बिहार: जितिया पर्व पर 37 बच्चों की मौत का दुखद मामला

It is celebrated for the longevity of children. On this occasion, parents offer prayers for the safety and longevity of their children.

बिहार: जितिया पर्व पर 37 बच्चों की मौत का दुखद मामला
Jitiya festival in Bihar

जितिया पर्व का महत्व

बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर साल जितिया पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे संतान की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है. माता-पिता इस अवसर पर अपने बच्चों की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए पूजा-अर्चना करते हैं.

मातम में बदली खुशियाँ

25 सितंबर को जब बिहार में जितिया पर्व का उत्सव मनाया जा रहा था, तब कई परिवारों में एक दुखद घटना घटी. इस दिन अलग-अलग स्थानों पर डूबने से 37 बच्चों की जान चली गई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस दिन कुल 46 लोगों की डूबने से मौत हुई, जिनमें 37 बच्चे, 7 महिलाएं और 2 पुरुष शामिल थे. यह आंकड़ा इस पर्व के उल्लास को भारी मातम में बदलने के लिए काफी था.

सुरक्षा की कमी

इस पर्व के दौरान लोग नदियों और तालाबों में स्नान करने जाते हैं. पारंपरिक मान्यता के अनुसार, इस स्नान के बाद संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. लेकिन इस बार बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही भारी पड़ गई. कई परिवारों ने अपने बच्चों को नदियों में स्नान करने की अनुमति दी, और नतीजा भयानक रहा.

प्रशासन की प्रतिक्रिया

बिहार सरकार ने इस घटना पर एक प्रेस रिलीज़ जारी की, जिसमें कहा गया कि डूबने की घटनाएं दुखद हैं और इसे रोकने के लिए प्रयास किए जाएंगे. स्थानीय प्रशासन ने जागरूकता अभियान चलाने का आश्वासन दिया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. लेकिन इस दुखद घटना ने समाज के हर वर्ग को झकझोर दिया है.

शोक और संवेदना

कई परिवारों में शोक का माहौल है. जिन माता-पिता ने अपने बच्चों को खोया है, उनका दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है. इस पर्व पर संतान की लंबी उम्र का आशीर्वाद लेने वाले माता-पिता अब अपने बच्चों को खोने के बाद निराश और हताश हैं.

सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक

इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि त्योहारों के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरूरी है. जितिया पर्व का असली उद्देश्य संतान के स्वास्थ्य और जीवन को सुरक्षित करना है, लेकिन इस तरह की घटनाएं इस उद्देश्य को एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाती हैं. अब यह देखना होगा कि प्रशासन और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान कैसे निकालते हैं, ताकि आने वाले पर्वों में सभी खुशियों के साथ मनाए जा सकें.