आख़िरकार औरंगाबाद सांसद को पानी के लिए लोकसभा में उठाना ही पड़ा मुद्दा
अब देखना यह भी है कि औरंगाबाद जिले में पानी के लिए हो रही विकट समस्या से कब मिलती है लोगों को मुक्ति, ज्ञात हो कि खासकर औरंगाबाद शहर में ही लोग लगभग दो महीने से पीने के लिए भी है पानी के मोहताज, जिसके संबंध में संवाददाता ने लगातार अपनी लेखनी के माध्यम से भी प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा है खबर. इसके बावजूद भी समाचार प्रेषण पूर्व तक औरंगाबाद में पानी के लिए नहीं हो सका है कोई समाधान
अजय कुमार पाण्डेय :
औरंगाबाद: ( बिहार ) औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद, सुशील कुमार सिंह ने लोकसभा में सभापति को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज मैं जो विषय सदन में रखने जा रहा हूँ. वह मेरे प्रदेश बिहार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. सत्र शुरू होने के दिन से ही मैं लगातार इस विषय को शून्यकाल में उठाने के लिए सूचना देता रहा हूँ. लेकिन एक दिन भी इसके लिए लॉटरी में मेरा नाम नहीं आया.
मैं आपका आभारी हूँ कि आज भी मेरा नाम नहीं आने के बावजूद मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं जिस दिन से इस विषय को उठा रहा हूँ. उस समय बिहार के 38 जिलों में से तीन जिलों को छोड़कर लगभग 35 जिले अकाल की चपेट में थे. उसके बाद स्थिति में परिवर्तन हुआ. अब उत्तर बिहार के कुछ जिले बाढ़ की चपेट में हैं. अभी की स्थिति यह है कि बिहार का एक बहुत बड़ा हिस्सा, जिसमें उत्तर बिहार के भी कई जिले हैं, और दक्षिण बिहार के लगभग सारे जिले हैं, जिनमें मेरा संसदीय क्षेत्र अंतर्गत औरंगाबाद और गया दोनों जिले हैं. वहाँ अनावृष्टि की स्थिति यह है कि धान रोपनी की तो बात छोड़ दीजिए. वहाँ आज के दिन पीने के लिए पानी का भी संकट उत्पन्न हो गया है.
इस समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार से निवेदन करना चाहता हूँ कि एक तात्कालिक योजना बनाई जाए, और इसके साथ साथ एक दीर्घकालिक योजना भी बनाई जाए. दीर्घकालिक योजना के संबंध में मैं सुझाव के तौर पर कहना चाहता हूँ, और यह मांग करना चाहता हूँ कि हमारे यहाँ उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना है, और इसके साथ ही बटाने जलाशय परियोजना भी है.अगर इन दोनों सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करा दिया जाए, तो बहुत हद तक समस्या का समाधान हो सकता है. जो इलाके नहर के क्षेत्र में हैं. सोन नहर से जिन इलाकों की सिंचाई होती है.
हालांकि इस नहर की भी स्थिति अच्छी नहीं है. बाणसागर डैम,जो मध्य प्रदेश में है, जिससे बिहार को पानी मिलता है. उसमें भी कमी है. सोन नदी में भी जल का अभाव है. इसके संबंध में, एक सुझाव देने के साथ ही मैं एक मांग भी करना चाहूंगा. जैसे अभी बिहार में एक तरफ बाढ़ है, और दूसरी तरफ सुखाड़ है.
अतः यह जो इनफ वॉटर है. यह जो बाढ़ का पानी है, फ्लड वॉटर है. एक दीर्घकालिक योजना बनाकर पाइपलाइन के माध्यम से इस इनफ वॉटर को इस ज्यादा पानी को बिहार के उस हिस्से में पहुंचाया जा सकता है. जहां अभी लोग पीने के पानी का भी अभाव झेल रहे हैं. साथ साथ कुछ तात्कालिक योजनाएं भी चलेंगी, जिनसे कृषि मजदूरों का कुछ भला होगा. मेरा कुल मिलाकर पूरे बिहार के लिए और खासकर दक्षिण बिहार के गया, औरंगाबाद दोनों जिले के लिए यह निवेदन है. जहां नहर नहीं है. वहां अभी तक धान का रोपन केवल दस प्रतिशत हुआ है.
यह भी भारत सरकार की देन है, कि वहां बिजली मुहैया हो रही है. जिससे लोगों ने बोरिंग पम्प्स से दस प्रतिशत ही धान का रोपनी किया है. अनावृष्टि की जो अभी स्थिति बनी हुई है. उससे वह धान बचने वाला नहीं है. खेतों में दरार खुले हुए हैं, और जब बारिश होगी, तो वह फसल बचेगी, अन्यथा वह नहीं बचेगी.
अतः मेरा यह विनम्र अनुरोध है कि इस विषय पर चर्चा कराकर एक दीर्घकालिक और साथ साथ तात्कालिक योजना बनाकर इस समस्या से हम लोगों को समाधान दिलाया जाए.