दरभंगा में अल्पसंख्यक अधिकार यात्रा की शुरुआत: बेदारी कारवाँ की पहल
"बेदारी कारवाँ", जो शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर पिछड़े अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक मजबूत आवाज उठाने के उद्देश्य से शुरू किया जा रहा है। यह यात्रा 17 नवंबर से गौड़ाबौराम से प्रारंभ होकर जिले के विभिन्न गांवों और क्षेत्रों से होते हुए समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करेगी।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए बेदारी कारवाँ की पहल
दरभंगा, 17 नवंबर 2024: बिहार के दरभंगा जिले के गौड़ाबौराम से एक महत्वपूर्ण सामाजिक अभियान की शुरुआत होने जा रही है। इस अभियान का नाम है "बेदारी कारवाँ", जो शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर पिछड़े अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक मजबूत आवाज उठाने के उद्देश्य से शुरू किया जा रहा है। यह यात्रा 17 नवंबर से गौड़ाबौराम से प्रारंभ होकर जिले के विभिन्न गांवों और क्षेत्रों से होते हुए समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करेगी। यात्रा का प्रमुख उद्देश्य समाज के इस वर्ग को उनके अधिकारों और अवसरों के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे अपने शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी की स्थिति को समझ सकें और उसे हासिल कर सकें।
यात्रा की शुरुआत से पहले, दरभंगा स्थित मौलागंज कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें यात्रा की रूपरेखा और उद्देश्य पर विस्तृत चर्चा की गई। इस बैठक में कई प्रमुख समाजसेवी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें अलीनगर विधानसभा के तारडीह प्रखंड के बैका मुखिया मोहम्मद महबूब सिद्दीकी साहब, बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम, राजा खान, रियाज कुरैशी साहब, महमूद आलम, अखलाक खान, अशरफ अहमद, जमीर खान, मेहदी रजा कादरी, मोहम्मद तालिब, कारी सईद जफर आदि प्रमुख थे।
यात्रा का उद्देश्य और प्रमुख बातें
बैठक में इस यात्रा के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यक्रम के संयोजक मोहम्मद महबूब सिद्दीकी ने कहा, "यह यात्रा गांव-गांव जाएगी और लोगों के बीच उनके शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक हिस्सेदारी के बारे में बातचीत करेगी।" उन्होंने यह भी बताया कि "जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" के सिद्धांत को मानते हुए इस यात्रा का उद्देश्य यह है कि समाज के अल्पसंख्यक वर्ग को उनका अधिकार मिले। उनका कहना था कि "बिहार में कम से कम 40 विधानसभा सीटें बनती हैं हमारे समुदाय की, लेकिन हमें कितनी सीटों पर लड़ने का मौका मिलता है?" इस सवाल को उठाते हुए उन्होंने अल्पसंख्यकों की राजनीतिक भागीदारी पर गंभीर चिंता जताई।
शैक्षणिक अधिकारों की अहमियत
मोहम्मद महबूब सिद्दीकी ने इस यात्रा के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा, "अलीगढ़ के तर्ज पर कम से कम दो मुस्लिम यूनिवर्सिटी बिहार में बननी चाहिए, ताकि हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा के समान अवसर मिल सकें।" उनका कहना था कि अगर अब भी हम जागरूक नहीं हुए तो हमारे बच्चों का भविष्य संकट में पड़ सकता है। "हमारे बच्चे अगर अच्छी शिक्षा से वंचित रहेंगे तो हमारा समाज और भविष्य दोनों ही प्रभावित होंगे," उन्होंने कहा।
राजनीतिक भागीदारी पर जोर
सिद्दीकी ने यह भी कहा कि "हमारे समुदाय को राजनीतिक भागीदारी का उतना अवसर नहीं मिलता जितना मिलना चाहिए। अगर हम अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत नहीं करेंगे तो हमारा वजूद धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।" उनका कहना था कि समाज के इस वर्ग को अब डर के बजाय अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना होगा। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान करते हुए कहा, "नौजवानों को इस यात्रा से जुड़कर इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। हम कब तक डरकर अपने राजनीतिक अधिकारों का तमाशा होते हुए देखेंगे?"
यात्रा का मार्ग और आयोजन
इस यात्रा की शुरुआत गौड़ाबौराम से की जाएगी और यह यात्रा धीरे-धीरे जिले के अन्य प्रमुख इलाकों से होते हुए आगे बढ़ेगी। यात्रा की योजना के अनुसार यह अलीनगर, बेनीपुर, दरभंगा ग्रामीण, केवटी, जाले, दरभंगा शहर और बहादुरपुर होते हुए हयाघाट तक पहुंचेगी। यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत के बाद, उसके मार्ग और कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी।
सिद्दीकी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि इस यात्रा में सभी समुदायों के लोगों को बिना किसी भेदभाव के शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने कहा, "यह यात्रा न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाएगी, बल्कि यह एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देगी। जो लोग इस यात्रा का समर्थन करना चाहते हैं, वे संबंधित लोगों से संपर्क कर सकते हैं और इसमें भाग ले सकते हैं।"
यात्रा की अहमियत और समाज में जागरूकता का उद्देश्य
"बेदारी कारवाँ" यात्रा के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का उद्देश्य यह है कि लोग अपने अधिकारों को समझें और उनका सही इस्तेमाल करें। अल्पसंख्यक समुदाय, जो आज भी कई मोर्चों पर पिछड़ा हुआ महसूस करता है, उसकी शैक्षणिक और राजनीतिक स्थिति को सुधारने के लिए यह यात्रा एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इस यात्रा के आयोजक मानते हैं कि अगर समाज के हर वर्ग को उनके अधिकार मिलते हैं, तो देश और राज्य की राजनीति में बदलाव संभव है।
इस यात्रा के माध्यम से यह संदेश भी दिया जाएगा कि समाज में हर व्यक्ति की समान हिस्सेदारी होनी चाहिए और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका अधिकार किसी भी हालत में कम न हो। यह यात्रा ना केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करेगी, बल्कि यह समग्र समाज में एकता और समानता के सिद्धांत को भी मजबूत करेगी।
यात्रा का महत्व: समाज के सभी वर्गों का समर्थन जरूरी
यात्रा का आयोजन इस समय विशेष महत्व रखता है, जब बिहार में आगामी चुनावों की भी चर्चा हो रही है। यदि अल्पसंख्यक समुदाय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाता है और उसका राजनीतिक प्रतिनिधित्व मजबूत होता है, तो यह राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
साथ ही, यह यात्रा समाज के अन्य वर्गों को भी यह संदेश देगी कि हर वर्ग की आवाज़ महत्वपूर्ण है और उसे बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए। इस यात्रा को समाज के हर वर्ग, खासकर युवाओं का समर्थन मिलना जरूरी है, ताकि यह आंदोलन और भी प्रभावी हो सके।
निष्कर्ष: एक मजबूत और जागरूक समाज की दिशा में एक कदम
दरभंगा के गौड़ाबौराम से शुरू होने वाली यह अल्पसंख्यक अधिकार यात्रा न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए एक मजबूत आवाज बनेगी, बल्कि यह समाज में समानता और एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करेगी। यह यात्रा समाज के हर वर्ग को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और समान अवसर देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह समय है कि समाज के सभी वर्ग इस यात्रा से जुड़कर अपनी भूमिका निभाएं और समाज में बदलाव की इस सकारात्मक प्रक्रिया का हिस्सा बनें।
--जावेद रब्बानी.