स्वर्ण मंदिर के बाहर सुखबीर सिंह बादल पर हमला, ASI की सतर्कता से बची जान
पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर के बाहर हमलावर ने गोली चलाई, लेकिन पंजाब पुलिस के ASI जसवीर सिंह की तत्परता से हमला नाकाम हो गया. इस घटना के बाद से पूरे अमृतसर में सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है.
पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम और शेरावाली अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर जानलेवा हमला हुआ. हालांकि, पंजाब पुलिस के एक सतर्क और बहादुर ASI, जसवीर सिंह की सक्रियता ने इस हमले को नाकाम कर दिया और बादल की जान बचा ली. यह घटना राज्य में सुरक्षा और आतंकवाद के खतरों को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है.
हमला कैसे हुआ?
सूत्रों के अनुसार, इस घटना के समय सुखबीर सिंह बादल स्वर्ण मंदिर के बाहर अपने काफिले के साथ खड़े थे. उसी समय, हमलावर ने उन्हें निशाना बनाते हुए पिस्तौल से गोली चला दी. हालांकि, ASI जसवीर सिंह की तेज़ी और स्थिति को भांपते हुए तत्काल प्रतिक्रिया करने से हमलावर को पकड़ लिया गया और हमला विफल हो गया. जसवीर सिंह ने पूरी तत्परता के साथ स्थिति को काबू में किया और हमलावर को मौके पर ही धर दबोचा.
आरोपी की पहचान नारायण सिंह चौरा के रूप में हुई है, जो पहले आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था और अलगवाड़ी आतंकी संगठन का सदस्य था. यह जानकारी सामने आई है कि चौरा पहले पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था, और उसकी गिरफ्तारी से राज्य में सुरक्षा के तंत्र को एक बड़ी सफलता मिली है.
हमले के बाद की प्रतिक्रिया
घटना के बाद, कई प्रमुख नेताओं और अधिकारियों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा कि पुलिस ने एक बड़ी वारदात होने से बचाया और राज्य की शांति को बनाए रखा. उन्होंने कहा कि इस हमले का उद्देश्य पंजाब और पंजाबियों को बदनाम करना था, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया.
वहीं, अमृतसर के पुलिस कमिश्नर ने भी ASI जसवीर सिंह की बहादुरी की सराहना की और कहा कि उनकी सक्रियता और स्थिति को भांपने की क्षमता ने एक बड़ी घटना को टाल दिया. पुलिस विभाग ने इस सफलता पर जसवीर सिंह को प्रशंसा और सम्मान देने की बात की है.
गायन जांच की मांग
स्वर्ण मंदिर के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह ने इस हमले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह हमला केवल सुखबीर सिंह बादल पर नहीं, बल्कि स्वर्ण मंदिर के सेवादारों और उनके धार्मिक प्रतीकों पर हमला था. इस हमले की गहन जांच की जानी चाहिए ताकि ऐसे घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके.
ज्ञानी रघुवीर सिंह ने राज्य सरकार से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि यह घटना सिख समुदाय के लिए भी चिंता का विषय है. उन्होंने इस हमले को केवल एक राजनीतिक उद्देश्य से जोड़ने का विरोध किया और कहा कि यह स्वर्ण मंदिर की गरिमा पर सीधा हमला है.
हमलावर का मंसूबा क्या था?
हालांकि हमलावर को तुरंत पकड़ लिया गया, लेकिन सवाल यह उठता है कि उसका उद्देश्य क्या था. कुछ सूत्रों के मुताबिक, हमलावर ने पहले से ही हमले की योजना बनाई थी और वह सुखबीर सिंह बादल को निशाना बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार था. इसके अलावा, यह भी माना जा रहा है कि इस हमले का संबंध राज्य की राजनीति से हो सकता है, जहां कुछ ताकतें पंजाब में असुरक्षा और आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं.
परिवार की प्रतिक्रिया
हमले के बाद, सुखबीर सिंह बादल की पत्नी जसमीत कौर ने मीडिया से बात की और कहा कि उन्हें इस घटना के बारे में किसी प्रकार की जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि उनके पति सुबह करीब 5:45 बजे घर से निकले थे और इस समय तक उन्हें इस हमले के बारे में कोई सूचना नहीं मिली थी. उन्होंने यह भी कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह गलत था और इस तरह की घटनाओं की निंदा की.
यह घटना यह साबित करती है कि राज्य में आतंकवाद और राजनीतिक हिंसा की घटनाओं को लेकर सरकार और सुरक्षा बलों के बीच सतर्कता की आवश्यकता है.
पंजाब में सुरक्षा के हालात
स्वर्ण मंदिर के पास हुई यह घटना, राज्य में सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठाती है. पिछले कुछ वर्षों में पंजाब में आतंकवाद और राजनीतिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे राज्य सरकार और पुलिस विभाग के लिए सुरक्षा व्यवस्था और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता महसूस हो रही है.
पंजाब के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार को और अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. यही नहीं, आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि राज्य में शांति और सुरक्षा बनी रहे.
निष्कर्ष
स्वर्ण मंदिर के बाहर हुआ हमला एक गंभीर घटना है, लेकिन पंजाब पुलिस के ASI जसवीर सिंह की बहादुरी और सतर्कता ने एक बड़ी घटना को टाल दिया. यह घटना न केवल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए थी, बल्कि धार्मिक संस्थाओं और उनके प्रतीकों पर हमला करने का भी प्रयास था. इस हमले से पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की कार्यक्षमता की एक बार फिर परीक्षा हुई है.
यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि राज्य में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए हर नागरिक और अधिकारी को सतर्क रहने की आवश्यकता है.
--Shahabuddin Ansari.