मानव संसाधन विकास विभाग के पूर्व राज्य मंत्री व काराकाट लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद ने की औरंगाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस
Upendra Kuswaha a Former Minister of State for Human Resource Development and former MP from Karakat Lok Sabha constituency held a press conference in Aurangabad
![मानव संसाधन विकास विभाग के पूर्व राज्य मंत्री व काराकाट लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद ने की औरंगाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस](https://ismatimes.com/uploads/images/2023/06/image_750x_649e598bd6562.jpg)
अजय कुमार पाण्डेय:
औरंगाबाद: ( बिहार ) मुख्यालय स्थित क्षत्रिय नगर में बड़ेम गांव निवासी उदय सिंह के निजी आवास पर गुरुवार दिनांक - 29 जून 2023 की रात्रि लगभग 9:30 बजे मानव संसाधन विकास विभाग के पूर्व राज्यमंत्री व काराकाट लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद, उपेंद्र कुशवाहा ने पहुंचकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें संवाददाता द्वारा जब पूर्व मंत्री से सवाल पूछा गया कि सन् 2014 में आप अपनी ही पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के बैनर तले काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विजयी भी हासिल किया था. इसके अलावे आपकी ही पार्टी से सन् 2014 में जहानाबाद एवं सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़कर प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी.
आप सन् 2014 में भाजपा सरकार में ही शामिल रहकर मानव संसाधन विकास विभाग के राज्य मंत्री भी बने थे. इसके बावजूद भी आखिर क्या कारण हो गई थी की आपने सन् 2019 में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ा, और भाजपा को छोड़कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी से हाथ मिला लिया था. और नीतीश कुमार की पार्टी में ही अपना पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को भी भी विलय कर दिया था. आखिर ऐसी आपको कौन सी मजबूरी थी. जिसकी वजह से आपने अपनी पार्टी को जनता दल यूनाइटेड में ही विलय कर दिया था. इसके बाद फिर आप नीतीश कुमार की पार्टी छोड़कर अपनी ही नई पार्टी बना ली. तब पूर्व मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री व पूर्व काराकाट लोकसभा क्षेत्र के रालोसपा सांसद, उपेंद्र कुशवाहा ने संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने के बजाय अपनी कन्नी काटते हुए कहा कि अब तो यह पुरानी बातें हो गई है.
तब संवाददाता ने काराकाट लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद, उपेंद्र कुशवाहा से सवाल पूछा कि आपके ही क्षेत्र में नबीनगर पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, अंकोरहा के प्रांगण में केंद्रीय विद्यालय भी चल रहा है. लेकिन केंद्रीय विद्यालय अंकोरहा में विद्यार्थियों के नामांकन हेतु सीट की संख्या काफी कम है. इसी वजह से विगत दिनों केंद्रीय विद्यालय अंकोरहा के प्राचार्य विवेक कुमार भी हमारे समक्ष ही अपने सर पर हाथ रखकर कह रहे थे, कि इस विद्यालय में सीट की संख्या इतनी कम है, कि हमें तो खुद समझ में नहीं आ रहा है, कि हम क्या करें. लगता है कि हम खुद ही पागल हो जाएंगे. इस विद्यालय में सीट की संख्या इतनी कम है कि एन0टी0पी0सी0 स्टाफ के बच्चों का भी नामांकन नहीं हो सकता है. तब ऐसी परिस्थिति में अन्य आवेदन कर्ता विद्यार्थियों के लिए हम क्या करें. इसलिए आप केंद्रीय विद्यालय अंकोरहा में नामांकन हेतु सीट बढ़ाने के मुद्दे क्या कहना चाहेंगे.
तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहां की सीट बढ़ना चाहिए. तब संवाददाता ने पूर्व मंत्री, उपेंद्र कुशवाहा से सवाल पूछा कि केंद्रीय विद्यालय अंकोरहा में विद्यार्थियों के नामांकन हेतु सीट की संख्या बढ़ाने के लिए आखिर केंद्र में मुद्दा तो आप ही लोग उठाइएगा ना. तब पूछे गए सवालों का पूर्व मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालय अंकोरहा में विद्यार्थियों के नामांकन हेतु सीट बढ़ाने का मुद्दा अवश्य उठाया जाएगा. क्योंकि सीट बढ़ना भी चाहिए.
तब संवाददाता ने पूर्व मंत्री व काराकाट सांसद, उपेंद्र कुशवाहा से सवाल पूछा कि लोकतंत्र में चार स्तंभ तो माने जाते हैं. जिसमें कार्यपालिका न्यायपालिका, विधायिका एवं पत्रकारिता शामिल है. लेकिन कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका को तो सारी सुख सुविधाएं, सुरक्षा मौजूद होती है. परंतु जब कोई भी पत्रकार निष्पक्ष रूप से प्रिंट मीडिया में खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करता है. या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी खबर को प्रमुखता से प्रसारित करता है. तो सिर्फ धमकी ही मिलती है या फिर उसकी हत्या कर / करा दी जाती है. इसलिए आप इस मुद्दे पर क्या कहना चाहेंगे. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पूर्व मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री ने कहा कि निष्पक्ष रुप से पत्रकारिता का कार्य करने वाला कोई भी व्यक्ति निश्चित तौर पर अपना जान जोखिम में ही डालकर पत्रकारिता करता है. यह मैं भी मानता हूं. इसलिए पत्रकारों को भी सुरक्षा निश्चित तौर पर मिलनी चाहिए.
तब संवाददाता ने पूर्व मंत्री से सवाल पूछा कि कहने के लिए तो प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के लोग कहते हैं, कि पत्रकारों को भी सुरक्षा मिलनी चाहिए. लेकिन इसके लिए संसद भवन में आज तक कोई भी ठोस कानून क्यों नहीं बन पाया. तब पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि निश्चित तौर पर पत्रकारों के लिए भी सुरक्षा का कानून बनना चाहिए.