उर्दू फोरम मुजफ्फरपुर ने हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर जश्न हिंदी का हुआ आयोजन
ग़ज़नफर इकबाल :
मुजफ्फरपुर : उर्दू फोरम मुजफ्फरपुर ने मंगलवार 13 सितंबर 2020 को हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर जश्न हिंदी का आयोजन किया. माड़ीपुर के एक निजी बैंकेट हौल आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू फोरम के अध्यक्ष मोहम्मद शब्बीर अंसारी ने की और संचालन कौमी असातिजह तंजीम बिहार के प्रदेश संयोजक मोहम्मद रफी ने की.
उर्दू फोरम के संरक्षक डॉ एकबाल मोहम्मद समी ने स्कूल के रुटीन में उर्दू को शामिल करने की मांग करते हुए यह भी कहा कि उर्दू विद्यालयों को हिन्दी विद्यालयों में सामंजित नहीं किया जाए और विद्यालयों में उर्दू की पठन पाठन को सुनिश्चित किया जाए.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा कि हम उर्दू और हिन्दी में अंतर नहीं करते और मेरे संज्ञान में आता है कि नियम से हट कर कोई उर्दू की उपेक्षा करता है तो हम उस पर कार्रवाई करेंगे.
उन्होंने कहा कि उर्दू फोरम ने जश्न ए हिन्दी और मुशायरा करा कर भारत की गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल कायम की है, हम उर्दू फोरम से कहना चाहते हैं कि इस प्रकार का आयोजन आगे भी कराते रहें. आर बी बी एम कालेज के चितरंजन कुमार ने कहा कि यह स्वीकार करना होगा कि हिन्दी हर भारतीय की भाषा है. नजीर अकबराबादी से लेकर मनोव्वर राणा तक हिन्दी भाषा के ही शायर हैं.
कौमी असातिजह तंजीम बिहार के प्रदेश संयोजक मोहम्मद रफी ने कहा कि 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा के रूप में अधिग्रहित किया गया और 14 सितम्बर 1953 से इसे हिन्दी दिवस के रुप में मनाया जा रहा है. उन्होंने कार्यक्रम के संबंध में कहा कि जश्न हिन्दी के माध्यम से हम भाईचारे का संदेश देना चाहते हैं. पूर्व डिप्टी मेयर, उर्दू फोरम के सचिव सैयद माजिद हुसैन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम की समाप्ती हुई.
कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी माध्यमिक शिक्षा इफ्तेखार अहमद, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मध्याह्न भोजन इन्द्र कुमार कर्ण, कौमी असातिजह तंजीम बिहार के संरक्षक अब्दुल हसीब, कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद रिजवान, नदीम अनवर, मोहम्मद ताजुद्दीन, रजी अहमद, मोहम्मद जावेद आलम,जिला अध्यक्ष शमशाद अहमद साहिल, कोषाध्यक्ष मोहम्मद हम्माद, सैयद रेयाज अहमद उर्फ नन्हु भाई, उर्दू फोरम कार्यकारिणी सदस्य, डॉ मोहम्मद तनवीर, डॉ कयामुद्दीन, राई शाहिद इकबाल मुन्ना, चंद्रभूषण, शकील अहमद चिश्ती, अविनाश केशव, मोहम्मद आलीशान, अब्दुर्रहमान, मोहम्मद हसनैन कौसर अमीत कुमार, रविकांत, बरकतुल्लाह और फैजान आलम शामिल मुख्यरूप से उपस्थित थे.
काव्य गोष्ठी में कवियों ने कविताएं सुनाकर तालियां बटोरी. "सुना है तुम भी निकालते हो मेरी तरह आंसूओं का सदका, तो इसका मतलब गमों की दौलत मेरी तरह बेहिसाब होगी”, प्रोफेसर कामरान गनी सबा, " है तिजारत बन गई इंसान की पहचान क्यों ", चांदनी समर, " बहुजन की भाषा है हिन्दी देश की पहचान है," आलोक कुमार अभिषेक, "हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा, देश प्रेम और ज्ञान की भाषा," महफूज अहमद आरिफ, "यूं मुझको जलाओगे यह मालूम नहीं था, परवाना बनाओगे यह मालूम नहीं था," डॉ मोहम्मद सिब्गतुल्ला हमीदी. इनके अतिरिक्त आलम सिद्दीकी, मुनीब मुजफ्फरपुरी, डॉ ताहिरुद्दीन ताहिर और एम नाज ओजैर ने भी गजल सुनाई.