तो निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में पार्टी का स्वत: विस्तार होगा. आप लोग जान लीजिए कि जब बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने समता पार्टी का निर्माण किया था. तब उस वक्त प्रदेश में मात्र 08 लोगों के साथ ही दरी पर बैठकर पार्टी बनाया था. लेकिन आज हम लोग जिला मुख्यालय औरंगाबाद में इतने लोगों के साथ बैठकर पहली बार मीटिंग कर रहे हैं.
जब बिहार में पार्टी का प्रचार - प्रसार करने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बन सकते हैं. तब हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय, नागमणि जी के पार्टी का विस्तार क्यों नहीं होगा? और पार्टी मजबूत होने के बाद किसी भी पद के लिए दावेदारी क्यों नहीं कर सकते? इसलिए हम सभी लोगों से अपील करना चाहते हैं कि सिर्फ ईमानदारी पूर्वक हम लोग अपने पार्टी के लिए कार्य करें, और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष, नागमणि जी के हाथों को मजबूत करें.
तत्पश्चात मुखिया जी उर्फ विक्रांत कुमार सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद एवं बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार यानी कि दोनों की रही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 15 वर्षों तक बिहार में एक घप्पू राम रहे, तो दूसरा 16 - 17 वर्षों तक बिहार में मुख्यमंत्री के पद पर पलटू राम रहे. हम लोग भी बिहार में दोनों मुख्यमंत्री के कार्यकाल को देखें है. लेकिन सचमुच में वोट तो हम ही लोगों का है. जो हम लोग चुनाव के वक्त किसी भी पार्टी को दे देते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के जाति का तो मात्र 1:5 प्रतिशत ही वोट है. इसलिए कम से कम आज से भी सचेत हो जाने की जरूरत है.
आज आप लोग भी जान रहे हैं कि बिहार में अफसरशाही कितना चरम सीमा पर पहुंचा हुआ है. हरेक ब्लाक, थाना में कहीं भी बिना रिश्वत दिए किसी का कोई काम नहीं होता है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ मुखिया जी उर्फ विक्रांत प्रताप सिंह ने मंच से ही संबोधन के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके व राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो, लालू प्रसाद यादव के शासनकाल का तारीफ भी करते हुए कहा कि जब हम प्रथम बार अंडर एज में ही मुखिया बने थे. तब उस वक्त राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, लालू प्रसाद यादव के टाईम में किसी भी ब्लॉक, थाना का पदाधिकारी खड़ा हो जाता था.
उस वक्त तक लोकतंत्र था. लेकिन वर्तमान बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने तो जात - पात की ऐसी राजनीति करते हुए पूरे बिहार को बर्बाद कर दिया. जो आज किसी से छुपी हुई भी नहीं है. एक कहावत है कि पद के आधार पर गरिमा भी होनी चाहिए. लेकिन अब तो बिहार में यह सब समाप्त ही हो चुका है. यह बात सच है कि लालू प्रसाद यादव के समय में अधिकांश स्वर्ण जाति के लोग ही मुखिया, सरपंच बनते थे.
कई स्थानों पर योग्यता अनुसार अल्पसंख्यक समाज के भी लोग मुखिया बनते थे. लेकिन आज बिहार में तो ऐसी स्थिति है कि यदि कोई भी कमजोर तबके के व्यक्ति आरक्षण के आधार पर मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति या जिला परिषद बनता है, तो क्या आज बिहार में अफसरशाही के सामने किसी भी जनप्रतिनिधि का कोई पदाधिकारी सुनने वाला है? इसलिए वर्तमान की सरकार में बिहार के अंदर लोकतंत्र खत्म हो चुका है. आरक्षण का हम भी विरोध नहीं करते हैं. जिसका जितना हक बनता है. उसी हिसाब से उसे भागीदारी भी मिलनी चाहिए. लेकिन हम सिर्फ सामंती सोच रखने वाले का ही विरोध करते हैं.
इसके बाद मंच संचालन कर्ता, रंजीत कुमार को जब बोलने का मौका दिया गया, तो मंच से संबोधित करते हुए कहा कि क्रांतिकारी पार्टी का मैं अभिनंदन करता हूं. बिहार में जो सत्ता परिवर्तन का खेल चल रहा है. आज से हम लोगों के पार्टी के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष, नागमणि एवं प्रदेश अध्यक्ष, इमरान अहमद उर्फ राजू जी के साथ - साथ सारे लोग बिहार का दौरा कर रहे हैं. बिहार में कुछ सता, लोलुपता के लिए पार्टी, जमात को भी तोड़ दे रहे हैं. लेकिन हमारा पार्टी का मुख्य उद्देश्य है कि प्राथमिकता के आधार पर शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करना, युवाओं को सेटल करना, चिकित्सा के क्षेत्र में व्यवस्था सुधारना इत्यादि. आज बिहार के सभी लोग जान रहे हैं कि विद्यालय में बच्चों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. विद्यालय में बच्चे हैं. लेकिन शिक्षक नदारद है. बिहार में सरकारी शिक्षक को तो लकड़ी ढोने, अंडा खिलाने में लगा दिया जा रहा है. यानी कि पूरे बिहार में शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया गया है. इसलिए आप लोगों से अपील है कि एकता बनाकर इस पार्टी को मजबूत करें. एक कहावत है कि लहरों से डरकर नैया कभी पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. इसके बाद टेंगरा पंचायत निवासी, मृत्युंजय कुशवाहा ने भी मंच से संक्षिप्त में ही संबोधित करते हुए कहा कि कारवां हमेशा बढ़ता रहना चाहिए. तत्पश्चात अधिवक्ता, शक्ति कुमार सिंह ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि आज बहुत प्रशंसा की बात है कि जगदेव प्रसाद जी के नामों को मिटाने का जो प्रयास किया जा रहा है.
1977 के दशक में सामंती के विरुद्ध आंदोलन भी औरंगाबाद में ही हुआ था.इसलिए जगदेव बाबू का स्मारक औरंगाबाद में कहीं पर भी होना चाहिए. हम हर संभव पार्टी का मदद करेंगे. तब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, इमरान अहमद उर्फ राजू ने भी समर्थन करते हुए भरोसा दिया कि यदि औरंगाबाद में स्थान चयनित है. तब आप लोगों से जो भी सहयोग बनेगा, सहयोग कीजिएगा, नहीं तो मैं भी मूर्ति लगाने के लिए रथ यात्रा के समय ही पूरा सहयोग कर दूंगा. इसके बाद रमेश कुशवाहा को जब मंच पर बोलने के लिए आमंत्रित किया गया. तब मंच से संबोधित करते हुए कहा कि यहां तीन - तीन लोग शहीद हुए. लेकिन इसका मुद्दा भी गौण, गायब हो जाता है. आखिर ऐसा क्यों होता है? यहां सम्राट चौधरी आए, शकुनी चौधरी आए, बागी वर्मा भी आए थे. लेकिन हजारों - हजार लोग उस वक्त भी रौंदे गए, फिर भी कुशवाहा समाज के लोग कहां चलते हैं?
वहीं दाउदनगर अनुमंडल अंतर्गत कनाप गांव निवासी, गौतम कुशवाहा ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं के प्रति एक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. जिस प्रकार से समान वेतन के लिए शिक्षक रोड पर आते हैं. उसी प्रकार से युवाओं के प्रति भी जागरूकता लाना होगा.
इसके बाद प्रदेश महासचिव, जनाब शकील अहमद ने भी अपने संबोधन के दौरान केंद्र व राज्य - सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों की सरकार विचारों से अलग हटकर चल रहा है. इसीलिए हम लोगों के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय, नागमणि जी ने सभी का राय लेकर ही पार्टी को बनाया है. इस पार्टी को प्रखंड, पंचायत स्तर तक संगठन को मजबूत करना है. वर्तमान तो ऐसा माहौल बनाकर रखा गया है, कि कॉलेजियम ( न्यायालय ) में भी उचित हिस्सेदारी नहीं मिल रही है. पार्लियामेंट के सामने ही भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी द्वारा बनाए गए संविधान को भी जलाने का प्रयास किया गया है. इसलिए भारतीय संविधान भी खतरे में है. इसलिए सचेत होने की जरूरत है. मैं तो आरक्षण के मुद्दे पर भी कहता हूं, कि जिसकी जितनी भागीदारी हो, उसे उतनी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. बिहार में सरकार चाहे किसी की भी बनती है. मेनिफेस्टो भी सही बनाकर दिखाया जाता है. लेकिन सरकार की नियत कभी सही नहीं रहती है. 1990 में लालू प्रसाद यादव जी और प्रधानमंत्री बी0पी0 सिंह के वक्त 52% आरक्षण देने की बात कही गई थी. मगर मनुवादी लोगों ने इसे रोक दिया. सच्चर कमेटी भी बना. लेकिन इसे भी दबा दिया गया. जो बिल्कुल अनुचित है.
अंत में शोषित इंकलाब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, इमरान अहमद उर्फ राजू ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि हमारा जो उद्देश्य है. वो ये है कि संगठन को जमीन पे कैसे उतारे. जिला में, प्रखंड में, पंचायत तक एवं बूथ कमेटी तक. हम बनाने के लिए निकले हुए हैं. इसी क्रम में हम लोगों को जोड़ रहे हैं. कमेटी बना रहे हैं. जिला का, प्रखंड का कमेटी बना रहे हैं. लेकिन किसी कारणवश हमारी तबीयत बहुत खराब हो गई. ब्लड प्रेशर अभी भी हमारा लगता लगता है, कि 160 / 120 है. तब यहां से ही हम वापस चले जाएंगे. हमारे प्रदेश के उपाध्यक्ष ने कहा कि राजू जी आपको यहां आना बहुत जरूरी है, क्योंकि यहां पर लोग आए हुए हैं, और प्रेस को भी हमने बुला लिया है. इसलिए हम आप लोगों का नाम सुनकर सिर्फ यहां इसी हालत में चले आए हुए हैं.
तब संवाददाता द्वारा प्रदेश अध्यक्ष से सवाल पूछा गया कि क्या आप लोकसभा चुनाव 2024 में भी चुनाव लड़ेंगे? और कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे? तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बिल्कुल हमारी पार्टी लोकसभा में चुनाव लड़ेगी. हमारा पार्टी की पार्लियामेंट बोर्ड की जो कमेटी है. वो चुनाव के पहले हम लोग बैठेंगे. उसके बाद हम लोग डिसाइड करेंगे, कि कितने सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन इस बात से मैं आप लोगों को आश्वस्त कर दूं कि शोषित इंकलाब पार्टी लोकसभा चुनाव लड़ेगी.
तब संवाददाता द्वारा सवाल पूछा गया कि क्या आपकी पार्टी किसी गठबंधन से चुनाव लड़ेंगी? या अकेले चुनाव लड़ेंगी. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि देखिए किसी पार्टी से गठबंधन का जो मामला है, तो ये जो लालू और नीतीश का राज है, पिछले 32 सालों से. इस राज को हम लोग समाप्त करने के लिए प्रण लिए है. चुकि ये 32 सालों से बिहार का सिर्फ शोषण किया है. दुनिया कहां से कहां चली गई. बिहार में ना तो शिक्षा व्यवस्था है, ना तो हेल्थ व्यवस्था है, और ना ही बिहार का पलायन रोका जा रहा है. बिहार में बड़े पैमाने पर गरीब बिहार से पलायन कर रहे हैं. इस उद्देश्य से हम लोग किसी भी पार्टी के साथ लालू और नीतीश को छोड़कर के सांठगांठ करने के लिए तैयार है. जो हमारा सोशल एजेंडा को, जो हमारा सेकुलर एजेंडा को साथ लेकर के चलेगा. उसके साथ हम जरूर मिलेंगे.
तब संवादाता ने सवाल पूछा कि आपने अभी कहा कि लालू और नीतीश की जोड़ी से तंग हो चुका है पूरा बिहार. आप के बगल में ही बैठे हुए हैं. मुखिया जी उर्फ विक्रांत प्रताप सिंह. इन्होंने ही कहा कि लालू जी की सरकार चल रही थी. तब उस वक्त लोकतंत्र था. लेकिन नीतीश कुमार ने समाप्त कर दिया. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हां सही बोले हुए वो. लालू प्रसाद यादव बापू, शहीद जगदेव प्रसाद जी के जो अमर शहीद जगदेव प्रसाद जी थे. उनके नेतृत्व में उनके पद चिन्हों पर 05 साल चले थे वो. जब वो सरकार बनाए थे. लेकिन उनमें भी सामंत इतना घुस गया, और उनके लोगों में इतना घमंड घुस गया, तथा सामंत की तरह बिहार में काम होने लगा, कि बाकी सभी समाज के लोग उनसे त्रस्त हैं.
तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि दावे तो लोग बड़े - बड़े करते हैं. बाकी सभी पार्टियों का वही हाल होता है. जब उनकी सरकार बनती है. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आप सही बोल रहे हैं. ये दावा है, की सच्चाई है. एक बार आप सरकार बनाकर देखें. इसके बाद मजाकिया लहजे में और फिल्मी स्टाइल में ही जवाब देते हुए कहा कि मेरे पैरों में तो घुंघरू बांध, फिर मेरी नाच देख ले. ये जगदेव प्रसाद जी का बेटा है नागमणि, और उसके अंदर जगदेव प्रसाद जी का खून है . वो शोषित समाज और शोषित इंकलाब पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष है, और शोषितों के लिए जो आदमी जान दे दिया, जिसका प्राण चला गया. उसी का पुत्र है, और इनका भी जान जाएगा, तो शोषित, पीड़ित, बैकवर्ड, दलित के लिए ही जान जाएगा. तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि नागमणि जी से भी हमारी बात आज से नहीं होती है. बहुत दिनों से बात होती है. लेकिन जब भी बात होती है. तब सिर्फ टालमटोल ही कर दिया जाता है, और कभी नहीं मिलते हैं?
तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा? तब संवादाता ने कहा कि हां. तब जवाब देते हुए कहा कि आप नागमणि जी के प्रतिनिधि से बात कर रहे हैं. आपको हम बोलते हैं, कि आप जब कहिएगा. तब हम बात करवाएंगे, भेंट करवाएंगे. आप बात कीजिएगा, तो चले जाइए. हम फोन कर दे रहे हैं. तब संवाददाता ने कहा कि आप फोन कीजिएगा. उसकी बात छोड़ दीजिए. हमने एक बार नहीं कई बार मिलने का प्रयास किया. तब मिलते नहीं है. तब कहा कि हो सकता है कोई कारण रहा होगा.
तब उपस्थित संवाददाताओं ने सवाल पूछा कि पैरों में घुंघरू बांधा था. आपके नागमणि जी ने कि हमें उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री बनाना है? और फिर घुंघरू टूट गया, और अपनी अलग पार्टी बना ली? तब जवाब देते हुए कहा कि ना - ना मेरी बात सुने.
आपने बहुत अच्छा क्वेश्चन किया है, सही है. आपने बहुत अच्छे चीज को पूछ दिया है. देखिए नागमणि जी सही जगदेव प्रसाद जी के पुत्र हैं. उनका विरासत है, उनके पास. उस विरासत को बिहार में कुशवाहा, कोइरी, दांगी, मौर्य, माली सभी लोगों को एकता के लिए उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा जैसे जूनियर नेता के पास गिरवी रख दिया. उनको नेता मान लिया. यहां स्वास्थ्य की जो बदहाली है. उसको दूर कैसे किया जाएगा. इसी बात पर मैंने बोला है कि मेरे पैरों में तो घुंघरू बांध, फिर मेरी नाच देख ले. तब संवादाता ने सवाल पूछा कि आरक्षण की जो लगातार बात की जाती है, तो आरक्षण खत्म ही क्यों न कर दिया जाए? या फिर आर्थिक आधार पर ही आरक्षण लागू किया जाए?
तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि देखिए आर्थिक आधार पर आपने अभी देखा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने फॉरवर्ड के आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने का काम किया है. उसका हम लोग विरोध नहीं करते हैं. उसका समर्थन करते हैं. लेकिन आरक्षण अगर समाप्त हो जाएगा, तो देश में गरीब, गरीब हो जाएगा, और अमीर, अमीर हो जाएगा. अभी देश में सामाजिक न्याय नहीं मिला है. देश के लोगों को, और जब तक सामाजिक न्याय नहीं मिलता है, पूरी तरह से. जब - तक पिछले पायदान के अंतिम पंक्ति में खड़ा लोग जब - तक उस लायक नहीं बन जाए, की जो कुर्सी खींचकर के डी0सी0, एस0पी0 के सामने बात करने लायक ना बन जाए. तब - तक तो ये आरक्षण समाप्त करने का प्रश्न हीं गलत है.
तब संवाददाता ने सवाल पूछा कि सक्षम लोग भी तो आरक्षण का लाभ ले रहे हैं? बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी आरक्षण का लाभ ले रहे हैं? तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि नहीं तो आरक्षण का जो नीति, तरीका है. उस तरीके से आरक्षण का लाभ मिल रहा है.
इसके बाद आरक्षण के मुद्दे पर ही संवाददाता द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से संबंधित पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जाहिर सी बात है, कि मियां जाति से है, मुसहर जाति से आते हैं, तो आरक्षण का लाभ तो मिलबे करेगा. बहुत सारी त्रुटियां हैं. लेकिन उसको हम प्रदेश में खत्म नहीं कर सकते हैं. उस त्रुटि को खत्म करने के लिए सेंट्रल की गवर्नमेंट है. उसको सेंट्रल की गवर्नमेंट पर छोड़ दीजिए. हमसे ये क्वेश्चन पूछने पर निदान नहीं होगा. आप हमसे प्रदेश का क्वेश्चन पूछिए, कि प्रदेश का उत्थान कैसे होगा? ये सब क्वेश्चन पूछिएगा. तब अच्छा अच्छा जवाब देंगे.