क्या तम्बाकू के सेवन से जीवनी शक्ति का भी हृास होता है
Tobacco is a sweet poison, a slow poison. Slowly it kills a man. Even the government probably does not know that it receives revenue from tobacco, this is true but it is also true that this revenue is much less than what is spent on the treatment of diseases caused by tobacco. The biggest thing is that consumption of tobacco also leads to loss of life force.
तम्बाकूः एक हत्यारा उत्पाद
लेखक-एल.एस. हरदेनिया :
वैसे तो कैंसर रोग अनेक प्रकार के होते हैं और उनके अलग-अलग कारण होते हैं परंतु सबसे खतरनाक और पीड़ादायक गले का कैंसर होता है. रिसर्च से यह सिद्ध हो गया है कि तंबाकू का उपयोग इसका सबसे बड़ा कारण है.
तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है. दरअसल तम्बाकू एक मीठा ज़हर है, एक धीमा ज़हर. हौले-हौले यह आदमी की जान लेता है. सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह राजस्व प्राप्त करती है, यह बात तो सही है किंतु यह भी सही है कि तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर जितना खर्च किया जाता है, यह राजस्व उससे कहीं कम है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवनी शक्ति का भी हृास होता है. व्यक्ति को पता चल जाता है कि तम्बाकू का सेवन हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत छूटती नहीं. धीरे-धीरे उसमें जीवनी शक्ति भी कम होती जाती है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले भी कर देता है.
यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरूपयोग सिगरेट के रूप में किया जाता है. भारत में इसका उपयोग अन्य रूप में भी किया जाता है. जैसे बीड़ी, हुक्का, गुल, गुड़ाकु, ज़र्दा, किमाम, खैनी, गुटखा आदि के रूप में. तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए, इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता ही है.
भारत में तम्बाकू का उपयोग अनेक प्रकार से होता है. इसे दो भागों में बांटा जा सकता हैः
(1) धुंआरहित तम्बाकूः तम्बाकू वाला पान, पान मसाला, तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण, मैनपुरी तम्बाकू, मावा, तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी), चबाने योग्य तम्बाकू, सनस, मिश्री, गुल, बज्जर, गुढ़ाकू, क्रीमदार तम्बाकू पाउडर, तम्बाकू युक्त पानी.
(2) धम्रपान वाला तम्बाकूः बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चैरट (एक प्रकार का सिगार), चुट्टा, चुट्टे को उल्टा पीना, धुमटी, धुमटी को उल्टा पीना, पाइप, हुकली, चिलम, हुक्का.
तम्बाकू के दुष्प्रभाव
तम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु, या खैनी, के रूप में प्रयोग करते हैं तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं. सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना तथा कैंसर रोग भी हो सकता है. बीड़ी-सिगरेट के पीने से शरीर में व्यापक प्रभाव पड़ता है. इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है. हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनर्फाकशन तथा अनजाइना हो सकता है. रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है. साँस की बीमारी जैसे ब्रोंकाइटीस, दमा, तथा फेंफड़ों का कैंसर हो सकता है. इसके अतिरिक्त इसका प्रभाव शरीर के स्नायुतंत्र में पड़ता है. इसकी और बहुत सी हानियां हैं.
किशोरावस्था में उत्सुकता वश या मित्रों के साथ इन पदार्थो का सेवन शुरू होता है फिर इससे नशे का आनन्द आने लगता है. इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है. जो बार-बार लोग इसका सेवन करते हैं, उनका शरीर इस मादक पदार्थ का आदी हो जाता है और फिर वे उसको छोड़ नहीं पाते. छोड़ने से कई प्रकार के लक्षण जैसे-बेचैनी, घबराहट होने लगती है. इस कारण लोग इसके आदी हो जाते हैं. उसी प्रकार जैसे लोग शराब या अन्य पदार्थों के आदी हो जाते हैं और जब कोई किसी पदार्थ का आदि हो जाए तो उसका नियमित सेवन उसकी बाध्यता हो जाती है.
सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय
सिगरेट पीने वाले सिगरेट द्वारा न केवल स्वयं को शारीरिक हानि पहुँचा रहे हैं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से (पैसिव स्मोंकिंग द्वारा) परिवार तथा बच्चों में भी तम्बाकू का विष पहुँचा रहे हैं. यह सब जानते हुए भी वह इनका सेवन बन्द नही कर पाते. जब भी वह इसका सेवन बंद करते हैं, तो उन्हें इतनी बेचैनी होती है कि वे उनका फिर से सेवन शुरू कर देते हैं.
इसके लिए आवश्यकता है कि व्यक्ति खुद को तैयार करे कि वह एक निश्चित दिन से धुम्रपान करना बंद कर देगा. इसकी घोषणा पूरे परिवार में कर दे. निश्चित दिन के पहले घर से सिगरेट पाउच, एशट्रे आदि धुम्रपान वस्तुओं को फेंक दे. निश्चित दिन में धुम्रपान करना बंद कर दे. यदि धुम्रपान करने की इच्छा हो तो अपने को सांत्वना दे. अधिक से अधिक पानी पिए. ऐसा करके आप धुम्रपान करना छोड़ सकते हैं. यह बहुत कुछ आपके इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है.
खैनी, जर्दा खाना या गुल, गुड़ाकू का अधिक प्रयोग किसी भी तरह धुम्रपान के उपयोग से अलग नहीं है. यदि कोई इन पदार्थो को छोड़ना चाहे तो उसे भी स्वयं को तैयार कर इच्छाशक्ति द्वारा इन पदार्थों की आदतों से मुक्ति पा सकते हैं.
जब कोई व्यक्ति चाह कर भी तम्बाकू तथा उससे संबंधित मादक पदार्थ बंद नही कर पाए और यदि वह इस विषय में बहुत गंभीर है तो इसके लिए उसे ऐसी संस्थाओं से संपर्क करना चाहिए जिनमें नशाबंदी के लिए विशेष सुविधा है. इसमें मनोवैज्ञानिक रूप से रोगियों को तैयार किया जाता है तथा उचित औषधियों तथा व्यवहार चिकित्सा द्वारा इसका इलाज किया जाता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं)