ईश्वर की शरण ले चुके सेवानिवृत्त शिक्षक के अंतिम श्राद्ध कर्म में शामिल हुए काफी लोग
अजय कुमार पाण्डेय:
औरंगाबाद: (बिहार) देव प्रखंड अंतर्गत बनुआ खैरा (पंचायत) बाजारी गांव निवासी व सेवानिवृत्त शिक्षक, स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी के अंतिम श्राद्ध कर्म में शुक्रवार दिनांक - 17 नवंबर 2023 को यानी लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत के प्रथम दिन ही नहाय खाय के दिन उनके शुभचिंतक काफी संख्या में पहुंचकर भाग लिये. लें भी तो क्यों नहीं, क्योंकि सेवा निवृत शिक्षक स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी भी इतने मिलनसार व्यक्ति थे, कि जिले के कई इलाकों में अपनी सेवा देने के दौरान या सेवानिवृत्ति पश्चात भी प्रत्येक स्थानों पर अपनी अलग पहचान बनाने में कभी पीछे नहीं रहे.
यही वजह है कि उनके अंतिम श्राद्ध कर्म में भी लोग काफी संख्या में पहुंचकर भाग लिए, और उनके प्रथम सुपुत्र राजेंद्र चौधरी (शिक्षक) तथा द्वितीय सुपुत्र, ओम प्रकाश चौधरी के भी सदैव कुशल व्यवहार को देखते हुए लोगों ने काफी दुआएं दी, और कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने सदैव इसी प्रकार संस्कार को बनाए रखने हेतु भी अपील किया.
ध्यातव्य हो कि ईश्वर की शरण ले चुके सेवानिवृत शिक्षक, स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी ने विद्यालय में अपना पहला योगदान नवीनगर प्रखंड अंतर्गत महुआंव पंचायत के ग्राम - तेतरहड़ स्थित तिवारीडीह प्राथमिक विद्यालय में लिया था. जहां काफी वर्षों तक रहकर शिक्षक के पद पर नौकरी भी किया.
इसके बाद दूसरा योगदान चिरैला पौथु विधालय में, तीसरा योगदान मदनपुर प्रखंड अंतर्गत शैलवॉ मोड़ के समीप महुआंवा चट्टी विधालय में तथा चौथा योगदान बर्डी विधालय में लिया था, और बर्डी गांव के विद्यालय से ही उन्होंने सन् 2003 में अपनी सेवा निवृत्ति ले ली.
इसके बाद स्थाई रूप से अपने पैतृक घर बनुआ बाजारी में ही रहने लगे थे, और अपने कुशल व्यवहार के कारण ही सभी लोगों के बीच हमेशा चर्चित रहे. यही वजह रहा की जब सेवानिवृत्त शिक्षक, रामचंद्र चौधरी का निधन दिनांक - 04 नवंबर 2023 की रात्रि लगभग 11:00 बजे के बाद हुई थी.
तब जानकारी मिलने के पश्चात उनके सभी शुभचिंतक दूसरे दिन अग्नि संस्कार समाप्त होने तक रात्रि लगभग 10:00 बजे तक लगभग 200 की संख्या में अड़े ही रहे, और अग्नि संस्कार में उपस्थित सभी लोगों की जुबान से यही बातें निकलकर आ रही थी, कि हमर चाचा हलन, हमर बाबा हलन, तो हमर भाई हलन. जब भी हमनी के कभी देख हलन. तब बिना बतियईले और बिना कुछ खियईले. हमनी के ना जाय देव हलन. मतलब की कार्यक्रम उपस्थित सभी लोग काफी निराश थे.
इसके अलावे सबसे बड़ी बात रही, कि स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी ईश्वर की शरण लेने से कुछ देर पूर्व ही रात्रि लगभग 10:45 बजे अपने परिजनों से भी बात की थी, और अचानक उनकी हांफ बढ़ गई. तब उनके घर पर रह रहे प्रथम सुपुत्र राजेंद्र चौधरी को उन्होंने कहा कि राजेंद्र अब हम ना बचबऊ. इसके बाद शिक्षक राजेंद्र चौधरी ने अपने पिताजी को सांत्वना देते हुए तुरंत अपने निजी वाहन से पिताजी को बेहतर इलाज कराने हेतु सदर अस्पताल औरंगाबाद के लिए निकल पड़े. लेकिन सदर अस्पताल, औरंगाबाद पहुंचने से पूर्व बीच रास्ते में ही उनके पिताजी स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी दुनियां को अलविदा कहते हुए ईश्वर की शरण ले लिए, और सदर अस्पताल, औरंगाबाद में पहुंचने के बाद मौके पर मौजूद चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
तब उनके साथ अस्पताल गए सभी परिजन रोते बिलखते हुए शव को लेकर तुरंत अपना पैतृक घर बनुआ बाजारी रात्रि में ही वापस लौट गए. इसके बाद अन्य प्रदेशों में भी बाहर रह रहे सभी परिजनों को सूचना दी गई. तब दूसरे दिन संध्या तक लोग घर पहुंचे. तब सभी परिजनों एवं शुभचिंतकों की मौजूदगी में संध्या पश्चात रात्रि बनुआ गांव में ही दिनांक - 05 नवंबर 2023 को अंतिम संस्कार कर दिया गया.
लेकिन कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों के समक्ष सबसे बड़ी चर्चा का विषय यह भी रहा, कि ईश्वर की शरण ले चुके सेवा निवृत्त शिक्षक, स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी अपने पूरे जीवन काल में शाकाहारी भोजन ही ग्रहण किया, और सभी लोगों से पारिवारिक रिश्ता ही बनाए रखा. यही वजह है कि सेवानिवृत शिक्षक स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी के साथ साथ उनके समस्त परिजनों के कुशल व्यवहार को देखते हुए ही स्वर्गीय शिक्षक, रामचंद्र चौधरी के भतीजा विशाल कुमार उर्फ विसुनपत चौधरी की पत्नी, श्रीमती पूजा चौधरी को बनुआ पंचायत का मुखिया भी बना दिया. ध्यातव्य हो कि ईश्वर की शरण ले चुके शिक्षक स्वर्गीय रामचंद्र चौधरी की दो पुत्री भी हैं. जो अपने घर पर रहकर ही पूरे परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं.