युवा पीढ़ी के लिए खतरा बनता प्रोटेक्शन गैंग | पुलिस मोनिटरिंग से रोकना संभव होगा

युवा पीढ़ी के लिए खतरा बनता प्रोटेक्शन गैंग | पुलिस मोनिटरिंग से रोकना संभव होगा

ग़ज़नफर इकबाल :

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में अफ़रोज़ नामक मीट कारोबारी की हत्या को लेकर पुलिस ने जो खुलासे किए हैं वह काफी चिंताजनक हैं. बीते 27 दिसंबर को समस्तीपुर जिले से पेशेवर शूटर को बुलाकर अफ़रोज़ की हत्या करा दी गई थी. पुलिस की तत्परता और सघन जांच ने इस मामले को तुरंत सुलझा लिया.

इसमें कुल पांच लोगों को गिरफतार किया गया है और दो आरोपी फरार हैं. पुलिस अनुसंधान में पता चला है कि अफ़रोज़ स्वंय भी गैरकानूनी धंधों में संलिप्त था और इलाक़े में दबंगई के लिए जाना जाता था. वह अपने गैंग का सरगना था, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में जो सबसे ख़तरनाक बात सामने आई है. वह यह कि अफ़रोज़ की हत्या शहर में चल रहे विभिन्न प्रोटेक्शन गैंग के आपसी विवाद और बर्चस्व को लेकर हुई है. शहर के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को यह गैंग निशाना बनाते हैं, खासकर बड़े घरानों के वैसे लड़कों को जिनको हाई स्पीड बाईक से घूमना, गर्ल फ्रेंड बनाना और हीरोपंती का शौक है.

प्रोटेक्शन गैंग के सदस्य छात्रों को बहला फुसलाकर गैंग का सदस्य बनने को कहते हैं और इसके लिए फीस और गिफ्ट भी वसूलते हैं. सदस्य छात्र को जब किसी से लड़ाई- झगड़ा या किसी प्रकार का विवाद होता है तो प्रोटेक्शन गैंग विरोधी के साथ गाली-गलौज करता है और धमकाता है, मारपीट भी करता है. इससे सदस्य छात्रों का मनोबल बढ़ता है.

प्रोटेक्शन गैंग इनको गैरकानूनी और असमाजिक कार्यों में शामिल करने को प्रेरित भी करते हैं और धीरे-धीरे इनको नशा,सट्टेबाजी और हीरोगिरी करने की आदत बन जाती है, समय समय पर इनसे मोटी रकम वसूलते हैं, आगे चलकर यही छात्र गैंग के लिए काम करने लगते हैं, जैसे जमीन पर कब्जा दिलाने, डराने- धमकाने, शराब और दूसरी नशीली सामग्रियां के धंधे में पर जाते हैं.शहर में विभिन्न इलाकों में अलग अलग गैंग सक्रिय है और यह सिर्फ अमीर लोगों के वैसे बच्चों को निशाना बनाते हैं जो बड़े निजी स्कूलों में पढ़ते हैं. अलग-अलग गैंग से जुड़े छात्र जब आपस में भिड़ते है तो इनकी मदद के लिए प्रोटेक्शन गैंग भी आमने सामने हो जाते हैं, अफ़रोज़ की हत्या का कारण भी यही बताया गया है. बर्चस्व को लेकर उसका विवाद दूसरे गैंग के संचालक से हो गया था.

अब प्रश्न यह उठता है कि यदि छोटे शहरों में इस तरह के मामले सामने आ रहे है तो बड़े और मेट्रोपोलिटन सिटी में तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. वहां तो पैसे वालों और नामी-गिरामी स्कूलों की संख्या और भी अधिक है,इसको काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है. इसको लेकर पुलिस के सहयोग से निजी स्कूलों में अलग से एक कांसिलिंग और मोनेटरिंग केंद्र खोलने की आवश्यकता है जो छात्रों की गतिविधियों पर नजर रखे तथा समय समय पर कांसिलिंग कर उनको ग़लत रास्ते पर चलने से रोका जा सके.

मनोवैज्ञानिक परामर्श कर भी छात्रों को इस जंजाल में फंसने से रोका जा सकता है. इसमें स्थानीय पुलिस के सहयोग की भी आवश्यकता है ताकि स्कूल के बाहरी लड़के छात्रों के संपर्क में आकर बहका न सके, स्कूलों के आसपास अनावश्यक चक्कर लगाने और अड्डेबाजी करने वाले संदिग्ध आवारा लड़कों पर भी पुलिस और स्कूल को नज़र रखनी होगी तथा आपसी सहयोग और समन्वय से उचित कार्रवाई कर इसपर लगाम लगाना होगा, वरन् प्रोटेक्शन गैंग युवा पीढ़ी को बर्बाद कर देंगे और यह समाज और देश के भविष्य के लिए खतरा बन जाएगा.