न्यूयॉर्क के नए मेयर बने ज़ोहरान ममदानी ने ट्रंप को दी खुली चुनौती – अब खत्म हुआ विभाजन और अमीरों का राज

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न्यूयॉर्क, 5 नवंबर 2025 – अमेरिका की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। 33 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ज़ोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जिससे पूरे देश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उन्होंने अनुभवी और स्थापित उम्मीदवारों को हराते हुए अपनी प्रगतिशील नीतियों—सस्ती आवास योजना, जलवायु न्याय और आर्थिक समानता—के दम पर विजय हासिल की।

टाइम्स स्क्वायर में चल रही उत्सव सभा के बीच जब चारों ओर जश्न की आतिशबाज़ी हो रही थी, तभी युगांडा में जन्मे और क्वीनज़ से आने वाले इस युवा नेता ने व्हाइट हाउस की ओर नज़रें टिकाईं। अपने विजयी संबोधन में उन्होंने सीधे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ललकारते हुए कहा— “मिस्टर प्रेसिडेंट, आपका विभाजन और अरबपतियों के पक्ष का युग यहीं न्यूयॉर्क की सड़कों पर खत्म होता है। अब जनता उठेगी और जीतेगी—दीवारों या ट्वीट्स से नहीं, एकता और कर्म से।”

चुनाव का माहौल पूरे देश में ध्रुवीकरण के बीच बना था, खासकर ट्रंप की 2024 की संकीर्ण जीत के बाद। इस बार युवा मतदाताओं, प्रवासियों और कामगार वर्ग की अभूतपूर्व भागीदारी देखने को मिली। ममदानी ने 58% वोट हासिल कर पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो के उत्तराधिकारी और वॉल स्ट्रीट समर्थित रिपब्लिकन उम्मीदवार को पछाड़ दिया। उनकी पूरी प्रचार मुहिम 1.2 करोड़ डॉलर की जमीनी दान राशि से चली, जिसमें किसी कॉर्पोरेट PAC का पैसा नहीं था। उनका नारा था— “अमीरों पर टैक्स लगाओ, गरीबों को घर दिलाओ।”

एग्जिट पोल के मुताबिक, 35 वर्ष से कम उम्र के 72% मतदाताओं ने ममदानी का समर्थन किया। साथ ही लैटिनो समुदाय से 65% और दक्षिण एशियाई मतदाताओं से 81% समर्थन मिला, जो न्यूयॉर्क की बदलती सामाजिक संरचना को दर्शाता है।

ममदानी का जीवन संघर्ष और विविधता का प्रतीक है। उनका जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ था, जहाँ से वे सात वर्ष की उम्र में अपने भारतीय मुस्लिम माता-पिता के साथ अमेरिका आए। फ्लशिंग, क्वीनज़ में एक छोटे से अपार्टमेंट में बड़े हुए, उन्होंने ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ़ साइंस से पढ़ाई की और बोउडॉइन कॉलेज से अफ्रीकाना स्टडीज़ में स्नातक किया।

2020 में मात्र 29 वर्ष की उम्र में वे न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली के सदस्य बने और शीघ्र ही डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट्स ऑफ अमेरिका (DSA) के प्रमुख चेहरों में शामिल हो गए। उनकी नीतियाँ हमेशा आम जनता के लिए रही हैं—कम आय वाले लोगों के लिए फेयर चोरी को अपराध की श्रेणी से हटाने और पब्लिक ट्रांजिट विस्तार के लिए कानून लाने तक।

जनवरी में मेट्रो ट्रेन से लॉन्च किए गए एक वायरल वीडियो के जरिए उन्होंने अपने मेयर अभियान की शुरुआत की। यह वही शहर था जो महामारी के बाद आवास संकट से जूझ रहा था, जहाँ 2020 से किराया 25% बढ़ चुका था और ट्रंप प्रशासन की नीतियों से असमानता और गहराई थी।

परिणाम आते ही ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट Truth Social पर तीखा बयान दिया— “सोशलिस्ट ममदानी की जीत से न्यूयॉर्क अब करों और अपराध से डूबेगा। अमेरिका के लिए बुरा दिन!”

ट्रंप और न्यूयॉर्क का रिश्ता पहले भी टकराव से भरा रहा है। उन्होंने स्थानीय बंदरगाहों पर शुल्क लगाए और 2021 की हरीकेन आइडा आपदा के बाद राहत फंड रोक दिया था। ममदानी ने अपने भाषण में इन सबका ज़िक्र करते हुए कहा कि न्यूयॉर्क को अब “सैंक्चुअरी फोर्ट्रेस” बनाया जाएगा—जहाँ प्रवासी और महिलाएँ दोनों सुरक्षित रहेंगी।

राजनीतिक विश्लेषक इस जीत को राष्ट्रीय स्तर पर डेमोक्रेट्स के लिए नई ऊर्जा के रूप में देख रहे हैं। कांग्रेसवुमन अलेक्ज़ेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज़ ने कहा— “यह सिर्फ़ एक स्थानीय जीत नहीं, बल्कि प्रतिरोध की नई रूपरेखा है।”

ममदानी के चुनावी वादों में शहर भर में किराया फ्रीज़ करना, 2028 तक न्यूनतम वेतन $30 करना, और हर नागरिक को घर उपलब्ध कराना शामिल है। उनकी पहली 100 दिनों की योजना में “ग्रीन न्यूयॉर्क” प्रोजेक्ट—1 लाख सस्ते मकानों पर सोलर पैनल लगाना, करोड़पतियों पर 2% टैक्स लगाना, और NYPD के लिए नागरिक निगरानी बोर्ड बनाना—मुख्य बिंदु हैं।

सोशल मीडिया पर उनका नाम रातों-रात ट्रेंड करने लगा—#MamdaniVsTrump ने विश्वभर में 25 लाख पोस्ट जुटाए। समर्थकों ने उन्हें एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के ऊपर “केप्ड क्रूसेडर” के रूप में दिखाते मीम्स बनाए।

राजनीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह जीत न सिर्फ़ न्यूयॉर्क बल्कि पूरे देश में प्रगतिशील राजनीति की नई दिशा तय करेगी। अगर ममदानी अपने वादों पर अमल करते हैं, तो वे अन्य शहरों में भी समाजवादी नेताओं के लिए प्रेरणा बन सकते हैं।

सुबह होते ही न्यूयॉर्क ने अपने नए मेयर का स्वागत किया। जगह-जगह बिलबोर्ड पर उनका नारा चमक रहा था—“बिल्ड बैक बोल्डर”। यह जीत सिर्फ़ न्यूयॉर्क के लिए नहीं, बल्कि उस विचार के लिए है कि स्थानीय बदलाव से राष्ट्रीय दिशा तय की जा सकती है।

रिपोर्ट: इस्माटाइम्स न्यूज़ डेस्क.

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