नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन: प्रेस कांफ्रेंस और उपहारों की विवादास्पद राजनीति
क्या नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से भागकर कुछ खास लोगों के इशारे पर काम कर रहे हैं?
नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (एन.टी.पी.सी.) में हाल ही में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इस कार्यक्रम में केवल चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रित किया गया और उन्हें सफारी कंपनी के ट्रॉली बैग उपहार में दिए गए. यह घटना 26 अक्टूबर 2024 को हुई और इसके बाद पत्रकारों के बीच इस विषय पर चर्चा तेज हो गई. क्या यह उपहार भ्रष्टाचार का संकेत है? क्या प्रबंधन की चयनात्मक नीति पत्रकारिता के स्वतंत्रता के लिए खतरा है? आइए इस घटनाक्रम की विस्तृत पड़ताल करते हैं.
घटना का विवरण
प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन
अंकोरहा में स्थित नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के प्रबंधन द्वारा 26 अक्टूबर को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कुछ गिने-चुने पत्रकारों को आमंत्रित किया गया. कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित पत्रकारों को सफारी कंपनी का ट्रॉली बैग उपहार के रूप में दिया गया. यह बात तब उजागर हुई जब कुछ पत्रकारों ने इस विषय पर बातचीत की और अपने अनुभव साझा किए.
पत्रकारों की नाराजगी
कार्यक्रम में शामिल कुछ पत्रकारों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि यह कोई नई बात नहीं है. हर बार केवल कुछ चुने हुए पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है, जबकि अन्य पत्रकारों को इस आयोजन के बारे में जानकारी तक नहीं दी जाती. इस बार, कुछ पत्रकारों ने जबरदस्ती प्रबंधन के कार्यालय में प्रवेश किया और प्रेस कांफ्रेंस में भाग लिया.
प्रबंधन की चयनात्मक नीति
पब्लिक रिलेशन ऑफिसर का बयान
प्रेस कांफ्रेंस से एक दिन पहले, संवाददाता ने पब्लिक रिलेशन ऑफिसर अतुल कुमार से संपर्क किया और पूछा कि इस बार सिर्फ कुछ पत्रकारों को आमंत्रित करने का क्या कारण है. अतुल कुमार ने जवाब दिया कि वे कुछ लिमिटेड पत्रकारों को ही बुलाकर छोटा-मोटा कार्यक्रम कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगली बार सभी पत्रकारों को आमंत्रित किया जाएगा. लेकिन क्या यह सिर्फ एक अल्पकालिक समाधान है?
पत्रकारों का शोषण
नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के अधिकारियों द्वारा इस तरह की चयनात्मकता से पत्रकारों में असंतोष फैल रहा है. कई पत्रकारों का मानना है कि यह प्रक्रिया राजनीतिक दबाव और स्थानीय प्रभाव के चलते होती है. इससे न केवल पत्रकारों का मनोबल गिरता है, बल्कि यह स्वतंत्र पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है.
भ्रष्टाचार के संकेत
उपहारों की चर्चा
इस घटना ने कई सवाल उठाए हैं कि क्या उपहारों का वितरण भ्रष्टाचार का संकेत है. कुछ पत्रकारों ने इस बात पर चिंता जताई है कि ऐसे उपहार पत्रकारों को प्रभावित करने के लिए दिए जा रहे हैं, ताकि वे प्रबंधन के प्रति सकारात्मक रिपोर्टिंग करें. यह निश्चित रूप से पत्रकारिता के नैतिक मानकों का उल्लंघन है.
लोकल राजनीति का प्रभाव
इस संदर्भ में, स्थानीय राजनीति और कुछ व्यक्तियों के इशारे पर प्रबंधन की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ रहे हैं. क्या नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से भागकर कुछ खास लोगों के इशारे पर काम कर रहे हैं? यह स्थिति न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंताजनक है.
संवाददाता की पुनः पूछताछ
संवाददाता की दृढ़ता
संवाददाता ने 26 अक्टूबर को पुनः पब्लिक रिलेशन ऑफिसर से संपर्क किया और पूछा कि जब चयनित पत्रकारों को ही आमंत्रित किया गया था, तो उन पत्रकारों को उपहार क्यों दिए गए जिन्होंने बिना आमंत्रण के कार्यक्रम में भाग लिया? इस पर अतुल कुमार ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक छोटा-मोटा कार्यक्रम था.
भविष्य की संभावनाएँ
इस स्थिति को देखते हुए, यह भी सवाल उठता है कि यदि नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन में भविष्य में बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, तो उन पत्रकारों को क्या उपहार दिए जाएंगे? यह सोचने वाली बात है कि क्या प्रबंधन इस बार सभी पत्रकारों को समान सम्मान देने के लिए तैयार है?
निष्कर्ष
इस घटनाक्रम ने स्पष्ट किया है कि नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के प्रबंधन में पारदर्शिता और ईमानदारी की कमी है. पत्रकारों के प्रति इस तरह की भेदभावपूर्ण नीतियों से न केवल मीडिया की स्वतंत्रता को खतरा है, बल्कि यह संगठन की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा सकता है.
नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के प्रबंधन को चाहिए कि वे पत्रकारों के साथ समान व्यवहार करें और उनकी आवाज़ को सुनें. इससे न केवल उनकी साख में सुधार होगा, बल्कि यह बिहार में सुशासन की अवधारणा को भी मजबूत करेगा. पत्रकारों को भी चाहिए कि वे इस तरह की असमानता के खिलाफ खड़े हों और अपने अधिकारों की रक्षा करें.
जांच की आवश्यकता
अंत में, इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन के अधिकारियों द्वारा कोई भ्रष्टाचार किया गया है. केवल इस तरह की जांच ही यह सुनिश्चित कर सकेगी कि संगठन की कार्यप्रणाली में सुधार हो और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा हो सके.
इस प्रकार, नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन का यह घटनाक्रम न केवल एक प्रेस कांफ्रेंस का मामला है, बल्कि यह पत्रकारिता, भ्रष्टाचार और सरकारी जिम्मेदारियों के मुद्दों पर एक गहरा प्रश्न उठाता है.
- अजय कुमार पाण्डेय