रविश कुमार ने किया छाया प्रकाश फ़ाउंडेशन का शुक्रिया।

आपकी वजह से सोलापुर के शानदार लोगों से मिलने का मौक़ा मिला - रविश कुमार

रविश कुमार ने किया छाया प्रकाश फ़ाउंडेशन का शुक्रिया।
छाया प्रकाश फ़ाउंडेशन का शुक्रिया। आपकी वजह से सोलापुर के शानदार लोगों से मिलने का मौक़ा मिला। मंच पर साथ में गणेश देवी खड़े हों तो जीवन ऐसे ही धन्य हो जाता है।
मुंबई और दिल्ली की जगह सोलापुर में जस्टिस ए पी शाह और ओडिशी की नृत्यांगना झेलम ताई से मिलना दिव्य रहा। झेलम ताई मुंबई में स्मितालय चलाती हैं। स्मिता पाटिल की याद में नृत्य का प्रशिक्षण देती हैं। इस छोटी सी जानकारी ने मेरे भीतर कितना कुछ पलट दिया। स्मिता पाटिल बेहतरीन अभिनेत्री तो थी हीं, उनके जाने के इतने साल बाद उनकी सामाजिक भूमिका के बारे में सुनकर लगा कि स्मिता फ़िल्मों से ज़्यादा समाज में ज़िंदा हैं। आज भी वो याद की जाती हैं। इसका यही मतलब है कि जब जीवित होंगी तो फ़िल्मों के अलावा सामाजिक राजनीतिक कामों में कितना व्यस्त रही होंगी।

सोलापुर में सलाउद्दीन साहब से मुलाक़ात हुई जो पंद्रह वर्षों से एन डी टी वी से जुड़े रहे। यहाँ जो भी मिला प्यार से मिला।सोलापुर की चादरें काफ़ी लोकप्रिय हैं। मुझे इतनी चादरें मिली हैं कि चादर-चादर हो गया हूँ। एक नया बैग ख़रीदना पड़ा। यहाँ का गुलदस्ता ख़ास रहा। फूलों की जगह सोलापुर में बने तौलिए से ही फूल बना दिए जाते हैं। गुलदस्ता भी हो जाता है और बाद में छोटा तौलिया काम भी आ जाता है। यह भी एक नई चीज़ तमाम चीजों के बीच दिखती रही। असली फूल भी मिले। रजनीगंधा के ! उन लोगों का शुक्रिया जो मुझसे मिलने दो सौ तीन सौ किलोमीटर दूर से आए थे। ये बातें मुझे वाक़ई हैरान करती हैं - रविश कुमार 
Source : Ravish Kumar FB Page