बिहार में चार विधानसभा क्षेत्र केउपचुनाव और झारखंड में होने वाले चुनाव पर रामचंद्र पूर्वे (पूर्व मंत्री और वर्तमान बिहार विधान परिषद सदस्य) का साक्षात्कार
बिहार में चार विधानसभा क्षेत्र के लिए होने जा रही उप चुनाव एवं झारखंड राज्य मे भी होने जा रही विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार यात्रा पर निकले बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान बिहार विधान परिषद के सदस्य, रामचंद्र पूर्वे ने औरंगाबाद स्थित एक निजी होटल में संवाददाता से की खास मुलाकात, हुई मुलाकात के दौरान जब संवाददाता ने भी पूर्व मंत्री से विभिन्न मुद्दों पर पूछा सवाल, तो पूर्व मंत्री ने भी दिया सवालों का सरलता पूर्वक जवाब
अजय कुमार पाण्डेय:
औरंगाबाद: (बिहार) पटना से अपनी यात्रा प्रारंभ कर गया जिला अंतर्गत बेलागंज विधानसभा क्षेत्र होते हुए जिला मुख्यालय औरंगाबाद पहुंचे बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान बिहार विधान - परिषद के सदस्य, माननीय रामचंद्र पूर्वे ने जिला मुख्यालय औरंगाबाद स्थित एक निजी होटल में ही रविवार दिनांक - 10 नवंबर 2024 को संवाददाता से खास मुलाकात की. इसके बाद संवाददाता द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों का भी सरलता पूर्वक ही ब्यान दिया. इनके साथ में बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं राजद प्रदेश उपाध्यक्ष, डॉक्टर सुरेश पासवान, जिला प्रवक्ता, रमेश यादव, राजद नेता युसूफ आजाद अंसारी, पटना निवासी एवं राजद सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष, विजय यादव, पटना निवासी एवं साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष, डॉक्टर प्रेम गुप्ता, औरंगाबाद के राजद नेता सुबोध कुमार सिंह सहित अन्य कई राजद नेता भी मौजूद थे.
ध्यातव्य हो कि संवाददाता ने जब इसी मुलाकात के दौरान बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान बिहार विधान - परिषद के सदस्य, माननीय रामचंद्र पूर्वे से सवाल पूछा कि आप पटना से चलकर गया जिला अंतर्गत बेलागंज विधानसभा क्षेत्र होते हुए झारखंड राज्य अंतर्गत पड़ने वाली हुसैनाबाद चुनाव में जा रहे हैं. लेकिन अभी यहां वर्तमान जो राजनीति हो रही है, पूरे देश की. राज्य की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की कही जाए. एन.डी.ए. बनाम इंडिया गठबंधन की ही राजनीति हो रही है. बाकी जितने भी क्षेत्रीय दल हैं. उसके नाम पर कोई भी राजनीति नहीं हो रही है. केवल एन.डी.ए. बनाम इंडिया गठबंधन की ही राजनीति हो रही है और सब अपने-अपने विकास के दावे कर रहे हैं और एन.डी.ए. का हर मंच पर कहना होता है कि हम लोग जो हैं. न्याय के साथ विकास करते हैं. नीतीश कुमार जी के साथ बिहार में विकास कर रहे हैं. इसलिए आप इस संबंध में क्या कहेंगे.
तब संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, कि आप अल्प सूचना पर यहां पधारे हैं. औरंगाबाद से हमारा बहुत पुराना घनिष्ठ संबंध रहा है. सामाजिक संबंध भी, और राजनीतिक संबंध भी. बहुत जमाने से हम यहां आते - जाते रहते हैं. जब कभी भी हम इस इलाका में आते हैं, तो एक राजनीतिक हालात की जानकारी लेने के लिए भी, और पुराने साथी से भी मिलने के लिए, और आप लोगों से भी मिलने के लिए यहां औरंगाबाद में विश्राम करते हैं. तब आप आए. आपका स्वागत और अभिनंदन है.
आपने बड़ा गंभीर प्रश्न पूछा है. एक राजनीति चल रही है. क्षेत्रीय पार्टी की समाप्ति. लेकिन क्षेत्रीय पार्टी में भी कुछ ऐसे नेता हो जाते हैं. जिसका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वेल्यू होता है. जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के नेता थे. लेकिन उनका राष्ट्रीय प्रमुखता और जब लालू प्रसाद यादव, जननायक कर्पूरी ठाकुर के आरक्षण की नीति को जमीन तक उतारने के क्रम में मंडल आयोग के अनुशंसा को लागू करने का ऐलान जब लालू प्रसाद यादव ने कहा. की मैं गदी पर रहूं. या नही रहूं. लेकिन बिहार में मंडल आयोग की अनुशंसा अक्षरशः लागू होगा. सांप्रदायिक शक्तियों को उन्होंने कुचलना का काम किया. तो लालू प्रसाद यादव का एक राष्ट्रीय स्वरूप बना. हमको याद है कि एक मीटिंग में कल्याण सिंह, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. उनके कार्य में था. चरवाहा विद्यालय पर मेरा भाषण हुआ था. तब कल्याण सिंह बहुत प्रसन्न हुए थे.
इसके बाद पूर्व मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी न सिर्फ प्रशंसा हुई. बल्कि लोगों ने समझा कि यही राजनीति का सत्य है. आज भाजपा का सामाजिक करण धोखे से भी कहिए. ऊपरी तौर पर ही हुआ. तो लालू प्रसाद जी आकर के सामाजिक न्याय की राजनीति किए. इसलिए कभी-कभी क्षेत्रीय नेता भी राष्ट्रीय नेता बन जाता है और वही आज बिहार में जब हमारे युवा नेता. जो हमारा बिहार का भविष्य है तेजस्वी प्रसाद यादव. जब दिल्ली में भाषण होता है. बंगलौर में भाषण होता है. जब इंडिया गठबंधन के हित में भाषण करते हैं. तो अमेरिका का कोई व्यक्ति उन लोगों के रिलेशन के लोग फोन करके बोलते हैं. कि तेजस्वी जी का भाषण. बड़ा जानदार भाषण हो रहल हे. यानी उनके भाषण का रिफ्लेक्शन न सिर्फ हिंदुस्तान में. बल्कि बाहर में भी जो भारतीय लोग रहते हैं. उसके रहे. तो इसी लिए ये जो चार गो चुनाव बिहार में हो रहा है और झारखंड में भी जो है. इंडिया गठबंधन का. वो मतलब बिहार का जो चार चुनाव है. हम जब आए पटना से. तो जैसे ही उस ऑफिस में 18 साल के / 22 साल का लड़का सब नारा लगाना शुरू कर दिया कि नौकरी का मतलब तेजस्वी यादव. नौकरी का मतलब तेजस्वी यादव. तो बिहार में चार जगह जो चुनाव होने जा रहे हैं. तो महागठबंधन का उम्मीदवार चारों जगह जीत रहा है. जीत इसलिए रहा है कि यह जो चुनाव है. वो तय करेगा. यहां के जो मतदाता है. चुनाव में जिताने के लिए इसलिए तैयार है. उसके भीतर एक संकल्प है कि 2025 के चुनाव में तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे और अगला मुख्यमंत्री हमारा जो होगा. बिहार का एक युवा होगा. जो है तेजस्वी प्रसाद यादव. जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मिशाल कायम किया है. 17 महीना में साढ़े चार लाख से ज्यादे नौजवानो को नौकरी देने का काम किया है. जिसके दबाव पर जातीय जनगणना बिहार में लागू की गई और आरक्षण की सीमा को बढ़ाया गया. तो ये बहुत बड़ी बात है. तो इसका मतलब कि हम लोग ऐसे अब बुजुर्ग आदमी भी अपनी शेयर करता है. लेकिन नौजवानों के भीतर एक इंकलाब है. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का. तो यही कारण है कि सभी जगह कैंडिडेट क्यों रहेंगे. कैंडिडेट केकर हई. इंडिया गठबंधन के. लालू यादव ओर तेजस्वी यादव के कैंडिडेट हई. इसलिए हम लोग चारों जगह पर जीत रहे हैं. यहां पर आए हैं. अपने पुराने साथी से भी मिलने. हम सभी लोगों से मिलने के लिए आए हैं, और यहां से हम लोग जाएंगे . हुसैनाबाद. फिर जाएंगे इमामगंज - डुमरिया, है ना. लेकिन यहां पर जो मिला है लोगों से.
हम सभी साथियों को धन्यवाद देना चाहते हैं, कि सभी लोग लगे हुए हैं. बिहार के जितने भी पॉलिटिकल वर्कर और राष्ट्रीय जनता दल के समर्थन में जो लोग लगे हुए है. चारों जगह लगे हुए हैं. हम लोग चारों जगह बहुमत से जीतेंगे, और चुकी तेजस्वी यादव जी जितना मेहनत कर रहे हैं. यहां और झारखंड दोनों जगह. हमको लगता है कि कोई नेता इस तरह से मेहनत नही कर रहा है. मतलब भीड़ को इकट्ठा करने वाला नौजवान नेता तेजस्वी यादव हैं. तब संवाददाता ने पूर्व मंत्री से सवाल पूछा कि एन.डी.ए. के लोग जहां भी जाते हैं. मंच पर भाषण देते हैं कि 1990 से लेकर 2005 तक की बिहार में स्थिति देख लीजिए. हम लोग विकास कर रहे हैं. नीतीश जी भी कहते हैं कि हम तो लगातार विकास कर ही रहे हैं जी. इसलिए आप इस मुद्दे पर क्या कहेंगे.
तब संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि देखिए सबसे बड़ा चीज नौजवानों में है और खास करके हम लोग जो गार्जियन है, यहां पर सभी गार्जियन है. गार्जियन के लिए एक ही चिंता है कि हमारा बेटा जो है, सुरक्षित रहे. हमारा बेटा को नौकरी मिल जाए. हमको जब - तक बेटा की नौकरी थी. राजनीति करते थे. अब हमारे बेटा को नौकरी मिल गई, तो हमारे परिवार में महाभारत हो गई, है ना. तो नौकरी और रोजगार वो परिवार के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है और लोगों के दिमाग में है कि इस चिंता को निदान देने वाला, इस चिंता का हरण करने वाला अगर कोई युवा नेता है. तो वो है तेजस्वी यादव. अब पुरनका बात / पुरनका कहानी सब. अब नया ना कहानी है भाई. हमनी सब तो अईबे कर ली हे. पहिले में, और अब में. देखिए पहिले में और अब में हम पूछते हैं कि जंगल राज था. तो उसी जंगल राज में गरीब का बेटा सिंह के तरह गरजता था कि नहीं. उसी जंगल राज में जो डोम है. हलखोर हैं. मुसहर है. उसका बेटा सिंह के तरह लालू यादव के नेतृत्व में दहाड़ता था कि नहीं. अब मंगल राज है और घर में बईठल हई और बोले ना कोई देइत हई. इसके बाद बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री, रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि जंगल राज जिसको आप कहते हैं. जंगल राज जो था. जिसको आप कहते हैं. कि वो जंगल राज नहीं था. लेकिन उस राज में भी आपको गरीबों के सुषुप्त स्वाभिमानों को जगाने का काम अगर किसी ने किया है. तो उसका नाम है लालू प्रसाद यादव और दूसरा सांप्रदायिक सद्भावना. हिंदू - मुस्लिम, सिख - इसाई. आपस में सब भाई-भाई. कहियो नारा लगा रहल ह. भाजपा वाला. अब तो हम लोग कहते हैं. कि बापू हम शर्मिंदा है. तेरा कातिल जिंदा है. अब बापू के शरीर से. भाजपा नहीं मान रहा है. बल्कि बापू का जो आईडियोलॉजी है. उसको समाप्त करने का काम आर.एस.एस. / भाजपा के द्वारा हुआ है. तो आईडियोलॉजी की हत्या. शरीर की हत्या से ज्यादे घातक हैं. तो इसीलिए इस नफरत को फैलाने वाला भाजपा / आर.एस.एस और उसके गठबंधन के उम्मीदवार को हराने का संकल्प सभी सेकुलर और सामाजिक न्याय में विश्वास करने वाले लोगों ने ले लिया है.
तब संवाददाता ने बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री, रामचंद्र पूर्वे से सवाल पूछा कि औरंगाबाद जो है. आपको बिहार - विधानसभा चुनाव 2020 में या 2024 के संपन्न लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को ही विजय दिलाया है और आप देख भी रहे हैं. कि यहां के सभी 06 विधानसभा का सीट महागठबंधन के पक्ष में ही गया और लोकसभा सीट का भी जो है. इस बार इतिहास टूट गई. पिछला रिकॉर्ड को तोड़कर. लेकिन यहां पेयजल की संकट संकट श्री सीमेंट प्लांट की वजह से जो है. काफी गहरा हुआ है और पानी की स्थिति इतनी बाद से बदतर है कि मिस्त्री हजारों फीट हीरा बोरिंग करता है. तीन - चार जगह पर सबमर्सिबल बोरिंग करने के बाद भी मिस्त्री जवाब दे देता है कि अब सबमर्सिबल बोरिंग नहीं चल पाएगा. तो पब्लिक की स्थिति बद से बद्तर है. इसलिए आप इस संबंध में क्या कहिएगा.
तब संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान बिहार विधान परिषद के सदस्य, रामचंद्र पूर्वे कहा कि देखिए जो वाटर लेवल नीचे चला गया है. हम लोग नेपाल के बॉर्डर पर है. नदी के किनारे हैं. जब हम सीतामढ़ी पहुंचे थे. तो एक आदमी ने फोन किया कि पूर्वी जी अपने के नाम पर आज भूखे रह जायब. तब हम पूछे कि काहे. तो कहा कि आज खाना ना बनत. तो फिर हम चुप हो गए. उसके बाद हम सोचे. कि सबको मने हमारे यहां जो पाइप है. डिस्चार्ज हो गया. पानी उससे निकल नहीं रहा है. तो हम बी.डी.ओ. से बात किए. कि देखिए भाई चार समस्या है. एक समस्या है भोजन बनाने के लिए. भोजन बनाने के लिए पानी. भोजन खाने के लिए पानी. पशु को पिलाने के लिए पानी और हम लोग के यहां स्नान करने के लिए भी पानी चाहिए. कपड़ा फिचने के लिए पानी नहीं चाहिए. क्या उपाय होगा बी.ड़ी.ओ. साहब. हमने कहा कि जितना जगह नल - जल है. उसको आप चालू कर दीजिए और नल - जल चालू हुआ. उसके बाद जो आज सवाल है. सवाल अभी भी पर्याप्त पर्यावरण परिवर्तन के चलते. जलवायु परिवर्तन के चलते ये सब स्थिति पैदा हो राही है. तो जो एक इलाके/ जो पहाड़ी इलाका में जल की समस्या का निदान हो. इसका कोई प्रमाणित सॉल्यूशन निकले. इसके लिए हम अपने हमारे दल के लोग इसके लिए पार्लियामेंट में सवाल उठाने का काम करेंगे. मैं भी पत्र लिखूंगा मुख्यमंत्री के पास और हम अपने तेजस्वी यादव को भी कहेंगे. कि आप नेता प्रतिपक्ष है. आप मतलब की अपनी ओर से भी जल से संबंधित जो साइंटिस्ट है. उसकी एक मीटिंग बुलाइए. कि पहाड़ी इलाका में पेय जल संकट नहीं रहे. पीने का पानी लोगों को मिले. इसका ये हम आपको आश्वस्त करते हैं और इसके संबंध में जो मैं पत्र लिखूंगा. उसका मैं आपको कॉपी भी दे दूंगा.
तब संवाददाता ने बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री से सवाल पूछा कि यहां पानी का जो का संकट माना जा रहा है. मुख्य रूप से दो ही वजह माना जाता है. एक जो है. श्री सीमेंट प्लांट जो है. जल दोहन कर रही है. सारे नियम - कानून को ताक पर रखकर. इसको जो है पाइप लाइन से कनेक्ट करके पानी वृहत सोननद से लाना था. लेकिन अपने प्लांट के अंदर. अंधाधुध हीरा बोरिंग किए हुए हैं. जिसकी चर्चा भी काफी है जोरों पर. हजारों फीट. 700 - 800 फीट और दूसरा जो औरंगाबाद शहर. तथा जिले के विभिन्न ग्रामीण इलाकों के शहरी क्षेत्रों में भी जो बिना परमिशन के कई आर.ओ. के प्लांट चलाए जा रहे हैं. काफी संख्या में चल रहा है. यही दोनों मुख्य कारण माना जा रहा है. इसलिए आप इस मुद्दे पर क्या कहेंगे.
तब संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री ने कहा कि आपको हम धन्यवाद देते हैं. कि आप पत्रकार होकर के जन समस्या को अपनी पत्रकारिता के माध्यम से उठाया है. यही है लोकतंत्र की ड्यूटी. आपके द्वारा अखबार में प्रकाशित जो भी कटिंग - फटिंग है. वो सब इकट्ठा करके हमको दीजिए. हम अपनी लेवल पर अपने नेता प्रतिपक्ष से भी बात करेगें और चुकी जन प्रतिनिधि होने के नाते मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे. कि इसका कोई परमानेंट सॉल्यूशन निकले.
तब इन्हीं के साथ बैठे हुए बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल प्रदेश उपाध्यक्ष, डॉक्टर सुरेश पासवान ने भी कहा कि निकलना भी चाहिए. तब फिर संवाददाता ने बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री, रामचंद्र पूर्वे से अंतिम सवाल पूछा कि लोकतंत्र में चार स्तंभ तो माने जाते हैं. कार्यपालिका / न्यायपालिका / विधायिका और पत्रकारिता. लेकिन तीन स्तंभों को तो सारी सुख - सुविधाएं मौजूद होती है. सुरक्षा भी मौजूद होती है. लेकिन पत्रकार जब किसी भी खबर को निष्पक्ष रूप से प्रकाशित / प्रसारित करता है. तो उसे सिर्फ धमकी ही धमकी मिलती है. या फिर हत्या भी कर / करा दी जाती है. इस संबंध में आप क्या कहेंगे.
तब संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए बिहार - सरकार के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान बिहार विधान - परिषद के सदस्य, रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि देखिए हमारा भी अब मानना है कि पत्रकार को सारी सुविधा मिलनी चाहिए. ताकि निर्भीकता के साथ. चुकी हम भी बुरा नहीं मानेंगे. अब हमारे यहां सोनवर्षा के अखबार के पन्ने में. रातें में देखईत ही कि फलाना के बेटी जे हई से डूब गेलई. एक्सीडेंट हो गया. तो सबसे पहले तू ही न्यूज़ देईत हा. तो तू ही न्यूज लिखा. तो सबसे पहिले सारी व्यवस्था सरकार की ओर से होनी चाहिए. यह हमारा मतलब की शुरू से ही मांग रही है और इसके संबंध में फिर हम अपने नेता तेजस्वी यादव से बात करेंगे. कि भाई आपकी सरकार तो बनने ही वाली है. लेकिन आप पत्रकार के लिए भी तो चिंता कीजिए. मीटिंग करके. की पत्रकार की क्या असुविधा हैं. उसको दूर करने का काम कीजिए.