जातीय जनगणना का रास्ता हुआ साफ, जिला जदयू ने किया स्वागत
अजय कुमार पाण्डेय:
औरंगाबाद: (बिहार) ज्ञात हो कि बिहार सरकार द्वारा जब जातीय सर्वेक्षण - 2022 के तहत जातीय सर्वेक्षण कराने हेतु कार्य शुरू कराया गया था. तब माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराने के मामले में 04 मई 2023 को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया गया था. लेकिन जब मंगलवार को निर्णय दे दिया गया. तब जिला मुख्यालय औरंगाबाद स्थित सर्किट हाउस में जनता दल यूनाइटेड की ओर से बुधवार को एक प्रेस कॉफ्रेंस का भी आयोजन किया गया. जिसमें जानकारी दिया गया कि बिहार सरकार द्वारा द्वारा चलाई जा रही जातीय सर्वेक्षण - 2022 पर माननीय पटना उच्च न्यायालय, ने रोक लगा दी थी. लेकिन अब इस मामले में मंगलवार को फैसला आ गया है. मंगलवार को माननीय उच्च न्यायालय, पटना में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने फैसला देते हुए खिलाफ में दायर किए गए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
जातीय सर्वेक्षण के पक्ष में फैसला आने के बाद बिहार - सरकार भी तत्काल एक्शन के मूड में आ गई है. सरकार के वकील ने बताया है, कि इसकी सूचना माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली को दे दी जाएगी. जिसके बाद जातीय सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
ध्यातव्य हो कि इस आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस में मौजूद रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व जदयू विधायक व वर्तमान जनता दल यूनाइटेड औरंगाबाद जिलाध्यक्ष, अशोक कुमार सिंह, जदयू जिला प्रवक्ता, राजीव रंजन सिंह उर्फ राजा बाबू, कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व जनता दल यूनाइटेड विधायक व वर्तमान अनुसूचित जाति उपाध्यक्ष, ललन भुईयां उर्फ ललन राम के साथ-साथ उपस्थित सभी लोगों ने माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले को न्याय की जीत बताया है, और खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि जल्द ही जातीय सर्वेक्षण पूरे बिहार में शुरू करा दिया जाएगा.
ध्यातव्य हो कि बिहार में जातीय सर्वेक्षण की शुरुआत 07 जनवरी 2023 से हुई थी. पहला फेज का काम पूरा हो गया था. इसके बाद दूसरा फेज का काम 15 अप्रैल से शुरू किया गया था. इसी बीच 04 मई 2023 को पटना उच्च न्यायालय ने अपने एक अंतरिम आदेश में जाति आधारित सर्वेक्षण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था. सरकार ने कोर्ट में कहा था, कि जातीय सर्वेक्षण का लगभग 80% काम पूरा हो चुका है.
इसके बाद भी हाईकोर्ट ने जातिगत आरक्षण पर रोक लगा दिया था. जिसके बाद बिहार - सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार - सरकार को हाईकोर्ट में सुनवाई तक इंतज़ार करने को कहा था.
ज्ञात हो कि जातीय सर्वेक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में 07 याचिकाएं दायर की गई थी. उन सभी याचिकाओं को माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने निरस्त कर दिया है. साथ ही जातीय सर्वेक्षण का रास्ता साफ हो गया है. जिस पर जिला जनता दल यूनाइटेड के लोगों ने स्वागत किया है. ज्ञात हो कि मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस में बुधवार को आयोजित प्रेस कॉफ्रेंस में रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व जदयू विधायक व वर्तमान जदयू जिलाध्यक्ष, अशोक कुमार सिंह के साथ कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व जनता दल यूनाइटेड विधायक एवं वर्तमान अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष, ललन भुईयां उर्फ ललन राम, जदयू मुख्य प्रवक्ता सह सांसद प्रतिनिधि, राजीव रंजन सिंह उर्फ राजा बाबू, जिला उपाध्यक्ष, पप्पू ज्वाला सिंह, जिला उपाध्यक्ष, सत्येंद्र चंद्रवंशी, जिला उपाध्यक्ष, रिंकू सिंह, जिला उपाध्यक्ष, ओंकार नाथ सिंह, जिला कोषाध्यक्ष, उदय सिंह, जिला महासचिव, प्रमोद सिंह, महिला प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष, मंजरी सिंह, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष, जुगनू, जिला सचिव, अतहर हुसैन,जदयू नगर अध्यक्ष औरंगाबाद, सईद मुजफ्फर कादरी, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष, जितेंद्र चंद्रवंशी, महादलित प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष, विजय दास, राज्य परिषद सदस्य, अनिल यादव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.