औरंगाबाद जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ सफल आयोजन

इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष सह जिला एवं सत्र न्यायाधीश, माननीय संपूर्णानंद तिवारी ने कहा कि एक इंसान सभी कार्यो में स्वयं को अच्छा साबित करता है! आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य जाँच शिविर के माध्यम से भी लोगो को मिला स्वास्थ्य लाभ

औरंगाबाद जिला में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ सफल आयोजन

ब्यूरो चीफ: अजय कुमार पांडे :

औरंगाबाद: ( बिहार ) जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के तत्वावधान में शनिवार दिनांक - 09 सितंबर: 2023 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन व्यवहार न्यायालय, औरंगाबाद तथा अनुमण्डलीय व्यवहार न्यायालय, दाउदनगर में किया गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य उद्घाटन समारोह जिला विधिक सेवा प्राधिकार, औरंगाबाद के सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष सह माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सम्पूर्णानन्द तिवारी, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव, प्रणव शंकर, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय, पुनीत कुमार गर्ग, प्रभारी जिला पदाधिकारी, मनोज कुमार, नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक, हृदय कांत, जिला विधि संघ अध्यक्ष, रसिक बिहारी सिंह, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष, संजय कुमार सिंह द्वारा संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित दीप कर विधिवत उद्घाटन किया गया। इस उद्घाटन समारोह में लोक अभियोजक, पुष्कर अग्रवाल सहित काफी संख्या में न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता, बैंक, बीमा पदाधिकारी एवं अन्य विभागों के पदाधिकारी तथा काफी संख्या में वादकारी भी उपस्थित रहे। पुरे कार्यक्रम का संचालन प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी, श्रीमती निधि जायसवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आगंतुको का स्वागत अभिभाषण अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव, प्रणव शंकर द्वारा किया गया, तथा राष्ट्रीय लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि जितने भी वादकारीगण यहां आए हुए हैं! आप सभी के सहयोग से ही राष्ट्रीय लोक अदालत एक मुकम्मल स्थान को पायेगा!

इसके बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव, प्रणव शंकर ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के हर गतिविधि को जन-जन तक पहुंचाने में प्रिंट / इलेक्ट्रॉनिक / डिजिटल मीडिया का काफी सहयोग रहा है! एक माह से लगभग कोई भी ऐसा दिन नहीं है! जिस दिन की औरंगाबाद मीडिया बंधुओ ने खबर प्रकाशित / प्रसारित नहीं किया है! आप लोगों के माध्यम से ही आज लोग राष्ट्रीय लोक अदालत में उपस्थित होते हैं, तो उन्हें इसका उचित लाभ प्राप्त होगा। इसलिए मैं औरंगाबाद के सभी पत्रकार बंधुओं को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं! इसके राष्ट्रीय लोक अदालत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर किसी का वाद राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारित होता है, तो इसका लाभ सिर्फ वादकारीगण को ही नहीं होता है, बल्कि जिला प्रशासन / पुलिस प्रशासन सहित न्यायालय पर भी मुकदमों का बोझ कम होता है, और यह कई तरह के विधि व्यवस्था को कायम रखने में सहायक होता है! साथ ही जिनका वाद समाप्त होता है! दोनों पक्षों के बीच पूर्व से उत्पन्न तनाव खत्म हो जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत में सहयोग के लिए पुलिस अधीक्षक, हृदय कांत एवं प्रभारी जिला पदाधिकारी, मनोज कुमार के प्रति भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पुलिस - प्रशासन के सहयोग से इस बार 17,000 ( सत्रह हजार ) से अधिक नोटिस को ससमय तामिला कराने की कार्रवाई की गयी है! जो इस जिला के लिए अपने आप में रिकॉर्ड है! इस अवसर पर इनके द्वारा उम्मीद जताई गई कि पिछले राष्ट्रीय लोक अदालत से ज्यादा इस बार राष्ट्रीय लोक अदालत का निस्तारण होगा। वहीं जिला विधि संघ अध्यक्ष, रसिक बिहारी ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि पिछला राष्ट्रीय लोक अदालत तीन माह पूर्व लगा था, और इस राष्ट्रीय लोक अदालत के समय देश में भी काफी बड़ा परिवर्तन हुआ है। भारत द्वारा चंद्रयान -03 को सफलतापूर्वक दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचाया गया। इसलिए भारत ही एक मात्र ऐसा देश है! जो दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान - 03 को पहुंचाया! इसके बाद राष्ट्रीय लोक अदालत पर चर्चा करते हुए कहा कि असहमति को सहमति में बदलना ही राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्देश्य है, और जिला विधिक सेवा प्राधिकार निरंतर यह कार्य कर रहा है। दया करने वालो को हमेशा याद किया जाता है! इसलिए करूणा का भाव होना आवश्यक है। इसके बाद अधिवक्ता संघ अध्यक्ष, संजय कुमार सिंह ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि अगर आज आपको राष्ट्रीय लोक अदालत में बुलाया गया है, तो इसका उद्देश्य है कि न्यायालय आपको सजा देना नहीं चाहती है, और आपका वाद राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से समाप्त हो जाता है, तो इसमें ना ही किसी की हार और ना ही किसी की जीत होती है। इसके बाद प्रभारी जिला पदाधिकारी, मनोज कुमार ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि मैं एस0डी0ओ0, सर्किल ऑफिसर के पद पर रहकर भी सेवा किया हूं! मैं सोचता था कि गांव के लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत से क्या उम्मीदें हो सकती है!

इसके बाद प्रभारी जिला पदाधिकारी, मनोज कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि अभी जमीनी विवाद काफी चल रहा है! मैं प्रयास करूंगा कि हल हो! मुझे भी राष्ट्रीय लोक अदालत से उम्मीद रहती है! इसके बाद नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक, हृदय कांत ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान में जो त्वरित न्याय दिलाने की परिकल्पना की गयी है! उसके परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत एक ऐसा मंच है! जहां त्वरित न्याय मिलता है, और इसका निस्तारण आपसी सामंजस्य से किया जाता है! इसलिए कोई भी पक्ष यहां से निराश होकर नहीं जाता है। राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारित होने वाले वादों में व्यक्ति को समय, उर्जा, पैसा बचत के साथ-साथ कई स्तरों पर भी सहुलियत एवं सुकुन की अनुभूति होती है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, पुनीत कुमार गर्ग ने भी मंच से संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत कई स्तरों पर लोगो को त्वरित न्याय प्रदान करने और अपने सुलहनीय वादों का निस्तारण कराने का एक सशक्त माध्यम है! अपने अध्यक्षीय भाषण में जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष, माननीय सम्पूर्णानन्द तिवारी ने सभी विभागों के सहयोग करने पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के सभी गतिविधियों का आप लोगों द्वारा प्रतिदिन महत्वपूर्ण स्थान देते हुए विगत एक माह से अधिक समय से राष्ट्रीय लोक अदालत के महत्व के बारे में प्रचारित / प्रसारित किया गया है! जिसका व्यापक असर हुआ है। इसके बाद माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, माननीय संपूर्णानंद तिवारी ने कहा कि पुलिस - प्रशासन द्वारा भी इस बार बड़ी संख्या में नोटिस तामिला कराने की कार्रवाई की गई है! जिसका प्रतिफल है कि आज न्यायालय में इतनी भीड़ है।

इसके बाद मंच से संबोधित करते हुए माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी ने कहा कि संवाद से बढ़कर कुछ नहीं है, और ज्यादातर अपने आप में संवाद स्थापित नहीं कर पाते हैं, और राष्ट्रीय लोक अदालत संवाद स्थापित करने का ही एक माध्यम है। न्यायिक प्रक्रिया तो अलग काम करता है, परंतु राष्ट्रीय लोक अदालत में संवाद स्थापित करते हुए वादों का निस्तारण कराया जाता है। कई तरह के छोटे-छोटे झगड़े होते हैं, और न्यायालय में कई-कई दिनों तक लोग आते हैं, परंतु राष्ट्रीय लोक अदालत में संवाद स्थापित करते हुए इसका निस्तारण किया जाता है। माननीय जिला सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि जैसे पूर्व में ग्रामीण क्षेत्र के अंदर बड़े - बुजुर्ग लोग बैठकर किसी भी व्यक्ति को समझाते बुझाते थे! इसके बाद विवाद खत्म हो जाता था! जो वर्तमान गांव के अंदर अब ऐसा नहीं हो रहा है! इसी लिए अब ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय लोक अदालत में भी दोनों पक्षों को बैठाकर आपसी सहमति से ही मामले का निस्तारण किया जाता है! जिससे दोनों पक्षों को फायदा होता है, कि कई परेशानियों से मुक्त होकर अपने - अपने परिवार के विकास कार्यों में लग जाते हैं! जिससे उनकी तरक्की भी होती है!

ज्ञात हो कि माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी ने राष्ट्रीय लोक अदालत लगने से पूर्व जब मीडिया कर्मी के साथ आपस में ही बैठकर बातचीत कर रहे थे! तब बातचीत के क्रम में ही सलाह देते हुए कहा था, कि मुकदमा और बीमारी दो ऐसी चीज हैं! जिसके वजह से कोई भी व्यक्ति परेशान हो जाता है! इस वजह से उसके परिवार की तरक्की खत्म हो जाती है! इसलिए किसी भी व्यक्ति को चाहिए कि आपसी सहमति से ही राष्ट्रीय लोक अदालत में मामला सुलझा लें, तो बेहतर है! इसके बाद माननीय जिला में सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी ने कहा कि अगर एक अच्छा इंसान होता है, तो उसमें कई तरह के गुण अपने-आप हो जातें है! अगर वह अधिवक्ता के पेशा से जु़ड़ा हो, तो उसमें एक अधिवक्ता का गुण स्वतः ही रहेगा! अगर वह न्यायाधीश है, पिता है, पुत्र है, या किसी भी व्यवसाय में है! हर जगह उसका मानवीय पक्ष दिख जाएगा।

अंत में इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापित अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी, योगेश कुमार मिश्र ने किया, तथा अपने संबोधन में अतिथियों को लोक अदालत का महत्व तथा फायदे के विषय में भी लोगों को बताया, और लोगों से अधिक से अधिक इस अवसर का लाभ उठाने हेतु भी अपील किया। अपने संबोधन में कहा कि आज राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जन कल्याण के लिए ही किया गया है, क्योंकि लोक अदालत एक एैसा माघ्यम है! जिसमें ना तो किसी की हार होती हैं, और ना ही किसी की जीत होती हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत में सहयोग करने वाले सभी पदाधिकारियों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।