जिला एवं सत्र न्यायाधीश, औरंगाबाद द्वारा किया गया नया जेल भवन एवं परिसर का विस्तृत निरीक्षण, दिए गए आवश्यक निर्देश
माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी द्वारा यह प्रथम निरीक्षण है, और निरीक्षण के क्रम में माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा मौजूद बुनियादी व्यवस्था को देखा गया, तथा जेल के सुरक्षात्मक तथ्यों पर भी विशेष प्रकाश डाला गया.
औरंगाबाद: (बिहार) माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सम्पूर्णानंद तिवारी द्वारा शनिवार दिनांक - 20 मई 2023 को नया जेल का भ्रमण करते हुए निरीक्षण किया गया. नया जेल स्थानान्तरण के बाद माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी द्वारा यह प्रथम निरीक्षण है, और निरीक्षण के क्रम में माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा मौजूद बुनियादी व्यवस्था को देखा गया, तथा जेल के सुरक्षात्मक तथ्यों पर भी विशेष प्रकाश डाला गया. नया जेल भवन का स्थानान्तरण कुछ दिन पहले ही हुआ है, जिसके परिधि में छायादार पौधारोपण पर भी विशेष प्रकाश डाला गया.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश, संपूर्णानंद तिवारी द्वारा जेल निरीक्षण के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, सुकुल राम तथा जेल भ्रमण अधिवक्ता, श्रीमती निवेदिता कुमारी, महेश प्रसाद सिंह भी मौजूद रहें, और निरीक्षण के दौरान मंडल कारा में पदस्थापित जेल अधीक्षक, सुजीत कुमार झा भी मौजूद रहे, तथा उनके द्वारा सभी न्यायिक पदाधिकारियो को प्रत्येक सेल से अवगत कराया गया, और माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा कैदियों को कारा में उत्पन्न हो रही समस्याओं से अवगत होने के उपरांत कैदियों के समक्ष ही तत्काल निदान करने का भी निर्देश जेल अधीक्षक को दिया.
माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने निरीक्षण के दौरान जेल के समस्त वार्डो में भी जाकर कैदियों से उनकी समस्याओं से अवगत हुए बंदियों से यह अपील भी किया, कि जितना अपने से हो सके. जेल वार्ड को साफ़ रखें, ताकि आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहे. आप सभी कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही डालें, और निजी सामान जैसे: कपडा, चप्पल इत्यादि अच्छे से रखें, ताकि जेल प्रशासन को भी जेल सुंदर बनाने में सहयोग मिल सके. साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश कारा अस्पताल में भी गए. वहां व्यवस्था को देखा, तथा इलाजरत बंदी से उसके स्वास्थ की जानकरी भी प्राप्त किए.
अपने निरीक्षण के क्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल के नवनिर्मित रसोई घर का भी निरीक्षण किया, और बन रहे खाना की गुणवता को भी देखा, तथा जेल प्रशासन को खाने की गुणवता पर कई दिशा निर्देश भी दिए| जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल प्रशासन को बंदियों के बौद्धिक और शारीरिक स्वास्थ्य के विकाश हेतु भी समय - समय पर शैक्षणिक गतिविधियाँ और योगा अभ्यास हेतु कार्यक्रम तथा जागरूकता करने हेतु कहा गया.
अपने जेल निरीक्षण के क्रम में जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल के सौंदर्यीकरण हेतु वृक्ष लगाने जिनमे छायादार, फलदार और फुल पौधे तीनो तरह के पौधे हों, ताकि जल्द ही जेल एक मॉडल जेल के रूप में विकसित हो सके. इसके अतिरिक्त उनके द्वारा कई अन्य सुरक्षात्मक और सुविधात्मक निर्देश भी जेल प्रशासन को दिया. इसके साथ साथ उन्होंने जेल परिसर में उक्त सौन्दर्यीकरण कार्यक्रम की शुरुआत स्वयं वृक्ष लगाकर किया. जिसमे उनका साथ जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव, प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, सुकुल राम ने भी वृक्ष लगाकर दिया.
जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा सिद्धदोष बंदियों के निर्मुक्त हेतु अधिकार से बंदियों को अवगत कराते हुए किन परिस्थितियों में स्थानीय स्तर पर तीन दिन के लिए पैरोल तथा इससे अधिक अवधि के लिए आगे की प्रक्रिया हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराये गए बैनर को जेल में लगाया गया है, कि जानकरी बंदियों को उपलब्ध कराया जाए. पैरोल के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि कैदी के माता-पिता, पति - पत्नी अथवा बच्चे की मृत्यु, कैदी की पुत्री की विवाह पर पैरोल पर छूटने (तीन दिन तक) आवेदन जेल अधीक्षक के द्वारा जिला पदाधिकारी को अग्रसारित किया जाएगा, और इसकी स्वीकृति जिला पदाधिकारी द्वारा दी जाएगी, तथा इससे संबंधित आवेदन को तैयार करने में जेल अधीक्षक सम्बन्धित सिद्धदोष बंदियों को सहायता करेगें. साथ ही तीन दिन से अधिक के पैरोल हेतु पैरोल बोर्ड को भेजा जाएगा.
निरीक्षण के क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, सचिव प्रणव शंकर द्वारा जेल के वैसे कैदी जो प्रथम दृष्टया देखने से ऐसा प्रतीत हुआ, कि उनकी उम्र 18 वर्ष से कम है. इसको लेकर सचिव ने तत्काल कारा अधीक्षक को यह निर्देशित किया, कि इनकी सूची संबंधित न्यायालयों में उनकी आयु के सत्यापन हेतु प्रेषित करें, ताकि विधि अनुसार उनके मामलों पर कार्रवाई हो सके, और वैसे कैदियों की सूची तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकार कार्यालय को तथा जेल में प्रतिनियुक्त जेल भ्रमण अधिवक्ता को आवश्यक रूप से देना सुनिश्चित करने हेतु कहा. सचिव ने साथ रहे दोनों जेल भ्रमण पैनल अधिवक्ताओं को निर्देश दिया, कि किसी भी परिस्थिति में 18 साल से नीचे प्रथम दृष्टया प्रतीत होने वाले बंदी की जाँच अपने स्तर से जेल भ्रमण के दौरान आवश्यक रूप से प्रत्येक भ्रमण के दिन करने के लिए निर्देशित किया.
अधिवक्ता की सेवा तत्काल देने की बात कही, तथा तत्काल कारा में स्थापित लिगल एड क्लीनिक में अधिवक्ता उपलब्ध कराने हेतु अग्रेत्तर कार्रवाई का निर्देश दिया. सचिव द्वारा यह भी निर्देश दिया गया, कि जो भी नये कैदी जेल में आते हैं, तो बंदी के दौरान उनके अधिकार एवं कर्तव्य के बारे में बताएं. साथ ही साथ अगर उन्हें विधिक सहायता की आवश्यकता है, तो किस प्रकार उन्हें विधिक सहायता मिल सकती है. उसके बारे में भी बताएं. प्राधिकार सचिव द्वारा बताया गया कि मंडल कारा, औरंगाबाद में लिगल एड क्लिनिक अपना कार्य सुचारू रूप से कर रहा है. जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से उन्हें विधिक सहायता मुहैया कराने में भरपुर मदद की जा रही है.
-अजय कुमार पाण्डेय