हजार साल बाद का भारत कैसे होगा...
प्रिय पाठको, आज पीएम ने लाल किले के ऊपर चढ़कर देश के नाम अपना 10वां संबोधन दिया. मणिपुर हिंसा पर बात हुई और दूसरे राज्यों की तरफ जहां हाल के दिनों में नूह, मेवात में साम्प्रदायिक हिंसाएं हुई, ट्रेन में चार बेकसूरों को जान से मारा गया उसका कोई बात नहीं हुई. इस भाषण में देश के आम नागरिकों के लिए कुछ भी नहीं है.
मणिपुर में जो हुआ हो गया. नूह और मेवात में बजरंग दल ने माहौल खराब किया, मुसलमानों के लगभग 250 मकानों को तोड़ा गया, बुल्डोज किए गए. मुसलमानों को डराया गया, उनके अन्दर भय पैदा किया. इसी तरह कुछ गिने चुने पाखण्डी, आंतकी संत, महात्मा और पुजारी एक सम्प्रदायिक विशेष को मारने काटने की बात करते रहते हैं. जिन पर सरकार ने लगाम नही लगाया. बेवजह बिना मतलब का ज़हर देश की जनता में घोला और पिलाया गया है.
1000 या 1200 साल देश गुलाम रहा, यह गाना गाने से कोई लाभ नही है. अतीत को नहीं लाया जा सकता. 2047 तक देश विकसित राष्ट्र होगा. पीएम ने खुद कहा कि जब सुरक्षा होती है तब प्रगति होती है, लेकिन भारत में तो हमेशा साम्प्रदायिक दंगे, हिंसा और भय का वातावरण रहता रहा है. पहले ही देश में आपदाएं कम आती हैं जो हमें हिन्दू मुस्लमान में बांटा जा रहा है, लड़ाया जा रहा है. देश में सरकारों ने सौहार्द, भाईचारा और शांति के लिए कोई काम नहीं किया. वोट बैंक की राजनीति को ध्यान में रखते हुए नागरिकों के जज्बात, काम धंधों को बर्बाद करने का काम किया जाता रहा है.
पीएम ने अपने संबोधन में 10 साल की सरकार का हिसाब दिया जिसमें उन्होंने कहा कि इस समय हम जो फैसला लेंगे, वे एक हजार साल तक भारत की दिशा और भाग्य को लिखने वाले होंगे. अपने भाषण में राज्यों को कितना कर्जा दिया यह नहीं कहा कि कितने युवाओं को रोजगार दिया. स्वरोजगार के लिए कितना लोन दिया. कितनी शर्म की बात है कि देश के युवाओं का ज्यादा समय यूट्यूब, फेसबुक और अन्य सोशल स्टेशनों पर लग रहा है उसका मुख्य कारण रोजगार के अवसर ढूढ़ना है.
अमीरी गरीबी की खाई और बढ़ रही है. हाल में मानसून के मौसम में आसमानी आफत हिमाचल और उतराखण्ड में उतरी है. इसका जिक्र प्रधानमंत्री ने नही किया. हम आज 1000 साल आगे की सोच रहे हैं. हमने तो यह सुना है कि अगर आज अच्छा होगा तो हमारा कल भी अच्छा होगा. अगर हम आज बीमार है तो बिना ईलाज के कल और बीमार होंगे और कुछ दिनों में अंत भी हो जाऐगा. देश आज बीमार है, बेतुकी नई-नई घुट्टियां पिलाई जा रही हैं.
प्रिय पाठको, 10 साल कैंसे निकल गए यह न तो प्रधानमंत्री को पता होगा न हमें याद है. हां इतना याद है कि हमने लाॅकडाउन देखा, नोटबंदी में एटीएम के चक्कर काटे, जीएसटी की मार, गैस के दाम, मंहगाई, बेरोजगारी, भूखमरी और प्राकृतिक आपदाएं देखी हैं. कहीं दूर न जाएं सिर्फ दिल्ली भ्रमण कर लीजिए पूरे देश का विकास की हकीकत सामने आ जाऐगा.
एक हदीस है और यह मैं अपनी तरफ से नहीं कह रहा हूं कि जब हुकमरान जालिम हो तो जानवरों पर मांस सूख जाता है. खेत, गल्ले बर्बाद हो जाते हैं, जान और माल का नुकसान होता है. आसमानों से आफतें बरसती हैं. बुरे फैसले उतरते हैं. आज मणिपुर, मेवात, नूह, जयपुर मुम्बई एक्सप्रेस में हत्याएं, हिमाचल और उत्तराखंड में बाढ़ और लैंडस्लाईड, भूकम्प इत्यादि जालिम सरकारों के कारण ही हुए हैं.
प्रिय पाठको, मैं किसी एक पार्टी या राजनीति की बात नही कर रहा हूं. जितना सरकार जिम्मेदार है उससे ज्यादा हम लोग जिम्मेदार हैं. अगर हम आपस में लड़गें, अगर हम अपने किसी भी हिन्दू मुस्लिम या किसी भी गैर जाति वाले भाई के लिए बुरा सोचेंगे तो उसका नकारात्मक असर सबसे पहले हमारे अंदर हमारे परिवार या किसी रिश्तेदार के यहां पड़ेगा. क्यूकि हम सब का परमात्मा नहीं चाहता कि हम अपने अख्लाक खराब करें. हम सब हैं तो उसके बंदे. हमें छोटी-छोटी मुसिबतें देकर आजमाया जाता है. मेरा कहने का साफ संकेत यह है कि प्लीज अपने विवेक का इस्तेमाल करें और अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहें और अच्छे इंसान, अच्छे नेता का साथ दें.
हजार साल बाद क्या होगा यह कोई नहीं जानता लेकिन अपने बच्चों के कल के भविष्य के लिए जरूर सोचें और सुरक्षा, भय मुक्त और खुशहाल भारत के बारे में सोचें. धन्यवाद,
-एडीटर, मोहम्मद इस्माइल