मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या: जांच में जटिलताएँ
नई दिल्ली: हाल ही में मुंबई में एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. यह घटना शनिवार की शाम को हुई, जब सिद्दीकी अपने ऑफिस से बाहर निकल रहे थे. उनकी हत्या ने न केवल राजनीतिक जगत को हिलाकर रख दिया, बल्कि शहर में सुरक्षा और संगठित अपराध की समस्या पर भी सवाल उठाए हैं.
हत्या की जिम्मेदारी: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम:
हत्या के 12 घंटे के भीतर, सोशल मीडिया पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली. यह कदम जांच की दिशा को बदलने का प्रयास प्रतीत होता है. जबकि मुंबई पुलिस मामले की जांच कर रही है, वहीं दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी इस मामले में सक्रिय हो गई है. सूत्रों के अनुसार, मुंबई पुलिस शनिवार रात से ही दिल्ली पुलिस के संपर्क में है, जिससे इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच में तेजी आई है.
हत्या का तरीका और शूटरों की गिरफ्तारी:
मामले की जानकारी के अनुसार, तीनों शूटर एक टैक्सी से आए थे. उनके पास देसी कट्टे थे और वे सीधे सिद्दीकी के पास पहुंचे. बाबा सिद्दीकी और उनका बेटा जीशान ऑफिस में मौजूद थे. जीशान को कई फोन आए, जिससे वह ऑफिस के अंदर वापस चले गए. उसी दौरान, बाबा सिद्दीकी जैसे ही ऑफिस से 50 मीटर आगे बढ़े, एक शूटर ने उन पर छह गोलियाँ दाग दीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबा को पांच गोलियाँ लगीं, और वह जमीन पर गिर पड़े. एक गोली उनके एक कार्यकर्ता के पैर में भी लगी.
पुलिस की प्रतिक्रिया और प्रारंभिक जांच:
मुंबई के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने हत्या की जांच को गंभीरता से लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सभी एंगल से जांच की जा रही है और कुछ सुराग मिले हैं. इस घटना ने मुंबई पुलिस के सामने चुनौती पेश की है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तविक मास्टरमाइंड कौन है. शूटरों ने खुद को लॉरेंस बिश्नोई के गिरोह का सदस्य बताया है, लेकिन पुलिस को इस दावे पर अभी भी यकीन करना बाकी है.
संगठित अपराध पर चिंता:
बाबा सिद्दीकी की हत्या ने संगठित अपराध की समस्या को फिर से उजागर किया है, जो कि मुंबई जैसे बड़े शहरों में एक गंभीर मुद्दा है. पिछले कुछ वर्षों में, कई हाई-प्रोफाइल मर्डर और गैंग वार्स ने शहर में सुरक्षा को चुनौती दी है. राजनीतिक नेताओं की हत्या से यह स्पष्ट होता है कि अपराधी तत्वों ने राजनेताओं को भी अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
हमारी राय में:
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सरकार ने क्यों बनाया है यह मेरी समझ में नहीं आया. इनका इस्तेमाल कहाँ होता है. जब सब राम भरोसे ही है तो ख़तम करो फालतू के विभागों को. इन विभागों पर भी कभी कभी शक होने लगता है. सिद्दीकी की हत्या ने न केवल उनके परिवार और पार्टी को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मुंबई में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है. जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि इस जघन्य अपराध के पीछे के मास्टरमाइंड को पकड़ सके. इस मामले की गहन जांच से यह भी पता चलेगा कि क्या संगठित अपराधियों का इस हत्या में कोई बड़ा हाथ है.
इस तरह की घटनाएँ समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती हैं, और यह आवश्यक है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ सक्रिय रहें और अपराधियों को सख्त सजा दिलाने में कोई कसर न छोड़ें.
by Sahabuddin Ansari, New Delhi.