कई लाखों लोगों की ओर से अफ़गानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताक़ी का भारत में स्वागत किया गया है। वह भारत में रणनीतिक वार्ताएँ करेंगे, जिसमें भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से राजनीतिक, आर्थिक तथा व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा होगी। यह दौरा उस पृष्ठभूमि में हो रहा है, जब भारत–अफ़गानिस्तान की ऐतिहासिक मित्रता सदियों पुरानी और गहरी रही है।
27 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत की जनरल बॉडी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में, मैंने एक प्रस्ताव रखा था जिसमें अमेरिका की अफ़गानिस्तान में वापसी का विरोध करते हुए अफ़गान सरकार के उस रुख की सराहना की गई थी, जिसमें उसने डोनाल्ड ट्रम्प की धमकीपूर्ण मांगों को ठुकराया और बग्राम एयर बेस को अमेरिका को वापस न करने की ठान ली। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था।
वहीं, 7-8 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में आयोजित 10 राष्ट्र सम्मेलन में भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिकी मांग का विरोध किया और बग्राम एयर बेस पर विदेशी सेनाओं की मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया। यह रुख उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह एक दुर्लभ अवसर है जब भारत, चीन, पाकिस्तान और अन्य क्षेत्रीय शक्तियाँ समान बयान पर एक साथ आईं और अफ़गानिस्तान की संप्रभुता की रक्षा का वादा किया।
अफगानिस्तान की विदेश नीति का यह रुख और भारत की प्रतिबद्धता — दोनों ही नए राजनयिक अध्याय की ओर इशारा करते हैं। मुत्ताक़ी के भारत आगमन से यह उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग नई ऊँचाइयों पर पहुंचे — चाहे वह आर्थिक निवेश हो, व्यापार विस्तार हो, क्षेत्रीय सुरक्षा हो या आतंकवाद विरोधी प्रयास।
इस दौरे में भारत और अफ़गानिस्तान दोनों ही यह संदेश देना चाहेंगे कि उनकी दोस्ती केवल ज़मानी नहीं, बल्कि भविष्य की साझेदारी और स्थिरता पर आधारित है।
अतः यह दौर न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की विदेश नीति में एक नए दृष्टिकोण का संकेत है — जहाँ सुरक्षा, स्वायत्तता और क्षेत्रीय संतुलन को सावधानी से तालमेल दिया जाता है।
रिपोर्ट: ITN Desk.
