राष्ट्र श्रेष्ठ राष्ट्र का मंत्र बताने वाले पटेल साहब भारत के देवदूत थे : डॉ. विवेकानंद मिश्रा

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गया (बिहार): सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती के अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्रा के आवास पर एक विशेष सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश की एकता, अनुशासन और समर्पण के विषय पर गम्भीर चर्चा हुई। सभा में ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि, स्थानीय समाजसेवी एवं क्षेत्रीय गणमान्य व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पूरा वातावरण राष्ट्रहित और जिम्मेदारी की भावना से गूँज उठा।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और पुष्पांजलि से हुई। भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल का संपूर्ण जीवन शक्ति, दूरदर्शिता और कार्यनिष्ठा का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा — “एक राष्ट्र को श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने वाले पटेल साहब वास्तव में भारत के देवदूत हैं।” आज के युग में, जब विभाजनकारी प्रवृत्तियाँ समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं, ऐसे समय में पटेल के अविचल सिद्धांतों और राष्ट्रीय एकता के आदर्शों को आत्मसात करना अत्यंत आवश्यक है।

बी. एन. पांडे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग को देश के हित को व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर रखना होगा। नागरिकों को कानून और व्यवस्था की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

साहित्यकार राधामोहन मिश्र ‘माधव’ ने कहा कि सरदार पटेल ने केवल राजनीतिक एकता ही नहीं स्थापित की, बल्कि राष्ट्रीय दायित्व और सांस्कृतिक अखंडता के स्तंभ भी खड़े किए।

सभा की अध्यक्षता कर रहे आचार्य सचिदानंद मिश्र ‘नैकी’ ने जीवन के उच्च आदर्शों और कर्तव्यपरायणता पर बल दिया। उन्होंने कहा — “पटेल का जीवन देशप्रेम और कर्म का अद्भुत समन्वय है। आज की पीढ़ी को इतिहास केवल पढ़ना नहीं, बल्कि पटेल के आदर्शों को अपने व्यवहार में उतारना चाहिए। जब समाज में अनुशासन और समर्पण आएगा, तभी हम राष्ट्रीय संकटों का सामना दृढ़ता से कर सकेंगे।”

शिवचरण डालमिया और उषा डालमिया ने कहा कि नेतृत्व का अर्थ केवल पद नहीं, बल्कि त्याग और राष्ट्रहित में अकेले चलने का साहस है। यदि आज समाज में नेतृत्वहीनता दिख रही है, तो यह राष्ट्रीय भावना के क्षीण होने का संकेत है।

सभा में यह भी निर्णय लिया गया कि शिक्षा संस्थान, युवा संगठन और परिवार मिलकर नागरिक जिम्मेदारी का मजबूत तंत्र तैयार करें। स्थानीय स्तर पर सामुदायिक योजनाओं को लागू कर रोजगार, शिक्षा और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।

सम्मेलन में यह विचार भी सामने आया कि जब समाजिक प्रेरणा और आदर्शों को व्यावहारिक योजनाओं से जोड़ा जाए, तो परिवर्तन शीघ्र संभव होता है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हम पार्टी की वरिष्ठ नेत्री एवं विधायक ज्योति मांझी ने सभी गणमान्य अतिथियों से यह संकल्प लेने का आह्वान किया कि सरदार पटेल के आदर्शों को केवल स्मृति दिवस तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उन्हें जीवन, नीति और व्यवहार में निरंतर अपनाया जाए।

सभा के समापन पर हरि नारायण त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक सशक्त संदेश है — भारत की असली मजबूती उसकी एकता, अनुशासन और संवेदनशील नेतृत्व में निहित है। आज के दौर में जब समाज में विभाजनकारी प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, तब पटेल के विचारों को व्यवहार में लाना हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी बन जाती है।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में डॉ. दिनेश सिंह, डॉ. रविंद्र कुमार, सिद्धार्थ कुमार, रूबी देवी, राजीव नयन पांडे, रानी मिश्रा, किरण पाठक, पंडित बालमुकुंद मिश्र, अरुण ओझा, रंजीत पाठक, दीपक सिंह, पवन मिश्रा, अमरनाथ पांडे, डॉ. धर्मेंद्र मिश्रा, हरिद्वार पांडे, शोभा देवी, डॉ. ज्ञानेश भारद्वाज, अनुपम मिश्रा, मेघा मिश्रा, प्रियांशु मिश्रा, चंद्र भूषण मिश्रा, लकी मिश्रा, सुनीता देवी, फूल कुमारी यादव, नीलम पासवान, कविता रावत, विश्वजीत चक्रवर्ती, दीपक पाठक, शंभू गिरी, नीरज वर्मा, सुरेंद्र उपाध्याय, अभय सिंह, सुनील गिरी, अजय मिश्रा, अपराजिता चक्रवर्ती, सत्येंद्र द्विवेदी, अशोक द्विवेदी सहित कई अन्य गणमान्य लोग शामिल थे।

रिपोर्ट: विश्वनाथ आनंद.

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