चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसने क्या कहा?
हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने बीजेपी का खजाना भरने के लिए हर संस्थान आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था।
क्या Electoral Bonds मोदी सरकार की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत है?
New Delhi, 15 February, 2024: सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकारों का उल्लघंन है। कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को 2019 से लेकर अब तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी तीन हफ्ते के भीतर चुनाव आयोग को मुहैया कराने का निर्देश दिया। इसके साथ ही चुनाव आयोग को ये सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विपक्षी दलों ने स्वागत किया है और बीजेपी पर हमला बोला है।
राज्यसभा के सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरी प्लानिंग अरुण जेटली के दिमाग की ही उपज थी। इस योजना को भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ही लाया गया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी सत्ता में है और इलेक्शन बॉन्ड का सबसे ज्यादा फायदा उसे ही पहुंचेगा। सिब्बल ने कहा कि यह केवल उघोग जगत और बीजेपी के बीच का संबंध हैं। इसी की वजह से पार्टी को सबसे ज्यादा फंड मिला।
बीते कुछ सालों में बीजेपी को तकरीबन 5 से 6 हजार करोड़ रुपये का दान मिल चुका है। सिब्बल ने कहा कि अगर आपके पास इतनी बड़ी मात्रा में फंड होगा तो आप अपनी पार्टी को काफी मजबूती दे सकते हैं। आरएसएस के ढांचे को मजबूत कर सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मोदी सरकार की इस ‘काला धन रूपांतरण’ योजना को “असंवैधानिक” करार देते हुए रद्द कर दिया है। हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने बीजेपी का खजाना भरने के लिए हर संस्थान आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है कि इस योजना के तहत बीजेपी को 95 फीसदी चंदा मिला। उनका कहना था, ‘हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार भविष्य में ऐसे विचारों का सहारा लेना बंद कर देगी और सुप्रीम कोर्ट की बात सुनेगी ताकि लोकतंत्र, पारदर्शिता और समान अवसर कायम रह सकें।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड योजना स्कीम को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट कर बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सीपीएम एकमात्र याचिकाकर्ता थी, जिसके पास चुनावी बॉन्ड के खिलाफ बहस करने का अधिकार था। उन्होंने कहा कि हम एकमात्र ऐसी पार्टी हैं जिसने चुनावी बांड स्वीकार नहीं किया। हम चुनावी बांड को राजनीतिक भ्रष्टाचार का वैधीकरण मानते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें क्विड-प्रो-क्वो की संभावना है, जिसका अर्थ है डील-ब्रेकिंग इससे इस सरकार के भ्रष्टाचार से लड़ने के दावों की पोल खुल गई है।
कांग्रेस पार्टी के नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंधेरे में उजाले की किरण के जैसा है। कांग्रेस पार्टी शुरू से ही चुनावी बॉन्ड योजना के खिलाफ रही है। राजनीतिक दलों को मिले चंदे को लेकर लोगों को जानने का अधिकार है। खेड़ा ने कहा कि भारतीय स्टेट बैक अब तक के चुनावी बॉन्ड की जानकारी को सार्वजनिक करे। इलेक्टोरल बॉन्ड का 95 फीसदी चंदा बीजेपी को मिला। कांग्रेस को डर है सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए सरकार कोई अध्यादेश न ले आए। आज ये क्लियर हो गया कि यह पीएम द्वारा किया गया भ्रष्टाचार है।
चुनावी साल में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देना केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका है। इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन करना ठीक नहीं है। चुनावी बॉन्ड योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। राजनीतिक दलों द्वारा पैसों की जानकारी का खुलासा नहीं करना कानून के खिलाफ है।
(Except Heading this story not edited by ISMATIMES staff. Being published for public awareness.)
Source : jansatta