बिहार में अब गरीब गुरबा की सरकार बनी है : सैयद शाहजादा शाही
अजय कुमार पाण्डेय / अनिल कुमार विश्वकर्मा :
औरंगाबाद: (बिहार) रफीगंज प्रखंड अंतर्गत गोरडिहा पंचायत के पूर्व मुखिया, पूर्व राष्ट्रीय जनता दल मीडिया प्रभारी, पूर्व फिल्म अभिनेता रह चुके एवं वर्तमान राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष, सैयद शाहजादा शाही से जब अपने बसारतपुर स्थित मकान पर दोनों संवाददाता की मुलाकात हुई, तो विभिन्न मुद्दों पर पूछे गए सवालों का जवाब भी उन्होंने खुलकर दिया.
सर्वप्रथम तो उन्होंने बातचीत के क्रम में ही कहा कि अधिकांश हमारे क्षेत्र में जो भी नये नये कोचिंग संस्थानों की या ग्रामीण चिकित्सकों का नया हॉस्पिटल खुलता है, तो उसका उद्घाटन मैं ही करता हूं. इसका मुख्य कारण है कि ऐसे आयोजन के मौके पर अधिकांश क्षेत्र के लोग मुझे ही मुख्य अतिथि के रूप में नये कोचिंग संस्थान या ग्रामीण चिकित्सक का नया हॉस्पिटल उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित करते हैं. जिसमें मैं भी बढ़ चढ़कर भाग लेता हूं.
तब संवाददाता ने राजद प्रदेश उपाध्यक्ष, सैयद शाहजादा शाही से सवाल पूछा कि आप कहते हैं कि इस क्षेत्र में अधिकांश किसी भी नये कोचिंग संस्थान या ग्रामीण चिकित्सक का हॉस्पिटल उद्घाटन मै हीं करता हूं. लेकिन सरकार तो ग्रामीण चिकित्सकों को कभी भी चिकित्सक मानता ही नहीं है? क्योंकि इन लोगों के पास तो कोई एम0बी0बी0एस0 की डिग्री या किसी भी मरीज को सर्जरी करने के लिए सर्जन का भी डिग्री प्राप्त नहीं है? फिर भी ग्रामीण चिकित्सक पीड़ित मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करते हुए उनका ऑपरेशन तक अपने ही निजी क्लीनिक में कर देते हैं.
यहां तक कि महिलाओं को जब प्रसव पीड़ा होती है. तब प्रसव के वक्त बिना किसी डिग्री के ही अपने निजी क्लीनिक में छोटा या बड़ा ऑपरेशन भी कर देते हैं. जो काफी गंभीर मामला है. इस पर आप क्या कहेंगे? इसके अलावे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चिकित्सा प्रकोष्ठ की भी जब औरंगाबाद में मीटिंग हुई थी, तो कार्यक्रम में पहुंचे ग्रामीण चिकित्सकों ने भी इस बात को प्रमुखता से उठाया था, कि हम लोगों को सर्वप्रथम तो बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने ग्रामीण चिकित्सकों से इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. परीक्षा के नाम पर भी प्रत्येक ग्रामीण चिकित्सकों से पांच पांच हजार रुपया वसूलवाया.
कोरोनाकाल के वक्त प्रत्येक स्थानों के चर्चित डॉक्टर जो अपना निजी क्लीनिक चलाते थे. वे अपना अपना निजी क्लीनिक बंद करके भाग गए. साधारण बीमारी होने पर भी मरीज तड़प रहे थे. तब उस वक्त भी हम लोगों ने ही दिन रात एक कर के मरीजों की जान बचाई थी. इसके बावजूद भी हम लोगों को आज बिहार सरकार अपने पदाधिकारियों के माध्यम से हम ही लोगों के क्लीनिक पर छापामारी कराकर जेल भेजवाने का काम करती है.
हम लोगों को कभी भी ग्रामीण चिकित्सक नहीं मानता. जो घोर अन्याय है. तब आप ऐसी परिस्थिति में भी ग्रामीण चिकित्सकों का नया हॉस्पिटल उद्घाटन कैसे करते हैं? तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए स्वयं बचते हुए कहा, कि देखिए ऐसा है कि बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार जी थे. उस वक्त बिहार सरकार से ग्रामीण चिकित्सकों की क्या बातचीत हुआ है, या नहीं. मुझे मालूम नहीं है.
इसके बाद बातचीत के क्रम में ही सैय्यद शाहजादा शाही ने कहा कि हमारे माननीय, उप मुख्यमंत्री, तेजस्वी प्रसाद यादव ने सम्पन्न बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पुरे चुनाव के दौरान 10 लाख लोगों को नौकरी देने की बात की थी. उप मुख्यमंत्री बनने के बाद जब माननीय, तेजस्वी प्रसाद यादव से नौकरी देने की बात पर मीडिया ने भी सवाल पूछा. तब उप मुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि नौकरी के लिए रिकॉर्ड मांग रहे हैं.
इसके अलावे आप यह भी जान लीजिए कि अब बड़े स्तर पर अधिकारियों की फेर बदल भी होगी. ग्रामीण विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग में वैकेंसी है. केंद्र सरकार द्वारा बिहार को कुछ भी नहीं मिला है. इसलिए अभी तो महागठबंधन की सरकार ही बनी है. बिहार की जनता को उम्मीद जगी है. हम लोग हकीकत से परे हैं.
महागठबंधन की सरकार से बिहार के लोगों को काफी उम्मीद है. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करते हुए कहा कि पहले जो लोग मीडिया में मंदिर मस्जिद, हिंदू मुस्लिम की बात करते थे. आज कम से कम मीडिया भी तो नौकरी की बात करते हुए खबर चला रहे हैं. सभी को खबर दिखा रहे हैं.
तब संवाददाता ने पूछा कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई सांसद माननीय, चिराग पासवान भी जब रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के पूर्व लोक जनशक्ति पार्टी प्रत्याशी रह चुके, प्रमोद कुमार सिंह को पुनः अपने पार्टी में ज्वाइन कराने के लिए शुक्रवार दिनांक 26 अगस्त 2022 को औरंगाबाद पहुंचकर मिलन समारोह कार्यक्रम में भाग लिया था. तब कार्यक्रम में उपस्थित समस्त लोगों के समक्ष ही खुलेआम मंच से संबोधित करते हुए कहां की बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने ही कहा था कि जाओ अपने बाप दादा से जाकर पूछो. मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने ही जंगलराज भी कहा था. आज उसी पार्टी के साथ बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने एन0डी0ए0 से गठबंधन तोड़कर सरकार बनाई, और उसी पार्टी के नतमस्तक भी हो गए.
इसके अलावे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई सांसद, माननीय, चिराग पासवान ने मिलन समारोह कार्यक्रम में मंच से ही संबोधित करते हुए कहा कि जो बिहार के माननीय मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की बात करते हैं. प्रधानमंत्री बनने वाला कोई भी व्यक्ति 200 250 सांसदों के साथ बैठता है. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री तो 40 विधायकों का ही नेता है? तब बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार यदि कहीं भी जाएंगे, तो अपने बिहार के बारे में क्या उपलब्धियां गिनाएंगे? आज भी बिहार में अपहरण, बलात्कार, डकैती, मर्डर, जहरीली शराब से हुई लगातार मौतों के खिलाफ मीडिया में खबर बनती है? जिसका गवाह हमारे मीडिया साथी है. बिहार में अफसरशाही चरम सीमा पर है.
बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार 10 लाख, 20 लाख नौकरी की बात करते हैं. लेकिन जब युवा नौकरी की मांग करता हैं, तो मुख्यमंत्री के इशारे पर ही प्रशासन लाठियां बरसाती है? शर्म की बात तो है कि पटना के ए0डी0एम0 ने युवाओं के साथ साथ तिरंगा पर भी लाठियां बरसाई? जबकि रूस यूक्रेन की लड़ाई में भी भारतीय तिरंगा झंडा दिखाकर ही पार करते थे? आखिर हमारे बिहार के मुख्यमंत्री को तिरंगे से इतनी नफरत क्यों है? डर क्यों है? सी0टेक0, बी0टेक0 छात्रों की परीक्षाएं हो चुकी है. सिर्फ भर्ती शुरू करवानी है. ऐसे लोगों पर तो देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए.
तब राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष, सैय्यद शाहजादा शाही ने जवाब देते हुए कहा कि चिराग पासवान तो विपक्ष में है. इस पर मैं टिप्पणी क्या करुं. जहां तक पटना में ए0डी0एम0 द्वारा लाठी बरसाए जाने की बात है, तो हमारे उपमुख्यमंत्री ने इस मामले में इंक्वायरी भी बैठा दिया. सस्पेंड होगा. आप जान लीजिए कि कोई भी प्रशासन की गुंडई नहीं चलेगी, कि जिसको चाहे, लाठी मार दे रहे हैं. बिहार के माननीय, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने तो इसके लिए ऐलान भी कर दिया है. तब प्रदेश उपाध्यक्ष से संवाददाता ने सवाल पूछा कि किसी भी विभाग में सिर्फ सस्पेंड कर देने से ही क्या होता है? आखिर ऐसी परिस्थिति में भी सस्पेंड होने वाले व्यक्ति को आधा वेतन तो मिलता ही है? और जब सस्पेंशन खत्म हो जाता है. तब विभाग में बकाया वेतन का सारा पैसा भी तो मिल ही जाता है, और पुनः उसी प्रकार नौकरी भी करने ही लगता है? इसलिए यह कैसा सिस्टम है? तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह परंपरा चली आ रही है, जिसका जितना दोष होता है. उसको उतना ही पनिशमेंट दिया जाता है.
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के साथ महागठबंधन की सरकार बनी है. इसलिए बहुत परिवर्तन भी हो जाएगा. भ्रष्ट अधिकारियों पर भी अंकुश लगेगा. पदाधिकारी नपाएंगे, और जाएंगे. क्योंकि बिहार में अब गरीब गुरबा की सरकार बनी है. इसके अलावे आप एक बात यह भी जान लीजिए कि महाराष्ट्र में जिस प्रकार से भाजपा ने खेल खेल कर एकनाथ शिंदे की सरकार बनवाई.
उसी प्रकार बिहार में भी भाजपा खेल खेलना चाह रही थी. मगर बिहार के एक भी विधायक नहीं टूटे. इसलिए अब बिहार की विकास भी होगी. नौकरी भी लोगों को मिलने जा रही है. बिहार विधान परिषद के नवनिर्वाचित सभापति, देवेश चंद्र ठाकुर से भी मैं मिलकर बधाई दिया हूं. जो आपदा विभाग के पूर्व मंत्री भी थे, तथा माननीय, देवेश चंद्र ठाकुर औरंगाबाद जिले के प्रभारी भी रहे थे.