नगर निगम निर्धारित राशि से अधिक वसूल रहा ट्रेड लाइसेंस का शुल्क

The corporation board had imposed a ban on fines. Still the Municipal Corporation is charging trade license fees more than the prescribed amount. Businessmen are getting worried

नगर निगम निर्धारित राशि से अधिक वसूल रहा ट्रेड लाइसेंस का शुल्क
Municipal Corporation is charging trade license fees

ग़ज़नफर इकबाल:

मुजफ्फरपुर:  नगर निगम क्षेत्र में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर नगर निगम ने ट्रेड लाइसेंस बनवाना अनिवार्य कर दिया था. इसके लिए वयवसायी को निगम द्वारा निर्धारित राशि जमा कर ट्रेड लाइसेंस निर्गत किया गया था. राशि का निर्धारण व्यवसाय की श्रेणी और प्रकृति के अनुसार तय किया गया था.जो कि सभी पर समान रूप से लागू होना है. ट्रेड लाइसेंस का यह कानून साल 2014 से ही लागू है. जबकि 2022 में नगर निगम निगम ने राशि वसूलना शुरू किया. वर्ष 2014 से 2022 तक का एक मुश्त राशि वसूल किया गया.2014 से पहले भी ट्रेड लाइसेंस लेना अनिवार्य था लेकिन इसपर निगम ज्यादा तवज्जो नहीं देता था और शुल्क भी काफी कम था.

मार्च 2023 के बाद से नया या रिनिवल दोनों पर नगर निगम ट्रेड लाइसेंस शुल्क की राशि और जुर्माना वसूल रहा है वह भी हर महीने के विलंब शुल्क के रूप में. मतलब यदि कोई अक्टूबर में अपना ट्रेड लाइसेंस नया या रिनिवल कराता है तो मार्च से लेकर अक्टूबर तक का जुर्माना देना होगा. इससे वयवसायी वर्ग काफी चिंतित हैं.

व्यवसाईयों के अनुरोध पर तथा उत्तर बिहार चैम्बर ऑफ कॉमर्स के हस्तक्षेप के बाद नगर निगम बोर्ड ने एक बैठक बुलाई थी जिसमें 20 सितंबर को सर्वसम्मति से यह फैसला हुआ था के मार्च 2024 तक जुर्माना की राशि नहीं वसूली जाएगी चाहे नया बनवाना हो या रिनिवल करना हो. परंतु नगर निगम के कर्मचारी ट्रेड लाइसेंस की राशि और जुर्माना दोनों वसूल रहे हैं जिससे व्यवसायियों में काफी नाराजगी है.

इसी के मद्देनजर वार्ड 20 और 40 के पार्षद संजय केजरीवाल तथा मोहम्मद इकबाल हुसैन व्यवसायियों से मिले तथा उनके समस्याओं के समाधान हेतु महापौर से मिलकर इसका त्वरित समाधान निकालने की बात कही. उन्होंने कहा के महापौर से मिलकर निगम बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णय को अमल में लाने और वसूल की गई जुर्माने की राशि वापस कराने के लिए भी कहेंगे.

पार्षद मोहम्मद इकबाल हुसैन ने कहा है कि नगर निगम का ऐसा रवैया जनहित के विरुद्ध है खासकर वयवसायी भाईयों के लिए यह अनुचित है. जबकि व्यवसाय भी बहुत अच्छा नहीं हो पा रहा है. हमलोग व्यवसायियों के साथ खड़े हैं और उनके हितों के लिए लड़ेंगे.

उत्तर बिहार चैम्बर आफ कामर्स भी इस मुद्दे पर महापौर तथा नगर आयुक्त को पत्र लिख चुका है. गौरतलब है कि साल 2022 में नगर निगम ने बिजली विभाग से उन सभी उपभोक्ताओं का रिकॉर्ड निकाला था जिसने भी बिजली का कनेक्शन कामर्शियल कैटेगरी में ले रखा था.इसी के आधार पर नगर निगम ट्रेड लाइसेंस की राशि वसूल रहा है.